शुक्रवार, 13 मई 2011

फलसफे


















एक अरसा हो गया अपने मन की बात को टटोले हुए
युही ज़िन्दगी से साथ रेंगते रेंगते उस ही एक सुबह शाम में बांधके
ज़रा अपना कुछ हिसाब कर लिया होता
उसे भी क्या होता
कभी तनहा कभी भीड़ में ही अपना अक्स अनजाना  लगता है
 उम्र के बढने के साथ कुछ पुरानी यादें बढ जाती है
आने वाला कल अच्छा नहीं लगता
कभी कभी कुछ सोच और कुछ विचार आगे बढने को मना करदेते है
 दिल को ज़माने के साथ चलने से माना कर देते है
कभी दिल डरता है कभी परवाह करता है
इतना असं भी नहीं है पूरा जीवन  हँसते हँसते जी  लेना 
आंसू आ भी जाये तो पीने ही पड़ते है 
यहं कौन है जो  इन  आंसू की परवाह करे 
यह निकलते भी अपने मन से है 
अपनी  रह बनके अन्दर से भिगोह जाते है
समझ समझ कर खुद बा खुद रास्ता बना रहे है 
इन्ही रास्तो पर चल कर हम एक नए  जीवन को  ढूंढ़ लेते है 
बहुत सी बार रास्ते खुद हमारे होते है 
परछयिए  बन जाते है कुछ 
कभी अच्छे कभी बुरे बन कर हमारी ज़िन्दगी के साथ रहते है
बहुत  कुछ हम सह लेते है बहुत कुछ  बोल देते है
कभी कम और कभी ज्यदा लेके देके
चाहत तो बहुत है पर सब के पंख को उडान  मिले यह  ज़रूरी तो नहीं
कितनी चाहत कितनी हसरत सब को मिलनी ......
बड़े अरमानो के साथ हमने कुछ सपने सजोय थे
आज सब कभी न पूरे होने वाले ख्वाब बन कर रह गए
गडमड होते होते उलझे हुए से सारे ख्वाब  लगते है
अधूरे सी तमना खड़ी  चिढाती  है और कुछ मांग भी लो 
पर छोटी छोटी हसरते पहाड़ सी लगती है 
बहस कर भी लो पर क्या  है ...........
जीवन को हसी में ले लो बहुत असं हो जायेगा 
इतना सोचना और तडपने से कुछ नहीं होगा 
परेशानियीं का अंबार  चाँद मिनटों में कम और जायदा हो जाता है
जीवन की उठापटक में बहुत सोचने के जगह नहीं रखनी चाहिए 
मस्त रहने के लिए अगले  जनम का इंतज़ार नहीं करना होता 
सब कुछ हमेशा नए सिरे से शरू होता है 
 सिरे बनाये  नहीं जाते ..बन जाते है 
इनकी गांठो के उलझने का  ध्यान रखना होता हो 
एक गलती जन्मो तक पीछा करती है कभी एक बहाना दे जाती है .....
लिखने  वालो को एक मकसद और पड़ने वालो को पीड़ा .........दे जाती है 
फलसफे तो बहुत लिख दिए जाते है कभी सुना ही देते है ...
अपना कितना पाते है यह अलग कहानी होती है .................




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