मंगलवार, 8 दिसंबर 2020

गठबंधन


साथ साथ एक तुम्हारे साथ चलते कहते नहीं पता लगा 
कदम के डगमगते भी ना चल पड़ी 
कभी  हम संभल  गए कभी तुम 
कुछ कुछ गलती 
थोड़ी थोड़ी समझदारी से चल रही है गाडी 
 उलटे पुल्टे होते भी हम है एक बंधन में 
मीठी मीठी तकरार में भी मज़ा है 
कभी आशा निराशा में भी एक सहारा है 
नाराज़गी  के बाद भी मनाने की एक आस है 
ज़रा छु दो बस अन्दर तक भीग जायेंगे 
लड़ते लड़ते हँस जायेगे 
बैठे बैठे  रूठ  जायेंगे 
कुछ उम्मीद की नज़र से देख कर अलग बीतों पे लड़ जायेंगे 
कही के गुस्से को कह उतर देंगे 
सब समझते हुए भी नासमझ बन जायेंगे 
कही जलन की जगह को अलग ढंग से बताएँगे 
इसी लुका छिपी में एक उम्र बीत देंगे 
दो अलग अलग परिवारों के पंछी एक घोसला बना देंगे 
कभी सबसे अच्छा और बुरा दोनों को यही बता देंगे 
जाने कौन सा है यह गठबंधन 
वैसे  हम इसे शादी के नाम से जानते है .................


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