सोमवार, 12 अक्तूबर 2009

प्यारे दादा दादी

मुझको लगते प्यारे दादा दादी
दादा है मेरे हटे कटे
सर पे है थोड़े से बाल
पेट पर है मोती तोंद
सुबह सुबह घुमने जाते
नए नए किस्से  सुनाते
 हर समस्या को चुटकी में हल कर पाते
सब को करते है बहुत प्यार
जिसका दादी को है मान
दादी है मेरी छोटी सी
दंत में है उनके बतीसी
रोज़ नए पकवान बनाती
हर रात कहानी सुनाती
हमे सदा सीख देती सदाचारी
हर तयोहर की है वो जान
चाहते है दादा दादी
हमेशा महकती  रहे  बगियाँ प्यारी
उनका आशीर्वाद रह यही इच्छा है हमारी .

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