सोमवार, 10 जनवरी 2011

माँ की कल्पना

मेरी सारी दुनिया तुझ में समाई 
तुने ही  जीवन के एक खूबसूरत पल से मिलवाया 
नन्हें  कदम के आहट से तेरे आज तक के सफ़र ने मुझे भिगोया
अपनी माँ को भी हर बार प्रणाम  किया
तेरे बिन मेरा जीवन था अधुरा
तुने कर मुझे सपूर्ण
मेरा प्यार बच्चा  मेरे आँखों का तारा
तेरे बिना मेरे कोई अरमान नहीं
जीवन में तुझसे भी  मेरी अब  पहचान  हुई
अपना अक्स अपनी  चाहत को तेरे में देखा है
अपने सपनो को तुझ में समेटा है
तेरी मुस्कान ने दी है नयी  परिभाषा
माँ के अस्तित्व की कल्पना भी सोच से परे है
बिना  इसका सुख भोगे नहीं समझ  पाओगे

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