शुक्रवार, 10 दिसंबर 2010

मायका

गज़ब खुशबु होत्ती है बचपन की पचपन तक ताज़ा  रहती है
सिंदूर की लकीर से पल में परे कर दिया जाता
पर दिल में छिपी याद को कोई नहीं जला पाया
माँ पर की हुकूमत , पिता पर जमाया रोब
भाई बहिन की लाडली होती  जाती
 पल रूठ जाती सारी ख्वाइश पुरी होत्ती
बड़े अरमान से एक डोली उठती है
सब के आशीर्वाद से उसकी सामान में बसी होत्ती
गहनों से प्यार नहीं कपड़ो का लालच नहीं
बस माता पिता के प्यार की खुशबू का ख्याल है
उनके आशीर्वाद से नए जीवन को महकाना  चाहते है
ससुराल में मायके की खुशबू  बरक़रार रखना चाहते है

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