मंगलवार, 25 अगस्त 2009

एक गम

दो बूंद आस की जा मिली समन्दर में
कर गई सारा पानी खारा
इतना दर्द था उन आसुंओ में
इतना सा सहारा था
इतना नमकीन घुला था जीवन में
कोई राग नहीं कोई द्वेष नहीं
कितनी मार खायी से यहे ज़िन्दगी से
छोटी छोटी खुशियों के लिए तरस है यहे दिल
बुझ गई आशा की किरण
पता नहीं कहाँ ला के खड़ा कर दिया
एक पल में बदला यह जीवन
छुट गया सब और दे गया एक रंज
हर पल इस तरह जीने के लिए ।

कोई टिप्पणी नहीं: