किस्मत की गलतीपता नहीं क्यों ....आज बहुत मन उदास था ,ऐसा लग रहा था की क्यों हमेशा उसके साथ ही ऐसा होत्ता है। ...क्यों ...कोई उसे समझ नहीं पाता ।हमेशा उससे अपने होंने का एहसास करना होत्ता है ।... यह चौथी बार है जब उसे अपना अस्तिव्त छोड़ कर नया बनाना पड़ा रहा है । आज तो उसे संत्ताव्ना देना के लिए भी शब्द नहीं है । सही है यह मन किसी के वश में नहीं होत्ता है ..... जब किसी के वश में आता है ...तो कुछ नहीं कर पाते ,बस देखते रहते है दूर से तमाशा । फिर वही पुराने दिन याद हो आए जब हम दोनो सहेली मज़े से घुमा करते थे । आने वाले जीवन के रंगीन सपने बुनते थे । उसके पास तो रोज़ बातों का पिटारा होता था । वह निरल से बात करते थी ।
निरल --उसका पहला प्यार । मुझे उसकी बाते सुनाने में मज़ा आता था । पर वो निर्दयी उसके दस साल के प्यार को t कर ठुकरा कर चला गया । उससे भी बुरा यह की उसके कॉलेज की साथी रिया के साथ शादी कर लि, वो तीन साल तक इस गम से नहीं निकल पाई । वो लड़का जिसके लिए उसने अपना करियर और जीवन का हर ...छोटा बड़ा फेसला उसके हिसाब से किया .......अपना रहना अपना करियर ....अपना जीवन के हर राह....... सब उसके मन के हिसाब से किया ....और वो उससे छोड़ के चल गया ।
उसका अपने पे कोई वश नहीं था... पागलो की तरह अपने कर्तव्य निभा रही थी । माँ पिताजी की देखभाल अपनी पडी बहिन की पढ़ाई सब देखना था उसे ,निरल तू बस कहन दिया अगर उससे शादी कर तो उसकी माँ जाने से मर जानने की धमकी दे रही है ,यह धमकी शीतू भी दे सकती थी ,पर नहीं उसे लिये बोलती थी उसने कभी उसके साथ बुरा बर्ताव नहीं किया ।कभी अपनी सीमायों को नहीं भुला सकती ।
फिर जसे तेसे जीवन को सही रहा पर लाइए की सके पड़ोसी ने ही उसी घेर लिया । छ महीने बाद वो भी कहीं जॉब के लिए चला गया और वही के लड़की से सगाई कर । मोहित ,शीतू से छोटा था..... चार साल पर इतना प्यार लुटाया की शायद शीतू कभी नहीं भूल पाए। उसे जीवन से निकला कर कभी मिला ही नहीं कोई जन पहचान नहीं । मेरा दिल करता था गलिया दे कर मरू पर शीतू ने एक बार फिर माफ़ कर दिया ।
सब को शादी की चिंता बड़ी सता रही थी ,लड़के देखे जा रही थे पर उससे कोई पसंद नहीं आता .......जो आता उससे मिलने का बाद शादी नहीं करना चाहती । जसे तेसे एक अच्छा लड़का मिला और सगाई हो गई रोज़ फ़ोन पर बातें शरू हो गई ।
पर अपनी बहिन के यह रहने गई तो उसके देवर का दिल आगया इस पर ,और यहे भी उसी पसंद करने लगी और सगाई तोड़ दी ।
जब अजय से शादी की बात की तो उसे माँ पापा राजी नहीं हुए और वो भी मुकर गया ,यह शीतू का तीसरा झटका था ,अब उसका सब पर से विश्वास उठा गया । और उसके घर वालो का उस पर से । पर यहे सब मन है जो बावरा होत्ता है ,उसका प्यार जैसी चीज़ से मन उब गया सब छोड़ कर दुसर शहर चली गई । साल के बाद उसकी माँ ने एक जगह उसकी सगाई कर दी , उसने भी चुप चाप बिना कुछ पूछे शादी कर ले बढ़िया घर अच्छा लड़का सब कुछ अच्छा था । इस बार उसकी माँ ने होने पे बात नहीं करने दी न ही शीतू ने कुछ नहीं कहाँ । शादी से दस दिन पहले बात की सब सही लगा ,धूम धाम से शादी हो गई ।
इतना बड़ा बंगला इतना अच्छा लड़का सब अच्छा । शीतू रम गई सब भूल गई । पर होंनी को कुछ मंज़ूर था उसके एक प्यारी सी बेटी हुए । एक दिन पता चल उसका पति किसी ओर को पसंद करता है । शीतू फिर अप्पने बच्चे के साथ अकली हो गई ।
कभी पलट कर किसी से नहीं पछा उसकी क्या गलती थी । हर रिश्ता इतनी ईमानदारी के साथ निभाया , पर आज सके पास क्या था ? कभी किसी जिमेदारी से मुह नहीं मोड़ा ...... पर सब ने उससे मुह मोडा लिया । लेकिन आज वो बड़ी लेखिका है और कालेज में अपने डिपार्टमेन्ट की हेड है । कोई कमी नहीं । आज भी कई लोग उसके पास आते है । शादी के लिए पर इतनी मज़बूत हो गई है की सब का सामना करती है । फिर हँसी के साथ ज़िन्दगी जीने लगती है । मुझे ख़ुशी है आज में उसके पास आ गई उसी शहर में जहाँ हम साथ थे । पर उसका अकेलेपन कोई नहीं समझा सकता कोई नहीं जन सकता । इतनी ईमानदारी से कोई जीवन नहीं जी सकता । आज सब उसकी तारीफ करते है ....पर उसके खोखलेपन को कोई नहीं समझ पाता । वो महान नारी है ...क्योंकि पति को आजाद किया है बिना शर्त के .... पर उसके हाथ क्या है ? उसका प्यार कौन था? जीवन की सचाई क्या है ? कोई नहीं जो इसका जवाब दे । आज भी अपनी गलती जानना चाहती है पर कोई जवाब नहीं होत्ता सिवाय सब किस्मत पे डालने के ..........ओर लोगो की कडवी बाते के अंगारों के साथ ............. ।
निरल --उसका पहला प्यार । मुझे उसकी बाते सुनाने में मज़ा आता था । पर वो निर्दयी उसके दस साल के प्यार को t कर ठुकरा कर चला गया । उससे भी बुरा यह की उसके कॉलेज की साथी रिया के साथ शादी कर लि, वो तीन साल तक इस गम से नहीं निकल पाई । वो लड़का जिसके लिए उसने अपना करियर और जीवन का हर ...छोटा बड़ा फेसला उसके हिसाब से किया .......अपना रहना अपना करियर ....अपना जीवन के हर राह....... सब उसके मन के हिसाब से किया ....और वो उससे छोड़ के चल गया ।
उसका अपने पे कोई वश नहीं था... पागलो की तरह अपने कर्तव्य निभा रही थी । माँ पिताजी की देखभाल अपनी पडी बहिन की पढ़ाई सब देखना था उसे ,निरल तू बस कहन दिया अगर उससे शादी कर तो उसकी माँ जाने से मर जानने की धमकी दे रही है ,यह धमकी शीतू भी दे सकती थी ,पर नहीं उसे लिये बोलती थी उसने कभी उसके साथ बुरा बर्ताव नहीं किया ।कभी अपनी सीमायों को नहीं भुला सकती ।
फिर जसे तेसे जीवन को सही रहा पर लाइए की सके पड़ोसी ने ही उसी घेर लिया । छ महीने बाद वो भी कहीं जॉब के लिए चला गया और वही के लड़की से सगाई कर । मोहित ,शीतू से छोटा था..... चार साल पर इतना प्यार लुटाया की शायद शीतू कभी नहीं भूल पाए। उसे जीवन से निकला कर कभी मिला ही नहीं कोई जन पहचान नहीं । मेरा दिल करता था गलिया दे कर मरू पर शीतू ने एक बार फिर माफ़ कर दिया ।
सब को शादी की चिंता बड़ी सता रही थी ,लड़के देखे जा रही थे पर उससे कोई पसंद नहीं आता .......जो आता उससे मिलने का बाद शादी नहीं करना चाहती । जसे तेसे एक अच्छा लड़का मिला और सगाई हो गई रोज़ फ़ोन पर बातें शरू हो गई ।
पर अपनी बहिन के यह रहने गई तो उसके देवर का दिल आगया इस पर ,और यहे भी उसी पसंद करने लगी और सगाई तोड़ दी ।
जब अजय से शादी की बात की तो उसे माँ पापा राजी नहीं हुए और वो भी मुकर गया ,यह शीतू का तीसरा झटका था ,अब उसका सब पर से विश्वास उठा गया । और उसके घर वालो का उस पर से । पर यहे सब मन है जो बावरा होत्ता है ,उसका प्यार जैसी चीज़ से मन उब गया सब छोड़ कर दुसर शहर चली गई । साल के बाद उसकी माँ ने एक जगह उसकी सगाई कर दी , उसने भी चुप चाप बिना कुछ पूछे शादी कर ले बढ़िया घर अच्छा लड़का सब कुछ अच्छा था । इस बार उसकी माँ ने होने पे बात नहीं करने दी न ही शीतू ने कुछ नहीं कहाँ । शादी से दस दिन पहले बात की सब सही लगा ,धूम धाम से शादी हो गई ।
इतना बड़ा बंगला इतना अच्छा लड़का सब अच्छा । शीतू रम गई सब भूल गई । पर होंनी को कुछ मंज़ूर था उसके एक प्यारी सी बेटी हुए । एक दिन पता चल उसका पति किसी ओर को पसंद करता है । शीतू फिर अप्पने बच्चे के साथ अकली हो गई ।
कभी पलट कर किसी से नहीं पछा उसकी क्या गलती थी । हर रिश्ता इतनी ईमानदारी के साथ निभाया , पर आज सके पास क्या था ? कभी किसी जिमेदारी से मुह नहीं मोड़ा ...... पर सब ने उससे मुह मोडा लिया । लेकिन आज वो बड़ी लेखिका है और कालेज में अपने डिपार्टमेन्ट की हेड है । कोई कमी नहीं । आज भी कई लोग उसके पास आते है । शादी के लिए पर इतनी मज़बूत हो गई है की सब का सामना करती है । फिर हँसी के साथ ज़िन्दगी जीने लगती है । मुझे ख़ुशी है आज में उसके पास आ गई उसी शहर में जहाँ हम साथ थे । पर उसका अकेलेपन कोई नहीं समझा सकता कोई नहीं जन सकता । इतनी ईमानदारी से कोई जीवन नहीं जी सकता । आज सब उसकी तारीफ करते है ....पर उसके खोखलेपन को कोई नहीं समझ पाता । वो महान नारी है ...क्योंकि पति को आजाद किया है बिना शर्त के .... पर उसके हाथ क्या है ? उसका प्यार कौन था? जीवन की सचाई क्या है ? कोई नहीं जो इसका जवाब दे । आज भी अपनी गलती जानना चाहती है पर कोई जवाब नहीं होत्ता सिवाय सब किस्मत पे डालने के ..........ओर लोगो की कडवी बाते के अंगारों के साथ ............. ।
4 टिप्पणियां:
nice story.
http://www.ashokvichar.blogspot.com
एक अच्छी कोशिश। वर्तनी में संपादन की आवश्यकता।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
Sangeeta ji, Ashok ji bahut bahut dhanyawaad .............
shyamlal ji mein poori koshish kaungi
एक टिप्पणी भेजें