गुरुवार, 30 जुलाई 2009

घुटन

अम्मा को सब से उम्मीद बहुत जायद है , उनहोंने किया वो सब करे- यहे ज़रूरी तो नहीं !
वसे उन्हें करके क्या मिला ..............गरीबी, लोगो के ताने आज वो सब तो अफसर है और अम्मा और हम वही .......................अपने बच्चो के प्रति भी उनकी कोई जवाब देरी बनती है की नहीं ........................? समय बदल गया है महंगाई बहुत है सब कुछ स्तातुस का खेल है अगर पैसा नहीं तो
अपने बच्चे भाई कोई नहीं पूछता ....यहे पता होता तो क्या बात थी ...आज लोग अपने लिए जीते है ..और जो असा करता है वो सफल भी है ।
जो चुप चाप कर रहा है तो कुछ नहीं आज पोता अच्छा कामा रहा है तो सब की उस पर निगाहे गाड़ी है पर उसकी ग्रहस्ती है उसके बच्चे होंगे उसके अरमान कभी किसी ने नहीं सोचा : सोचा तो बस पैसा देता जा बिना बोले । ।
उसकी शादी में जानने कितने रूपये ले लिये और सामान देने की बरी आए ............, तो मेरे पास भी नहीं मिला , सब ने दबा के रख लिया । बाद में ,पता चला कुछ बुआ ले आए ,कुछ माँ ले आए, कुछ पिताजी ले आए, न लेनेदेने के कपड़े दंग से आए, न कुछ किसी को दिया न लिया ..................
....किसी ने इनसे पुछा भी नहीं तुम कुछ अपनी पसंद का ले लो .................. सब को अपनी चिंता थी अपना नेग सब ने निकलवा के रख लिया । ..दुल्हन को आए .......चार दिन हो गए किसे ने दूद पूछ न मेवा ,जो किलो भर मेवा दुल्हन अपने मायके से लाये नहीं पता कहाँ गई .....................सारी रस्मे बस खानापूर्ति के हिसाब से करी गई .........................दुल्हन भी सीधी ...से कुछ बोली नहीं किसी को .........................बल्कि आते ही उसकी साडी दिलवा दे किसी को देने की लिए बाकि पे ननद निगाही थी । हमेशा दूसरो का करो यही सीख देती रही ........................पति के लिए लाइए हुए शर्ट देवर को दे दी ......उसके अरमानो का कोई मोल नहीं , कोई देख भाल नहीं .
.हमेशा सीख देत्ती रहती है दूसरो का करो करते रहो ..पर मेरे लिए किसी ने क्या किया ? ...जच्चा थी तो किसी ने खाने को नहीं पुछा कुछ नहीं ..सब को लगा कहीं बेटा दूर न हो जाए .....देवर को ज़रा खासी जुकाम में पूरा घर तबियत ख़राब करता है मेरे पति को कोई पूछता नहीं ...........चुप चाप करते है न ...........................बस पैसे जमा करवा दो ...........फिर जाओ भाद में ......................पति भी पता नहीं किस मिटते के बने है ..................सब सह लेते है पर मन में कभी तो सोचते ही होंगे ।
दो साल हो गए शादी को कोई नेग नहीं रखा है एक जानने ने हाथ पर पर दिलवाया इतना है की क्या बोले ...इनके पैसो पर मुझ बीवी को छोड़ सब ने मज़े किए है ...घर वाले तो मेरी ज़रूरत बस काम के टाइम पे है मुह पर सब मीठा बोलते है साब दिखवा लगता है ..हमेशा डरते है कहीं इन्हे न बड़का दू मुझे मेरी कर्तव्यों के बार्रे में बताते है जसे मिएँ चिट्टी बच्ची हु सब पागल बनते है मेन्हंगे गिफ्स की उम्मीद रखते है ख़ुद एक ने भी दंग का नेग नहीं दिया .........इन्हे देखते ही प्यार जतेते है जाते ही रूखे हो जाते है असा रोंना रोत्ते है की बस .....यहे पिघल जाते है।
.अगर सब कुछ करके सही रहता तो क्या दिकत थी में एक शब्द नहीं बोलती ...मेरे बच्चे को एक चीज़ नहीं दी .....अपनी बेटी और बेटा के बहु को सोना देने के लिए पैसा था मेरे बच्चे के १०० रुपये के कपड़े नहीं ला पाए .......में कोई धर्मात्मा नहीं ....देवर से भी तो ले सकते है पर वो रोना जानते है ....अपना पैसा दबा के रखते है ...............शादी में अपना और अपनी बीवी का सब किया ............बाकि मुझे तो नेग की एक साडी तक नहीं दी किसी ने ..........ननद भी तो कमाती है ......क्या दिया मुझया इन्हे ................पूरी शादी इन्होने की बच्चा पीड़ा होंने में किया ,पर बड़ी होंने के बाद भी नेग नहीं दे पाए .............देवर इतना कमाते है पर ..............सब समझ जमा कर रखा है ...................इतनी बड़ी कोठी खरीद ली एसा तो है नहीं डाका डाला .........जोड़ा ही है पैसा .
इनको बोलती हु ...............दुनिया दिखने की है आज में क्या एक किराये के मकान में रह रही हु कोई उम्मीद नहीं कभी अपना मकान होगा ........में तो एक कमरे के मकान में भी रह लू अगर मेरा हो पर एसा जिम्मेदार्री की भोझ में डाला है की निकल ही नहीं प् रही में ..क्या मेरे पति के कारन नहीं निकल प् रही .....?.
अभी घर में चार लोगो का इलाज हमे ही करवना होत्ता है ...........सब बड़ी बीमारिया .....................दीदी के बच्चो को ब्रांडेड कपड़े भेजे जाते है साल में २ बार मेरे बच्चो को साधारण कपड़े भी मिल जाए तो बहुत है ...................अकडा इतनी हमारा बेटा इतना कमाता है ...........दुल्हन तुम्हे कामने की ज़रूरत नहीं .........................वसे तो सही है सारा दिन इनकी चाकरी करू एक गिलास पानी तक कोई नहीं लेता ....... फिर नौकरी दोहरी मार............पर इनको देख लगता है कोहलू के बैल की तरह ज़िन्दगी निकल दी ...........कल मनु बड़ा होगा तो क्या बोलगा....................अपने मेरे लिए किया ही क्या ?
हमरे ज़माने की बच्ची तो नहीं ..............जो जसा रखा रह लिया ...............इतना लाखो कमाते हुए भी दिन बा दिन बदती महगाई और ज़रूरत ने सब बराबर कर रखा है . इतना बड़ा सर्कल था इनका आज सब बंगले कोठी में रहती है इनको कोई पूछता नहीं अब दुःख समझती हु पर कुछ कर नहीं सकती ।
एक बार बोला था ..........शादी के बाद तुम इतना मत करो थोड़ा बचा के रख लो पर तब समझ नहीं आया मुझ पर ही चिला पड़े तुम और लड़कियों की तरह मुझे मेरे परिवार की तरफ़ से दूर करना चाह रहो हो । .....
आज सोचती हु... काश तब ऐसा ही कर देती ...इनकी बड़ी ताई की तरह उन्हें  पता था ...................अम्मा के लिए जान भी दे दो तो वो कमी ढूंढ़ ही  लेंगी .........वसे भी जहाँ पैसे की कमी होत्ती है वह यहे सब बाते कुछ ज़यादा ही होत्ती है .................पैसा सब दबा देता है ...............................इनकी ताई सही रही करती भी तो कब तक तीन क्वारी  ननद ,बेरोजगार देवर आर उनकी पति उनके बच्चे और अम्मा बाबूजी ........कितना ही बड़ा अफसर हो इतने लोगो को कभी संतुस्ठ नहीं कर सकता ...................आज मेरे देवर के लिए अम्मा का जी लगा रहता है ...........जबकि सब सुख है सुविधा है ..........................अम्मा को ले नहीं जा रहा .........न मम्मीजी को सब मेरे पास रहते है ,पर तारीफ मेरी देवरानी की करते है .................वो एक को भी नहीं पूछती अपना कमाती है .....हर त्योहार यही करते है ताकि खर्च बच जाए एक पैसा नहीं खर्चेते दोनों मियाबीवी .......
आज इनसे ज़यादा कामा रह है पर एक अन्ना नहीं की ..........माँ बाप खर्च कर दे ...हमारी तो बहुत दूर की बात है .............हम इतने नीचे नहीं घिर  सकते की उनसे मांगे ।
हमने देवर के शादी में मैंने इतने अच्छे से सारी तयारी की थी ...............सब में अपना पैसा लगया ......................देवर ने एक पैसा अपनी जेब से नहीं दिया ........................शादी के बाद हर महीने कहीं न कहीं घुमने जात्ते रही। दोनों २ साल में मकान खरीद लिया ..............किसी को नहीं बताया । इन्हे बहुत लगता था मुझसे पूछे बिना कुछ नहीं करता अब देखो......पर में इनसे कुछ नहीं बोलती .................मुझे हमेश एक बात लगती थी अगर बड़े बुजुग  का आशीर्वाद है तो सब अच्छा होता है .पर अब सोचती हु यह  कलयुग है ,ताई जी भइया.. इसके उदहारण है ...............अपने लिया सोचा .सब उन्हें पूछते है .हमरे मुह पर उनकी बुराई करते है इनकी बडाई पर .............सब उनके घर जाते है वो सब का करते भी है .........वसे भी जमाना है यही है अपनों से नहीं बनती दूसरो से  बनती है ...यहे भी  भूल जाते है  आज जहाँ है  यहं पर फीस इन्होने ही  दी थी .
आज सोचती हु ...अगर बड़े बुडे अपने लिए सोचे तो उनका आशीर्वाद नहीं लगता . इसलिए ही में आज अपने पति को एक संसय में देखती हु । इतने अरमान थे ........इतनी चाहते थी .।भगवन ने मौका भी दिया सब करने का पैसा भी दिया। पर लापरवाही से फिर वोही आ गए।अपने बच्चे से उम्मीद लगा रह है ।में तू निर्मोही हो गई ,इनको साफ़ बोल दिया ,तुम्हारा बेटा तुम से कोई अपनात्वा प्यार नहीं रख पायेगा , उसके हिसाब  से उसके लिए तुमने कुछ नहीं किया और जिनके लिया किया उसे उसका महत्व नहीं ,यह्नी तुम गीता का पाठ  भूल गए । तुम उसके लिए कर सकते थे पर नहीं किया । मेरे मन और आचरण पर कोई बोझ नहीं ।पर तुम्हरे सपने अधूरे रहना का रंज इतना है की आत्मा को शान्ति न मिलेगी , मेरे लिए तुम्हारी खुशी ही सब कुछ है... आज तुम खुश नहीं.......... यह  में जानती हु ।
आज यह  सब जिनकी वजह से हम यह है .......वो तुमारी ग़लत मोनेटरी अर्रंगेमेंट बताते है यह  तुम्हारी  कमी है की तुम मकान नहीं खरीद पाए . वर ने कितना अच्छा कोठी खरीदे इतनी काम पगार में ..........................असलियत क्या है .....................कौन जाने ...........................तुम्हारा बच्चा  तुम्हे ताने देता है बीवी कभी ख़ुद को कभी भाग्य को कोसती है या शायद तुम से कह नहीं प् रहे हो  तुम दोषी हो उसके ...................पर वो खुश है उसने वादा किया था वो तुम्हरे हर निर्णय में तुम्हारा साथ देगी .................पर उससे उसके माँ बाप के घर से ज़यादा खुश रखना ..............................क्या तुम एसा कर पाए ?
या जिमेदारी के जाल में फसा कर उसे तनहा छोड़ दिया ..............वसे तुम्हे याद है कब हम घुमने गए कब हमने जी भर के शौपिंग की कब भर खाना खाया कब मुझे मायके भेजा ............?
वसे मैंने  ही जाना  बंद कर दिया .....................माँ सब पूछती डरती थी कभी मुह  से कुछ निकल गया तो .............सोचेंगी में खुश नहीं.... वसे भी आज माँ बहुत आमिर है भाई अच्छे से है बहिन तो बहार है ही सब बड़े आमिरो में आते है .....................में वह से भी पीछे हो गई जहन से चली ...थी
कभी लगता है बहुत निर्मोही हु में कितनी आसानी से माँ बाप को छोड़ कर इन् लोगो को अपना लिया ............... यह  लोग अभी नहीं अपना पराये  ..............पति को सारा जीवन यहे लगा की में परिवार को सही से नहीं देख पाऊँगी ........................जबकि पूरा जीवन इन पे डाल दिया .................................... देखती  हु बेटा क्या सोचता है .......................
शायाद  यहे निरमोहा इसलिए क्योंकि किसे ने मेरे मन और मेरी  चाहत को नहीं समझा ......................मेरी लेखनी मेरी शौक मेरे जूनून को किसने समझ नहीं ..................सब अपना अपना नजरिया मुझ पर थोपते रह ...... ...........................वसे में लड़ भी नहीं पाती  ....................थोडी जिद्दी  हु पर अपने रास्ते खोज लेती हु  रहन के ............चिक चिक से दम घुटा है ........................भला  ही लोग मुझे तेज़ बोलते है पर अपने लोगो के लिए लड़ना मुझे पसंद है ...................पर मेरे दुर्भाग्य मेरे पति मेरा बच्चा  मेरे माँ बाप तीनो सबसे जरुरी लोग मुझे नहीं समझ पाए ..................... किसी को यहे नहीं बता पाई ...............................मुझ में कोई कमी होगी .................... यह  सब तो ग़लत नहीं हो सखते एक विशेष बुद्धि जीवी वर्ग है आखिर जो समझ के बांये हुए ढर्रे पर चलने के आदि  है

बुधवार, 29 जुलाई 2009

खामोशी

खामोशी सताती है तन्हाई का एहसास कराती है
कभी कठिनाई के रास्ते और उल्जह्नो की जादोजाहेद से वाकिफ कराती है
कभी यादो के गलियारू में चुपके से संजोये खोबसूरत लम्हों को करीब ले आती है
उमर के बदने का एहसास करती है अपनी जिम्मेदारियों के कच्चे चिठे खोल जाती है
यहे तन्हाई और खामोशी की मिली भगत होत्ती है ,
दिल दे टूटे हुए अरमानो के रंज को कुरेद जाती है
हलकी से तीस उठती है समय के साथ उस पर मलहम लगाती जाती है
इस पडवा तक कितने अच्छे लोगो के नाम को धुधले बदलो में से निकल मुस्कान ला देती है
चोटी चोटी बातो के मतलब समझा जाती है
जवानी के दिनों के याद ताज़ा करा एक नया जोश भर जाती है
अल्दापन में की गई नादानियों की झलक दिखला जाती है
खामोशी और तन्हायी के साजिश है ,
ऊपर हाजिरी से पहले अपना लेखा जोखा बना जाती है
जीवन एक रील लगाने लगता है जिसके सतरंगी सफर पर ले जाती है
पुराने किले की तरह अपना बदन लगता है
कल तो यहे चुस्त था आज बीमारी का एहसास करा जाती है
संतुस्थी देती है अगर सब नीतिगत होता है
वरना दिल के टुकड़े बिखरने लगते है शर्म आती है अपने खवाबो को बुना ही क्यों था ?
वाही खवाब अपने बचो पे थोपने लगते है
फिर दूर अकेले रह जाते है हमेशा के लिए खामोशी में इन यादो के सहारे ॥

शुक्रवार, 24 जुलाई 2009

मोरे लिखे थिस

यदि आप सोचते हैं कि विश्व में प्रेम का प्रतीक ताजमहल केवल शाहजहां ने ही बनवाया था, तो आपकी जानकारी को थोडा दुरूस्त कीजिए। दुनिया में ऎसे लोगों की भी कमी नहीं है, जो इन दिनों अलग-अलग जगहों पर ताजमहल बनाकर सुर्खियों में आए हैं।
बेगम की याद में ताजमहलइतिहास खुद को दोहरा रहा है। आज के युग में भी पत्नी की याद में एक और ताजमहल बन रहा है। प्रेम की यह निशानी बन रही है बेंगलूरू में और इसे बनवा रहे हैं 86 साल के खाजा के. शरीफ । खाजा की पत्नी बेगम फखर सुलताना का 2001 में निधन हो गया था। खाजा उनसे बेपनाह मोहब्बत करते थे। इस मोहब्बत को मिसाल बनाने के लिए वेे 12 एकड जमीन पर ताज हैरिटेज का निर्माण करवा रहे हैं। इस पर वे अब तक करीब बीस करोड रूपए खर्च कर चुके हैं। हालांकि उनकी इमारत हूबहू ताजमहल की कॉपी जैसी नहीं होगी लेकिन उसका शिल्प पूरा ताजमहल जैसा ही होगा। खाजा का कहना है कि यह उनके प्रेम की निशानी है। दिलचस्प बात यह है कि बेगम फखर का अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के वंश से ताल्लुक था। खाजा ने अपनी कब्र की जगह भी बेगम की कब्र के पास ही सुरक्षित करवा दी है।
अब दुबई पहंुचा ताज!ताजमहल की प्रतिकृति की बात चले तो दुबई का नाम भी पीछे नहीं रह सकता। दुनिया के सबसे बडे टूरिज्म प्रोजेक्ट 'ग्लोबल विलेज' में भी खास ताजमहल की नकल तैयार की गई है। करीब चालीस हजार वर्गफीट में बनी यह प्रतिकृति मूल आकृति की तीन-चौथाई है। यहां दुबई का शॉपिंग फेस्टिवल चलता है, जिसे देखने हर साल चालीस लाख से ज्यादा पर्यटक दुबई पहुंचते हैं। इस इमारत की खास बात यह है कि इसमें जयपुर के पत्थर का इस्तेमाल हुआ है और इसे 600 कारीगरों ने तीन महीने में ही तैयार कर दिया है। इस विलेज में 160 देशों से जुडी चीजें प्रदर्शित हैं और दुनिया के सभी अजूबों को यहां एक ही जगह संजोने का प्रयास किया गया है।
तीलियों का तिलिस्मब्रिटेन के एक पेंशनर को शाहजहां और मुमताज की प्रेम कहानी ने इतना प्रभावित किया कि उन्होंने खुद एक और ताजमहल तैयार करने की ठान ली। वे ताज का शिल्प देखने के बाद काम में जुट गए और आठ महीने के अथक प्रयास में दस हजार तीलियों की मदद से यह कृति तैयार करने में कामयाब रहे। सत्तर वर्षीय रोन सेवोरी कहते हैं कि इस कृति को देखते ही उन्हें अपनी पत्नी एन की यादें ताजा हो जाती हैं। वे एक दिन पुस्तक में शाहजहां की कथा पढ रहे थे और तभी उन्हें भी एन की याद में एक ताजमहल बनाने का खयाल आया। रोन कहते हैं कि वे करोडों रूपए खर्च कर भी एन को इससे अच्छी श्रद्धाजंलि नहीं दे सकते थे।
गरीबों की खातिर ढाई अरब कुरबानअब ताजमहल की प्रतिकृति आपको बांग्लादेश में भी देखने को मिल जाएगी। ताज की यह नकल बांग्लादेशी फिल्मकार अहसानुल्ला मोनी ने तैयार कराई है। यह नकल उन्होंने देश की गरीब जनता के लिए तैयार कराई है। उनका कहना है कि वे चाहते हैं कि उनके देश के लोग भी मोहब्बत की इस निशानी को देख पाएं, लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से वे असली ताजमहल देखने के लिए हिंदुस्तान नहीं जा पाते। यह ताजमहल सोनारगांव में बना है और इसकी निर्माण लागत है करीब ढाई अरब रूपए। यह जगह राजधानी ढाका से महज एक घंटे की दूरी पर है। इसके निर्माण में करीब पांच साल लगे और इसमें इटली के मार्बल और ग्रेनाइट और बेल्जियम से आयातित हीरे जडे गए हैं। भले ही नकल की शान असली इमारत के मुकाबले बहुत कम हो, लेकिन मोनी अपने इस प्रयास से बेहद खुश हैं।
लकडी पर कलाकारीउडीसा के ही एक अन्य कलाकार अरूण कुमार मेहर ने ताजमहल की पांच फीट ऊंची लकडी की कृति तैयार की है। इस कृति में उन्होंने कोशिश की है कि वे असली ताजमहल के शिल्प को उतार सकें। उन्हें यह आकृति तैयार करने में तीन महीने लगे। वे कहते हैं कि जिसने ताजमहल नहीं देखा हो, वह उनकी कृति से ताज के शिल्प का अंदाजा लगा सकता है। अरूण इस कृति को कई प्रदर्शनियों में रखकर अपने हुनर की दाद पा चुके हैं। अब उनकी योजना असली ताज के आकार की कृति बनाने की है।
हमारा ताजमहल
ताजमहल के दरवाजे चारों दिशाओं की ओर देखते हुए हैं। 22 अंक ताजमहल के इतिहास में खासा महžव रखता है। जैसे कि ताज को बनने में 22 वर्ष का समय लगा (1631 से 1653), करीब 22,000 कारीगरों ने इस खूबसूरत इमारत को बनाया, इसके मुख्य दरवाजे में 22 गुंबज हंै, यहां तक कि ताजमहल में 22 सीढियां हैं। शाहजहां भी 22 जनवरी 1666 को इस दुनिया से रूखसत हुए थे।ताजमहल के बीचो-बीच लगे फव्वारों के दोनों तरफ लगभग सभी चीजें एक जैसी हैं केवल शाहजहां की कब्र को छोडकर।ताजमहल के बाई ओर लाल पत्थरों से बनी एक मस्जिद है, ऎसी ही एक इमारत दाई ओर भी है। जिसे मस्जिद तो नहीं कह सकते वह एक गेस्ट हाऊस है। यहां कुल 16 बगीचे हैं, 8 फव्वारों के बाई तरफ तो 8 दाइंü तरफ। यहां कुल 53 फव्वारें हंै, इमारत भी सन् 1653 में बन कर तैयार हुई। पूरी दुनिया में केवल यहीं पर चौकोर आकार के बगीचे हैं।इसे बनाने वाला वास्तुकार तुर्की से था, तुर्की भूकंप ग्रस्त देश था इसीलिए इस इमारत को ऎसी किसी प्राकृतिक आपदा से बचाने के लिए ताजमहल को साल की लकडी की 68 पटि्टयों पर खडा किया गया है। साल ऎसी लकडी है, जिसे जितना पानी मिले उतनी यह मजबूत रहती है। इसी वजह से इसे यमुना नदी के किनारे बनाया गया था।ताजमहल के दरवाजों पर अभ्रक की चादर लगी है, जिससे कमरों का तापमान नियंत्रित रहता है।यह इमारत फारसी शैली में बनाई गई है। दरवाजों की निर्माण शैली में हज-मक्का की झलक दिखाई देती है।ताजमहल में बने गंुबज भी हीरों के आकार के बने हैं, क्यूंकि मुमताज को हीरे बहुत पसंद थे।
प्रस्तुति: अंकिता माथुर

अब सितारों के सजने का नया फंडा है 'वैनिटी वैन'। एक ऎसा रूपमहल, जिसमें सजने-संवरने से लेकर आराम की हर एक सुविधा उपलब्ध है। फिल्मी सितारों में इन दिनों एक से बढकर एक वैनिटी वैन रखने की होड मची हुई है।
किराए पर भी हाजिरवैनिटी वैनऎसा नहीं है कि सभी बडे सितारे खुद की वैन रखते हैं। अकेले मुंबई शहर में ही 300 किराए की वैनिटी वैन उपलब्ध हंै। अक्षय कुमार सरीखे सितारे किराए की वैन इस्तेमाल करते हैं। कभी शाहरूख भी इसी कतार में शामिल थे। अक्षय तीन कमरों वाली एसी वैन इस्तेमाल करते हैं, जिसका रोजाना का किराया 8000 रूपए है। बिपाशा बसु और लारा दत्ता दो दरवाजों वाली वैन यूज करती हैं। अमूमन इनका प्रतिदिन का किराया 5500 रूपए है। वैनिटी वैन के धंधे से जुडे लोगों की मानें, तो अब अच्छी वैन बनाने में 30 लाख रूपए से चार करोड रूपए तक खर्चा आता है।
शाहरूख खानचलता-फिरता महललागत साढे तीन करोडकिंग खान की हाल ही खरीदी साढे तीन करोड रूपए लागत की वातानुकूलित वैनिटी वैन को लोग 'पैलेस ऑन व्हील्स' कहने लगे हैं। अंदर से महल का लुक देने वाली यह शानदार वैनिटी वैन 14 मीटर लंबी और पांच कमरों से युक्त है। वोल्वो की चेचिस पर बनी हाईटेक वैन में होम थिएटर से जुडी बडी एलसीडी स्क्रीन, कंप्यूटर, प्रिंटर, फोन, फैक्स, सेटेलाइट टीवी सिस्टम जैसी सभी सुविधाओं वाला खान का दफ्तर है, तो 52 इंच का एलसीडी स्क्रीनयुक्त सुसçज्ात बैडरूम भी। इससे सटे वॉशरूम में 24 घंटे पानी का बंदोबस्त है। आधुनिक किचन में माइक्रोवेव ओवन और फ्रीज जैसे उपकरण लाजमी हैं। शारीरिक तंदुरूस्ती के लिए जिम है, तो दिमागी कसरत के लिए लाइब्रेरी भी। वार्ड रोब से लेकर शू रैक तक, सब कुछ स्टाइलिश। इंटीरियर में क्रोम, स्टील, व्हाइट और ब्लैक स्टार्क रंगों का गजब का कॉम्बिनेशन है। वैन की सबसे खास चीज है, इसका हाइड्रोलिक सिस्टम, जो जरूरत के हिसाब से वैन की साइज कम ज्यादा कर सकता है। आखिर उसे मंुबई जैसे भीडभाड वाले शहर में चलना होता है। हाइड्रोलिक सिस्टम खडी रहने पर वैन की साइज दोगुनी कर सकता है। इसे मशहूर कार डिजाइनर दिलीप छाबडिया ने करीब तीन महीने में तैयार किया है।
संजय दत्तमुन्ना का विमान है वैनलागत तीन करोड रूपए मुन्ना भाई उर्फ संजय दत्त भी 12 मीटर लंबी आधुनिक वैनिटी वैन रखते हैं। इसकी लागत तीन करोड रूपए है। इसे डिजाइन करवाते समय संजय दत्त के जहन में फिल्म एअरफोर्स नंबर वन का विमान था। दिलीप छाबडिया ने इसे अलग ही ढंग से डिजाइन किया है, जो देखने में वैन सरीखी नजर नहीं आती। इसमें कई कमरे हैं, जिनकी साज-सज्ाा अलग-अलग ढंग से की है। वैन का एक हिस्सा संजय का दफ्तर है, तो दूसरे में बडा सा बार है। चारों कोनों में लगी प्लाज्मा स्क्रींस आपको बडे सिनेमाघर का एहसास कराती हैं। वातानुकूलित वैन की लाइटिंग व्यवस्था छूने से चलती है यानी टचस्क्रीन। अंदर की रोशनी रंग बदलती रहती है। यहां का ऑडियो वीडियो सिस्टम भी टच स्क्रीन है। साथ ही वैन में रखे कंप्यूटर में 10,000 गानों व फिल्मों का संग्रह है।
रितिक रोशनघर का एहसास देती वैनलागतदो करोड रूपए 'कहो न प्यार है' 'कोई मिल गया', 'कृश' जैसी सुपर-डुपर हिट फिल्में देने वाले रितिक भी आधुनिक वैनिटी वैन के मालिक हैं। 12 मीटर लंबी रितिक की वैन की खासियत है इसके भीतर लगे घूमने वाले शीशे। बिजली से संचालित ये शीशे 280 डिग्री पर मुड सकते हैं। दो हिस्सों में बंटी वैन का पहला हिस्सा रितिक दफ्तर के रूप में काम में लेते हैं। दिलीप छाबडिया की डिजाइन की गई यह वैन अंदर से ब्लैक एंड व्हाइट रंग की है। एसी वैन के पिछले हिस्से में आधुनिक बैडरूम और बाथरूम हैं। रितिक ने अपनी वैन में दो एलसीडी स्क्रीन लगा रखी हैं, जो उ“ा क्वालिटी के ऑडियो सिस्टम से जुडी हैं। वैन के अगले हिस्से में लगी एलसीडी स्क्रीन की साइज 52 इंच है, तो बैडरूम में 42 इंच का एलसीडी है।
विवेक ओबरॉयवैन नहीं ताजमहल कहिएलागतडेढ करोड रूपए भले ही ऎश्वर्या राय के पूर्व प्रेमी विवेक की फिल्में अधिक नहीं चली हों पर 'कंपनी' का यह डॉन स्टाइलिश वैनिटी वैन रखते हैं। करीब डेढ करोड रूपए लागत की वैन को बॉनिटो छाबडिया ने डिजाइन किया है। साढे 10 मीटर लंबी इस वातानुकूलित वैन में 50 इंच की एलसीडी स्क्रीन लगी है। दो हिस्सों में बंटी इस वैन के पहले भाग में विवेक का दफ्तर है। इसमें स्वचालित सोफे और बैड लगे हैं। साथ में आरामदायक और घूमने वाली कुर्सियां। विवेक इस हिस्से को मीटिंग रूम के रूप में इस्तेमाल करते हैं। वे यहां स्क्रिप्ट सुनने या पढने का काम करते हैं। वैन में मीडिया सेंटर भी है। वैन का दूसरा हिस्सा बिल्कुल अलग है, जिसमें बडा सा बिस्तर लगा है। छत पर आकाश का एहसास देने वाला इंटीरियर है। इंटीरियर में एअरक्राफ्ट में इस्तेमाल होने वाला सामान इस्तेमाल हुआ है। इसमें आधुनिक बाथरूम, जिम, बार और खानपान के लिए पेंट्री भी है। उम्दा लाइटिंग व्यवस्था जापान से मंगाए दो जनरेटर के सहारे चलती है। खुद विवेक इसे ताजमहल कहते हैं।
अजीत राठौड

सोमवार, 20 जुलाई 2009

प्यार की दास्ताँ

खयालो  में उन हँसी  लम्हों का तराना था जिंदगी
क्या उन पलो  का आशियाना था
हवा के झोको से सुर्ख होत्ते गालो का एक फ़साना था
 गर्दिश की अनोखी  दास्ताँ थी
 प्यार से अंजाम के डर से प्यार की पहल नहीं होत्ती
प्यार के दिवानो  का आलम न पूछिए ,
दरिया तक पर कर जाना आसान  होत्ता है
प्यार की खुमारी  में रात दिन नहीं होत्ते
सिर्फ़ इश्क की चार दिवारी होती  है
जिसमें  दीवानों की बारात  होती  है
यह देख उन पर तरस न खायी
यह तो  उनकी मेहरबान तक़दीर  होती  है
जिसने यहे मंजर दिखाया
नहीं तो तक़दीर की नाफरमानि है
इनकी ख्वाबो की फेहरिस्त  बहुत चोट्टी होती  है
गुलाब से शरु होकर महबूबा पे ख़तम होती  है
जान तो इनके लिए एक छोटी  से चीज़ होती  है
जो हथेली पर घूमते है कभी भी दे देते है
यहे अधूरी  हो या पूरी यह किस्मत की बात है
लेकिन पूरी होंने पर प्यार न करने की सलाह होत्ती है
अधूरी  रहने पर प्यार की दास्ताँ लिखी होत्ती है ।

रविवार, 19 जुलाई 2009

Matrimonial

यह है मेरी daughter  का matrimonialजो है  ओमेली fair or beautiful 
Education भी है मस्त कराई
MA  में सिर्फ़ पास 
BA में कर दिया कमाल ३ डिविजन है बनाई
कोई बात नहीं १२ में सुप्प्लेमेंट्री आई
१० से तो  better कर दिखाया couplimentry  तो नहीं लाई
स्पेशल एक्सपर्ट से tution लगवाई
सिलाई बनाई कुकिंग है कराई
कंप्यूटर का है सम्पुर्ण ध्यान hack
से ले कर  virus  डालने का है ज्ञान
लड़की को versatile बनाया

स्वीमिंग ड्राइविंग martial  आर्ट में पारंगत  बनाया
यहे आपका  भाग्य है लाडू  आपके बेटे के हाथ है

 खाए या न खाए आपके बेटे के हाथ है
चेक और जैक दोनों का साथ है
भाई बहिन ने की डॉक्टर इंजीनियरिंग की पदाई
क्या फर्क लड़की ने काम अक्ल पाई
दहेज की है फुल सप्लाई
फिर डरने की क्या है बात
कार्ड छपने की जल्द करते है बात ।

गुरुवार, 16 जुलाई 2009

किस्मत की गलती

किस्मत की गलतीपता नहीं क्यों ....आज बहुत मन उदास था ,ऐसा लग रहा था की क्यों हमेशा उसके साथ ही ऐसा होत्ता है। ...क्यों ...कोई उसे समझ नहीं पाता ।हमेशा उससे अपने होंने का एहसास करना होत्ता है ।... यह  चौथी बार है जब उसे अपना अस्तिव्त छोड़ कर नया बनाना पड़ा रहा है । आज तो उसे संत्ताव्ना देना के लिए भी शब्द नहीं है । सही है यह मन किसी  के वश में नहीं होत्ता है ..... जब किसी के वश  में आता है ...तो कुछ नहीं कर पाते ,बस देखते रहते है दूर से तमाशा । फिर वही  पुराने दिन याद हो आए जब हम दोनो सहेली मज़े से घुमा करते थे । आने वाले जीवन के रंगीन सपने बुनते थे । उसके पास तो रोज़ बातों  का पिटारा  होता था । वह निरल से बात करते थी ।
निरल --उसका पहला प्यार । मुझे उसकी बाते सुनाने में मज़ा आता था । पर वो निर्दयी उसके दस साल के प्यार को t कर ठुकरा कर चला गया । उससे भी बुरा यह  की उसके कॉलेज की साथी रिया के साथ शादी कर लि, वो तीन साल तक इस गम से नहीं निकल पाई । वो लड़का जिसके लिए उसने अपना  करियर और जीवन का हर ...छोटा बड़ा फेसला उसके हिसाब से किया .......अपना रहना अपना  करियर ....अपना  जीवन के हर राह....... सब उसके मन के हिसाब से किया ....और वो उससे छोड़ के चल गया ।
उसका अपने  पे कोई वश नहीं था... पागलो की तरह अपने  कर्तव्य निभा  रही थी । माँ पिताजी की देखभाल अपनी पडी बहिन की पढ़ाई सब देखना था उसे ,निरल तू बस कहन दिया अगर उससे शादी कर तो उसकी माँ जाने से मर जानने की धमकी दे रही है ,यह  धमकी  शीतू भी दे सकती थी ,पर नहीं उसे लिये बोलती थी उसने कभी उसके साथ बुरा बर्ताव नहीं किया ।कभी अपनी सीमायों  को नहीं भुला सकती ।
फिर जसे तेसे जीवन को सही रहा पर लाइए की सके पड़ोसी ने ही उसी घेर लिया । छ महीने बाद वो भी कहीं जॉब के लिए चला गया और वही के लड़की से सगाई कर । मोहित ,शीतू से छोटा  था..... चार साल पर इतना प्यार लुटाया की शायद शीतू कभी नहीं भूल पाए। उसे जीवन से निकला कर कभी मिला ही नहीं कोई जन पहचान नहीं । मेरा दिल करता था गलिया दे कर मरू पर शीतू ने एक बार फिर माफ़  कर दिया ।
सब को शादी की चिंता बड़ी सता  रही थी ,लड़के देखे जा रही थे पर उससे कोई पसंद नहीं आता .......जो आता उससे मिलने का बाद शादी नहीं करना चाहती । जसे तेसे एक अच्छा लड़का मिला और सगाई हो गई रोज़ फ़ोन पर बातें  शरू हो गई ।
पर अपनी बहिन के यह रहने गई तो उसके देवर का दिल आगया इस पर ,और यहे भी उसी पसंद करने लगी और सगाई तोड़ दी ।
जब अजय से शादी की बात की तो उसे माँ पापा राजी नहीं हुए और वो भी मुकर गया ,यह  शीतू का तीसरा झटका था ,अब उसका सब पर से विश्वास उठा गया । और उसके घर वालो का उस पर से । पर यहे सब मन है जो बावरा होत्ता है ,उसका प्यार जैसी   चीज़ से मन उब गया सब छोड़ कर दुसर शहर चली गई । साल के बाद उसकी माँ ने एक जगह उसकी सगाई कर दी , उसने भी चुप चाप बिना कुछ पूछे शादी कर ले बढ़िया घर अच्छा लड़का सब कुछ अच्छा था । इस बार उसकी माँ ने होने पे बात नहीं करने दी न ही शीतू ने कुछ नहीं कहाँ । शादी से दस दिन पहले बात की सब सही लगा ,धूम धाम से शादी हो गई ।
इतना बड़ा बंगला इतना अच्छा लड़का सब अच्छा । शीतू रम गई सब भूल गई । पर होंनी को कुछ मंज़ूर था उसके एक प्यारी सी बेटी हुए । एक दिन पता चल उसका पति किसी ओर को पसंद करता है । शीतू फिर अप्पने बच्चे के साथ अकली हो गई ।
कभी पलट कर किसी से नहीं  पछा उसकी क्या गलती थी । हर रिश्ता इतनी ईमानदारी के साथ निभाया  , पर आज सके पास क्या था ? कभी किसी जिमेदारी से मुह नहीं मोड़ा ...... पर सब ने उससे मुह मोडा लिया । लेकिन आज वो बड़ी लेखिका है और कालेज में अपने डिपार्टमेन्ट की हेड है । कोई कमी नहीं । आज भी कई लोग उसके पास आते है । शादी के लिए पर इतनी मज़बूत हो गई है की सब का सामना करती है । फिर हँसी के साथ ज़िन्दगी जीने लगती है । मुझे ख़ुशी  है आज में उसके पास आ गई उसी शहर में जहाँ हम साथ थे । पर उसका अकेलेपन कोई नहीं समझा सकता कोई नहीं जन सकता । इतनी ईमानदारी से कोई जीवन नहीं जी सकता । आज सब उसकी तारीफ करते है ....पर उसके खोखलेपन को कोई नहीं समझ पाता । वो महान नारी है ...क्योंकि पति को आजाद किया है बिना शर्त के .... पर उसके  हाथ क्या है ? उसका प्यार कौन था? जीवन की सचाई क्या  है ? कोई नहीं जो इसका जवाब दे । आज भी अपनी गलती जानना चाहती  है पर कोई जवाब नहीं होत्ता सिवाय सब किस्मत पे डालने के  ..........ओर लोगो की कडवी बाते  के अंगारों के साथ ............. ।

बुधवार, 15 जुलाई 2009

Tears

It dropped down itself
It thought itself
Heart goes sad
If not then I will die
I was destroyed
But the silent movement stabiles the thoughts
All the things start changing
Without any concern of my mind
Opposes the way  things happend
Silent language of tears
Saves the life of many person
They  our best friends
As when we wish to laugh
Tears are there to stabilize us

पति पत्नी

एक पति ---काश एसा न हो
1। अपने हिसाब से मुझे बदलना क्यों चाहती हो तुम? मैं डार्क ब्ल्यू ट्राउजर के साथ क्रीम कलर की शर्ट पहनना चाहूं तो क्यों अड जाती हो कि लाइट ब्ल्यू शर्ट ही पहनूं? साथ में आरोप कि मुझमें तो कलर सेंस है ही नहीं?
2. टीवी पर क्रिकेट चल रहा हो तो साक्षात यमलोक की दूत बन जाती हो। जब-तब आंखें तरेरकर यूं जताती हो, जैसे मैंने गुनाह कर दिया हो। तुम्हारे सास-बहू वाले सीरियल देखने पर मैंने कभी एतराज किया क्या?
3. मेरी मां आएं तो तुम्हारे चेहरे से इतनी बेचारगी झलकती है मानो दुखों का पहाड टूट पडा हो। तुम्हारी मां आ जाएं तो खुशी रोके नहीं रुकती। मैं ही घर में मेहमान बन जाता हूं।
4. करवाचौथ का व्रत क्या रखती हो, साल भर उसी का ताना देती रहती हो। मैं जो खाना समय पर न बनने, जल जाने के कारण रोज दफ्तर भूखा जाता हूं, उसकी कोई परवाह नहीं!
5. टीवी वाली कुसुम या कुमकुम ही तुम्हारी आइडियल हैं। उनकी जैसी साडी या ज्यूलरी ही चाहिए तुम्हें। फैशन पर तुम्हारी डिक्शनरी फादर कामिल बुल्के को भी मात कर दे। शुक्र है खुदा का कि लेटेस्ट स्टाइल का पति नहीं चाहिए तुम्हें, वर्ना..।
6. सुबह मेरे अखबार पढने पर कितना नाक-भौं सिकोडती हो। चाय की प्याली ऐसे देती हो गोया एहसान कर रही हो। दोबारा चाय मांगने की हिमाकत तो मैं बेचारा कर ही नहीं सकता।
7. मेरा तो संडे भी तुम्हारे चक्कर में शहीद हो जाता है। उसी दिन तुम्हें सारी शॉपिंग करनी है, रिश्तेदारों के घर जाना है, फिल्म देखनी है, बाहर डिनर करना है। बाहर डिनर का तुम्हारा प्रोग्राम रूखे-सूखे भोजन के आदी हो चुके मेरे पेट पर कितना भारी पडता है- तुम क्या जानो।
8. जरा सा वजन क्या बढ गया कि अदनान सामी को दिखा-दिखाकर मुझे आत्मग्लानि से भर देती हो कि देखो उसने कितना वजन घटा लिया और एक तुम हो कि..उंह?
9. तुम्हारे लिए तो बहनों-सखियों के पति ही परमेश्वर हैं, मैं नहीं। वे कितनी महंगी साडियां अपनी पत्नी को गिफ्ट करते हैं, बर्थ डे पर डायमंड रिंग देते हैं। मैं जो तुम्हारी फरमाइशें पूरी करता रहता हूं, उसकी कोई कद्र ही नहीं।
10। माना कि मेरी मैथ्स कमजोर है, लेकिन इसका फायदा तुम खूब उठाती हो। हर बार भारत सरकार की तरह तुम्हारा बजट घाटे में जाता है, हर बार मेरी पॉकेट में सेंध लगाकर तुम मुझ गरीब जनता पर कहर ढाती हो।
एक पत्नी --काश एसा न हो
1. वाकई तुम्हें कलर सेंस नहीं है। अपने सहकर्मियों को देखो, कितने स्मार्ट दिखते हैं!
2. चौके-छक्के वाला क्रिकेट! खुद तो दिन भर सोफे पर लेटकर तालियां बजाओगे या सिर पीटोगे, मैं दिन भर किचेन में घुसकर चाय-कॉफी की फरमाइशें पूरी करूं। इंडिया हारे तो मेरी गलती, सारा गुस्सा मुझ पर ही उतरता है।
3. तुम्हारी मां! आती हैं तो पूरे घर को आसमान में उठा लेती हैं। बहू, जरा चिल्ले बना देना, गर्म सूप बना देना, बडी सर्दी है..। मेरी मां आकर पूरी किचेन संभालती हैं, मुझे आराम देती हैं तो क्यों न रहूं मैं खुश!
4. करवाचौथ का व्रत तुम्हारे लिए ही रखती हूं, लेकिन तुम्हें तो उस दिन भी दफ्तर में देर तक रुकने का बहाना मिल जाता है। तुम भी कभी करके देखो इतना त्याग मेरी खातिर।
5. चित भी मेरी और पट भी मेरी। अछी न दिखूं तो मुझे फूहड कहोगे। फैशन में दिलचस्पी लूं तो फैशनेबल हूं? चाहते क्या हो तुम?
6. घर के नून-तेल की चिंता हो न हो, अखबार पढकर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मसलों पर बहस जरूर करोगे। दुनिया के बारे में सोचते हो-कभी मेरे बारे में भी सोचकर देखो।
7. रोज तुम्हारे और बच्चों के लिए ही काम करती हूं। संडे को मेरा भी मन होता है कि बाहर घूमने जाऊं, लेकिन तुम्हें कितने बहाने याद आ जाते हैं। हां, अगर अपने दोस्तों से मिलना हो तो तुम्हारे पास खूब समय रहता है।
8. उफ! कितनी शिकायतें हैं तुम्हें मुझसे। शादी से पहले मेरी कितनी तारीफ करते थे, इतनी जल्दी बदल जाओगे, मुझे मालूम न था।
9. आज तक कभी एक फूल भी तुमने दिया? जीजाजी और सहेलियों के पतियों के गुण गाती हूं इसलिए क्योंकि वे अपनी पत्नियों का खयाल रखते हैं। एक तुम हो, बर्थ डे, मैरेज एनिवर्सरी तक याद नहीं रख सकते, मुझे गिफ्ट क्या दोगे!
10. तुम्हें लगता है मैं फिजूलखर्च हूं। किसी तरह इतने कम पैसे में घर चलाती हूं। मुश्किल वक्त में मैं ही छुपाकर रखे गए पैसे तुम्हें देती हूं, अपने ऊपर तो खर्च नहीं करती।

MBA in Lovology

In cascading pile of boy friendz,
I am searching for true love,
But I was shocked to know it extinct.
Now is the trenz of professional love ,
Where affection turns to expectation,
Blushing switches to smartness ,
Devotion shifts to infatuation ,
Commitment is handled by passion ,
Bonding change to body ,
Trust and sharing replaced by demands and fulfillment,
Beauty change to boldness,
Simplicity change to accessories,
Dedication changes to requirement ,
Roaming in garden ,writing letters ,praying they are outdated,
Now going to disco, late night party, drinks ,money, drugs, independencies ,movies , expoure , disobedience, these are main properties of professional love.join the masters in lovology SUGGESTION FROM A 10YEARS REGULAR STUDENT ,MAY BE I CLEAR THIS YEAR

मंगलवार, 14 जुलाई 2009

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शुक्रवार, 10 जुलाई 2009

Life is bundle of surprises

Life is bundle of surprises ……
The turn u decide change its direction jst by one action
U r turned by your own u r mold by ours
U r choices and arguments r use less
The bearing and baring of the part had been given in the particular formats
The style and the perfection have revealed inside one
THE diplomacy and the simplicity merge in it
Swiftly fly the wings in the sky u see u r gone
Break the limits and shift to the part ur heart says .
Ur tears r always in vane ,u r work, ur feelings r always vague
U r smile is fake ,u r doing have no matter u r no where
Ur standings r exceptional,
Never unleash ur thought they hav no respect no hearing
U r presence is ignorant ur bonds might go stronger
Both ends thgd they r compromising they sacrificing they r wrking on relation but all fake ………………