बुधवार, 8 अगस्त 2012

कौन कहता है की वो हमसे प्यार करते है

कौन कहता है की वो हमसे प्यार करते है
हर लव्ज़ में एक शिकायत होती है
नज़र में नाराज़गी रहती है
कभी समय की शिकायत
 कभी काम का बोझ
न कोई छुट्टी न कोई धूम
बस एक नाखुशी सी रहती है
एक शिकवा रहती है जिसका कारण  नहीं ढून्ढ पाते  है
सब कुछ रहते हुए कुछ नहीं होता
सब  छुटा   छुटा  लगता है ..



कौन कहता है की वो हमसे प्यार करते है
हर लव्ज़ में एक शिकायत होती है
बातों से दिल तोड़ देते है
कभी मुह मोड़ लेते है
अकेले में हम घुटते रहते है
 ख्वाइशों  को नकार देते है
बात बोलने से पहेले चुप कर देते है
 सब टुटा टुटा लगता है ....


कौन कहता है की वो हमसे प्यार करते है
हर लव्ज़ में एक शिकायत होती है
दिल के गिला दिमाग नहीं मिटा पाता  है
मन के  द्वन्द छंद बन कर मंडराते  है
तुम्हारे प्यार में भीगने  के सपने थे
आज हम  बोझ  से लगते है
कोई  मौका नहीं छोड़ते हमसे नाराज़गी जताने का


कौन कहता है की वो हमसे प्यार करते है
हर लव्ज़ में एक शिकायत होती है
शादी की सालगिरह याद होते भी नहीं याद आती
अपने तोहफे काम सदा संपूर्ण हो समय पर यहे अस नहीं जाती
अपने गुस्से को भी प्यार का नाम दिया जाता है
प्यार जतना नहीं आता कभी नारी  का भी प्यार देखो
कपडे प्रेस करने से डब्बा बंधने में बंधे प्यार को देखो
गुस्सा करते खाना   बनाते देखो
बच्चे के  साथ पूरा दिन खाना ,कपडे,रिस्तेद्दर
सब निभना  असं तो नहीं
 बदले में क्या माँगा दो प्यार के बोल
क्या इसके भी काबिल नहीं हम


कौन कहता है की वो हमसे प्यार करते है
हर लव्ज़ में एक शिकायत होती है
काश मेरी बच्चा इस दोगले  पन   में न रहे
 नहीं फर्क वो जोर का गुलाम ही क्यों न कहलये
इज्ज़त देना और सम्मान बहुत ज़रूरी है प्यार के लिए
 जीवन में प्यार के बोल भी बहुत काम कर देते है
प्यार   प्यार चिल्ला कर तो  मिलता वो खुशनसीब होत्ते है 
महसूस  तो हो ही जाता है  एक बार कह दो तो रह आसन  हो जाती है