शुक्रवार, 24 जुलाई 2009

मोरे लिखे थिस

यदि आप सोचते हैं कि विश्व में प्रेम का प्रतीक ताजमहल केवल शाहजहां ने ही बनवाया था, तो आपकी जानकारी को थोडा दुरूस्त कीजिए। दुनिया में ऎसे लोगों की भी कमी नहीं है, जो इन दिनों अलग-अलग जगहों पर ताजमहल बनाकर सुर्खियों में आए हैं।
बेगम की याद में ताजमहलइतिहास खुद को दोहरा रहा है। आज के युग में भी पत्नी की याद में एक और ताजमहल बन रहा है। प्रेम की यह निशानी बन रही है बेंगलूरू में और इसे बनवा रहे हैं 86 साल के खाजा के. शरीफ । खाजा की पत्नी बेगम फखर सुलताना का 2001 में निधन हो गया था। खाजा उनसे बेपनाह मोहब्बत करते थे। इस मोहब्बत को मिसाल बनाने के लिए वेे 12 एकड जमीन पर ताज हैरिटेज का निर्माण करवा रहे हैं। इस पर वे अब तक करीब बीस करोड रूपए खर्च कर चुके हैं। हालांकि उनकी इमारत हूबहू ताजमहल की कॉपी जैसी नहीं होगी लेकिन उसका शिल्प पूरा ताजमहल जैसा ही होगा। खाजा का कहना है कि यह उनके प्रेम की निशानी है। दिलचस्प बात यह है कि बेगम फखर का अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के वंश से ताल्लुक था। खाजा ने अपनी कब्र की जगह भी बेगम की कब्र के पास ही सुरक्षित करवा दी है।
अब दुबई पहंुचा ताज!ताजमहल की प्रतिकृति की बात चले तो दुबई का नाम भी पीछे नहीं रह सकता। दुनिया के सबसे बडे टूरिज्म प्रोजेक्ट 'ग्लोबल विलेज' में भी खास ताजमहल की नकल तैयार की गई है। करीब चालीस हजार वर्गफीट में बनी यह प्रतिकृति मूल आकृति की तीन-चौथाई है। यहां दुबई का शॉपिंग फेस्टिवल चलता है, जिसे देखने हर साल चालीस लाख से ज्यादा पर्यटक दुबई पहुंचते हैं। इस इमारत की खास बात यह है कि इसमें जयपुर के पत्थर का इस्तेमाल हुआ है और इसे 600 कारीगरों ने तीन महीने में ही तैयार कर दिया है। इस विलेज में 160 देशों से जुडी चीजें प्रदर्शित हैं और दुनिया के सभी अजूबों को यहां एक ही जगह संजोने का प्रयास किया गया है।
तीलियों का तिलिस्मब्रिटेन के एक पेंशनर को शाहजहां और मुमताज की प्रेम कहानी ने इतना प्रभावित किया कि उन्होंने खुद एक और ताजमहल तैयार करने की ठान ली। वे ताज का शिल्प देखने के बाद काम में जुट गए और आठ महीने के अथक प्रयास में दस हजार तीलियों की मदद से यह कृति तैयार करने में कामयाब रहे। सत्तर वर्षीय रोन सेवोरी कहते हैं कि इस कृति को देखते ही उन्हें अपनी पत्नी एन की यादें ताजा हो जाती हैं। वे एक दिन पुस्तक में शाहजहां की कथा पढ रहे थे और तभी उन्हें भी एन की याद में एक ताजमहल बनाने का खयाल आया। रोन कहते हैं कि वे करोडों रूपए खर्च कर भी एन को इससे अच्छी श्रद्धाजंलि नहीं दे सकते थे।
गरीबों की खातिर ढाई अरब कुरबानअब ताजमहल की प्रतिकृति आपको बांग्लादेश में भी देखने को मिल जाएगी। ताज की यह नकल बांग्लादेशी फिल्मकार अहसानुल्ला मोनी ने तैयार कराई है। यह नकल उन्होंने देश की गरीब जनता के लिए तैयार कराई है। उनका कहना है कि वे चाहते हैं कि उनके देश के लोग भी मोहब्बत की इस निशानी को देख पाएं, लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से वे असली ताजमहल देखने के लिए हिंदुस्तान नहीं जा पाते। यह ताजमहल सोनारगांव में बना है और इसकी निर्माण लागत है करीब ढाई अरब रूपए। यह जगह राजधानी ढाका से महज एक घंटे की दूरी पर है। इसके निर्माण में करीब पांच साल लगे और इसमें इटली के मार्बल और ग्रेनाइट और बेल्जियम से आयातित हीरे जडे गए हैं। भले ही नकल की शान असली इमारत के मुकाबले बहुत कम हो, लेकिन मोनी अपने इस प्रयास से बेहद खुश हैं।
लकडी पर कलाकारीउडीसा के ही एक अन्य कलाकार अरूण कुमार मेहर ने ताजमहल की पांच फीट ऊंची लकडी की कृति तैयार की है। इस कृति में उन्होंने कोशिश की है कि वे असली ताजमहल के शिल्प को उतार सकें। उन्हें यह आकृति तैयार करने में तीन महीने लगे। वे कहते हैं कि जिसने ताजमहल नहीं देखा हो, वह उनकी कृति से ताज के शिल्प का अंदाजा लगा सकता है। अरूण इस कृति को कई प्रदर्शनियों में रखकर अपने हुनर की दाद पा चुके हैं। अब उनकी योजना असली ताज के आकार की कृति बनाने की है।
हमारा ताजमहल
ताजमहल के दरवाजे चारों दिशाओं की ओर देखते हुए हैं। 22 अंक ताजमहल के इतिहास में खासा महžव रखता है। जैसे कि ताज को बनने में 22 वर्ष का समय लगा (1631 से 1653), करीब 22,000 कारीगरों ने इस खूबसूरत इमारत को बनाया, इसके मुख्य दरवाजे में 22 गुंबज हंै, यहां तक कि ताजमहल में 22 सीढियां हैं। शाहजहां भी 22 जनवरी 1666 को इस दुनिया से रूखसत हुए थे।ताजमहल के बीचो-बीच लगे फव्वारों के दोनों तरफ लगभग सभी चीजें एक जैसी हैं केवल शाहजहां की कब्र को छोडकर।ताजमहल के बाई ओर लाल पत्थरों से बनी एक मस्जिद है, ऎसी ही एक इमारत दाई ओर भी है। जिसे मस्जिद तो नहीं कह सकते वह एक गेस्ट हाऊस है। यहां कुल 16 बगीचे हैं, 8 फव्वारों के बाई तरफ तो 8 दाइंü तरफ। यहां कुल 53 फव्वारें हंै, इमारत भी सन् 1653 में बन कर तैयार हुई। पूरी दुनिया में केवल यहीं पर चौकोर आकार के बगीचे हैं।इसे बनाने वाला वास्तुकार तुर्की से था, तुर्की भूकंप ग्रस्त देश था इसीलिए इस इमारत को ऎसी किसी प्राकृतिक आपदा से बचाने के लिए ताजमहल को साल की लकडी की 68 पटि्टयों पर खडा किया गया है। साल ऎसी लकडी है, जिसे जितना पानी मिले उतनी यह मजबूत रहती है। इसी वजह से इसे यमुना नदी के किनारे बनाया गया था।ताजमहल के दरवाजों पर अभ्रक की चादर लगी है, जिससे कमरों का तापमान नियंत्रित रहता है।यह इमारत फारसी शैली में बनाई गई है। दरवाजों की निर्माण शैली में हज-मक्का की झलक दिखाई देती है।ताजमहल में बने गंुबज भी हीरों के आकार के बने हैं, क्यूंकि मुमताज को हीरे बहुत पसंद थे।
प्रस्तुति: अंकिता माथुर

अब सितारों के सजने का नया फंडा है 'वैनिटी वैन'। एक ऎसा रूपमहल, जिसमें सजने-संवरने से लेकर आराम की हर एक सुविधा उपलब्ध है। फिल्मी सितारों में इन दिनों एक से बढकर एक वैनिटी वैन रखने की होड मची हुई है।
किराए पर भी हाजिरवैनिटी वैनऎसा नहीं है कि सभी बडे सितारे खुद की वैन रखते हैं। अकेले मुंबई शहर में ही 300 किराए की वैनिटी वैन उपलब्ध हंै। अक्षय कुमार सरीखे सितारे किराए की वैन इस्तेमाल करते हैं। कभी शाहरूख भी इसी कतार में शामिल थे। अक्षय तीन कमरों वाली एसी वैन इस्तेमाल करते हैं, जिसका रोजाना का किराया 8000 रूपए है। बिपाशा बसु और लारा दत्ता दो दरवाजों वाली वैन यूज करती हैं। अमूमन इनका प्रतिदिन का किराया 5500 रूपए है। वैनिटी वैन के धंधे से जुडे लोगों की मानें, तो अब अच्छी वैन बनाने में 30 लाख रूपए से चार करोड रूपए तक खर्चा आता है।
शाहरूख खानचलता-फिरता महललागत साढे तीन करोडकिंग खान की हाल ही खरीदी साढे तीन करोड रूपए लागत की वातानुकूलित वैनिटी वैन को लोग 'पैलेस ऑन व्हील्स' कहने लगे हैं। अंदर से महल का लुक देने वाली यह शानदार वैनिटी वैन 14 मीटर लंबी और पांच कमरों से युक्त है। वोल्वो की चेचिस पर बनी हाईटेक वैन में होम थिएटर से जुडी बडी एलसीडी स्क्रीन, कंप्यूटर, प्रिंटर, फोन, फैक्स, सेटेलाइट टीवी सिस्टम जैसी सभी सुविधाओं वाला खान का दफ्तर है, तो 52 इंच का एलसीडी स्क्रीनयुक्त सुसçज्ात बैडरूम भी। इससे सटे वॉशरूम में 24 घंटे पानी का बंदोबस्त है। आधुनिक किचन में माइक्रोवेव ओवन और फ्रीज जैसे उपकरण लाजमी हैं। शारीरिक तंदुरूस्ती के लिए जिम है, तो दिमागी कसरत के लिए लाइब्रेरी भी। वार्ड रोब से लेकर शू रैक तक, सब कुछ स्टाइलिश। इंटीरियर में क्रोम, स्टील, व्हाइट और ब्लैक स्टार्क रंगों का गजब का कॉम्बिनेशन है। वैन की सबसे खास चीज है, इसका हाइड्रोलिक सिस्टम, जो जरूरत के हिसाब से वैन की साइज कम ज्यादा कर सकता है। आखिर उसे मंुबई जैसे भीडभाड वाले शहर में चलना होता है। हाइड्रोलिक सिस्टम खडी रहने पर वैन की साइज दोगुनी कर सकता है। इसे मशहूर कार डिजाइनर दिलीप छाबडिया ने करीब तीन महीने में तैयार किया है।
संजय दत्तमुन्ना का विमान है वैनलागत तीन करोड रूपए मुन्ना भाई उर्फ संजय दत्त भी 12 मीटर लंबी आधुनिक वैनिटी वैन रखते हैं। इसकी लागत तीन करोड रूपए है। इसे डिजाइन करवाते समय संजय दत्त के जहन में फिल्म एअरफोर्स नंबर वन का विमान था। दिलीप छाबडिया ने इसे अलग ही ढंग से डिजाइन किया है, जो देखने में वैन सरीखी नजर नहीं आती। इसमें कई कमरे हैं, जिनकी साज-सज्ाा अलग-अलग ढंग से की है। वैन का एक हिस्सा संजय का दफ्तर है, तो दूसरे में बडा सा बार है। चारों कोनों में लगी प्लाज्मा स्क्रींस आपको बडे सिनेमाघर का एहसास कराती हैं। वातानुकूलित वैन की लाइटिंग व्यवस्था छूने से चलती है यानी टचस्क्रीन। अंदर की रोशनी रंग बदलती रहती है। यहां का ऑडियो वीडियो सिस्टम भी टच स्क्रीन है। साथ ही वैन में रखे कंप्यूटर में 10,000 गानों व फिल्मों का संग्रह है।
रितिक रोशनघर का एहसास देती वैनलागतदो करोड रूपए 'कहो न प्यार है' 'कोई मिल गया', 'कृश' जैसी सुपर-डुपर हिट फिल्में देने वाले रितिक भी आधुनिक वैनिटी वैन के मालिक हैं। 12 मीटर लंबी रितिक की वैन की खासियत है इसके भीतर लगे घूमने वाले शीशे। बिजली से संचालित ये शीशे 280 डिग्री पर मुड सकते हैं। दो हिस्सों में बंटी वैन का पहला हिस्सा रितिक दफ्तर के रूप में काम में लेते हैं। दिलीप छाबडिया की डिजाइन की गई यह वैन अंदर से ब्लैक एंड व्हाइट रंग की है। एसी वैन के पिछले हिस्से में आधुनिक बैडरूम और बाथरूम हैं। रितिक ने अपनी वैन में दो एलसीडी स्क्रीन लगा रखी हैं, जो उ“ा क्वालिटी के ऑडियो सिस्टम से जुडी हैं। वैन के अगले हिस्से में लगी एलसीडी स्क्रीन की साइज 52 इंच है, तो बैडरूम में 42 इंच का एलसीडी है।
विवेक ओबरॉयवैन नहीं ताजमहल कहिएलागतडेढ करोड रूपए भले ही ऎश्वर्या राय के पूर्व प्रेमी विवेक की फिल्में अधिक नहीं चली हों पर 'कंपनी' का यह डॉन स्टाइलिश वैनिटी वैन रखते हैं। करीब डेढ करोड रूपए लागत की वैन को बॉनिटो छाबडिया ने डिजाइन किया है। साढे 10 मीटर लंबी इस वातानुकूलित वैन में 50 इंच की एलसीडी स्क्रीन लगी है। दो हिस्सों में बंटी इस वैन के पहले भाग में विवेक का दफ्तर है। इसमें स्वचालित सोफे और बैड लगे हैं। साथ में आरामदायक और घूमने वाली कुर्सियां। विवेक इस हिस्से को मीटिंग रूम के रूप में इस्तेमाल करते हैं। वे यहां स्क्रिप्ट सुनने या पढने का काम करते हैं। वैन में मीडिया सेंटर भी है। वैन का दूसरा हिस्सा बिल्कुल अलग है, जिसमें बडा सा बिस्तर लगा है। छत पर आकाश का एहसास देने वाला इंटीरियर है। इंटीरियर में एअरक्राफ्ट में इस्तेमाल होने वाला सामान इस्तेमाल हुआ है। इसमें आधुनिक बाथरूम, जिम, बार और खानपान के लिए पेंट्री भी है। उम्दा लाइटिंग व्यवस्था जापान से मंगाए दो जनरेटर के सहारे चलती है। खुद विवेक इसे ताजमहल कहते हैं।
अजीत राठौड

2 टिप्‍पणियां:

Asha Joglekar ने कहा…

बहुत बढिया जानकारी । क्या क्या न किया हमने सनम आपके खातिर ।

Ritu ने कहा…

Thank u Asha ji