मंगलवार, 8 दिसंबर 2020

गठबंधन


साथ साथ एक तुम्हारे साथ चलते कहते नहीं पता लगा 
कदम के डगमगते भी ना चल पड़ी 
कभी  हम संभल  गए कभी तुम 
कुछ कुछ गलती 
थोड़ी थोड़ी समझदारी से चल रही है गाडी 
 उलटे पुल्टे होते भी हम है एक बंधन में 
मीठी मीठी तकरार में भी मज़ा है 
कभी आशा निराशा में भी एक सहारा है 
नाराज़गी  के बाद भी मनाने की एक आस है 
ज़रा छु दो बस अन्दर तक भीग जायेंगे 
लड़ते लड़ते हँस जायेगे 
बैठे बैठे  रूठ  जायेंगे 
कुछ उम्मीद की नज़र से देख कर अलग बीतों पे लड़ जायेंगे 
कही के गुस्से को कह उतर देंगे 
सब समझते हुए भी नासमझ बन जायेंगे 
कही जलन की जगह को अलग ढंग से बताएँगे 
इसी लुका छिपी में एक उम्र बीत देंगे 
दो अलग अलग परिवारों के पंछी एक घोसला बना देंगे 
कभी सबसे अच्छा और बुरा दोनों को यही बता देंगे 
जाने कौन सा है यह गठबंधन 
वैसे  हम इसे शादी के नाम से जानते है .................


शनिवार, 10 अक्तूबर 2020

प्रिय बिटिया

प्रिय बिटिया अनुष्का,
तुम्हें जानकर  हर्ष होगा ,तुम्हारी उस आख़री  पुचकार  और अलिगन से सहारे में ज़िंदा हूँ ।   हर लम्हा उस ईश्वर का धन्यवाद करती हूँ की मुझे तुम्हारी जैसी बेटी की माँ बनाया।
  आज भी याद है, जब तुम्हेँ  नर्स ने मुझे दिया था, तुम्हें  देखते ही मैंने अपने आपको पूरा मान  लिया था। यक़ीन  मानों, आज भी कल  बात लगती है। .".. समय की पंख होते है, दादी सही कहती थी ".
अपने सारे सिटिच भूलकर तुम्हारी छठी  और बाराही की तैयारी कर रही थी। ...... ऐसा नहीं की भैया और तुझमें भेद था.........  खुश तब भी उतनी ही थी ........ बस तुझे पा कर पूरा महसूस करती थी ऐसा लगता था मेरा सहारा  आ गया..तू मुझे हमेशा पूरा करती थी। .
एक पल मुझे नहीं छोड़ती थी। कभी कभी तुझे गोद  में ले कर खाना बनाती  थी। कभी तंग नहीं करती थी खाने का तो तुझे कितना शौक था। मुझे खाना बनाने में तेरी वजह से ही मज़ा आता था। अच्छा ! सुन वो डोनट और चॉक्लेट जो तुम दोनों केलिए बनती थी उसकी इतनी डिमांड हो गयी  ..... सब जगह खूब स्टाल लगयी कॉलोनी में। ...... एक तो तेरे ही सामने लगायी थी।  फिर बिंदिया आंटी ने चॉकलेट क्लास खोलने के लिए तैयार ही कर लिया मुझे वो भी हर महीने ले लेती हूँ  मैं ।  पूरा करा  न मुझे तूने, बिटिया !
.तेरे पापा ने भी बहुत खिलाया तुझे। पापा और मेरी तरफ की हर एक रिस्तेदार से तू मिली है और खूब गोद में खेली है। सबको तेरी खूब याद है।
भाई तो तुझ पर जान छिड़कता ही है। आज भी भाईदूज पर तेरी दी राखी रोली चावल  लागाता है
पापा भी याद करते है बहुत वही छोटा सा मुँह बना लेतेहै।  तेरी याद आती है सोफे का कवर सही कर देते है। आजकल कभी कभी काम भी करा देते है।  नेलपॉलिश और लिपस्टिक लगते वक़्त तेरी याद आ ही जाती है। सरिता भी तुझे याद करती है। मौसी की शादी में सब तेरी ही बातें कर रहे थे। मामा तेरा फ़ोन पे बात करना बहुत मिस करता है ।  नानी नाना ठीक है बस, और धीरे काम करने लग गए है।

पुरानी और नयी दोनों कॉलोनी में कंचके पर तुझे सब बहुत याद करते है तेरा लहँगा बिंदी चूड़ी पूरी देसी गुड़िया सी सबको बहुत याद आती  है।

कभी कोई हमे बेचारे माँ बाप बता कर तरस खाता है कभी कुछ...... पर हमे पता है मेरी गुड़िया  हमें  पूरा कर दिया। .........  भाई की कलाई ,भरने पिता की लक्ष्मी  बन कर आयी थी तू। ........ देवी ने दिया और देवी ने ही लिया।  जहाँ रहना खुश रहना स्वस्थ रहना। ...
जितनी थी हमारी थी. जब तक हम है तू हमारी ही  रहेगी।
 ढेर ढेर प्यार और आशीर्वाद
 एक पूरी माँ. ....


रविवार, 20 सितंबर 2020

चाह

इस भीड़ में अपना अक्स  टटोलता  है
कहीं  खो गया मेरा साया
मेरी छोटी सी  ख्वाशियों  की फेरिस्त
पूरी नहीं हो पाई
जब कोई साया पूछता है तुम कहाँ
में अपनी परछायी  और आत्मा से जुदा हु
उस पल ख़ामोशी  पुकार रही  है
तुम खुद नहीं कोई और हो
एक चोला लपेट कर जी रहे हो
खुली सास में तकलीफ है
यहं सपन्दन की अभिव्यक्ति है
एक तड़प है पंख न पसारने की
बेचनी है ऊँचा उठने  की
जज़बात की कद्र की चाहत

शनिवार, 15 अगस्त 2020

प्यारा देश  याद बहुत आती हैं हम  देश के बाहर आ गए.पर देश के बारे में बुरा न बोलके  और समस्या  समाधान उसकी अच्छे और देश का पासपोर्ट होना  है
किसी भी देश की नागरिकता गर्व की बात  होती है। कितना कुछ होता है देश के बारे में बताने में।
रह के
 माँ  का दर्जा खुद के  माँ बनाने बाद और भी बढ़ जाता हैं। माँ आज  आवाज़ और चाल  से मेर दिल का हाल बता देती है। माँ बनाना और माँ  होना बेहतरीन तोहफ़े है भगवान के। ...
 सच्चाई
जीवन
नोट
याद, याद ही एक खुशियों का  खज़ाना है।एक अनकहा  रिश्ता है,बुढ़ापे  सलवटों में घुले जीवन के सार का विस्तार है



हर जवान बूढ़ा और शादीशुदा इंसान से इस हसरत  को पूरी करने की गुहार बहुत बार सुनी है। .... उम्मीद है इसमें शिद्दत न हो वर्ना कायनात काम कर ही देगी
हसीं  विषय सूची
मुझे आज भी अपने नाना दादा  में बहुत सुकून मिलता है।  संस्कृति -साथ और समझौते का जो मज़ा उन घरो में था वो कही नहीं ,इसलिए भी क्योंकि मैं उन चंद  ख़ुशनसीब लोगो में से हूँ जिन्हें बेहद खूबसूरत परिवार बचपन मिला पुश्तैनी मुँह
और। लम्बी
एक ज़बान होती है ख़ामोशी। मुझे कभी कभी उसका साथ बहुत अच्छा लगता है।
सब किसी न किसी  है। कभी हम बता  पाते है कभी नहीं

बहुत से ख़्वाब होते है जो हम  बुन रहे होते है कभी दो सामानांतर राही भी एक होकर खुशी से जी लेते है
अपने छोटे से जीवन में  मैंने बहुत पाया   बहुत कुछ खोया। यह कुछ बहुत था पर साथ में दोस्त भी उतने  रिश्तेदार भी थे जिन्होंने बिखरने  लिया
हँसी  इतनी सच्ची बेदाग़ प्यार  का ज़वाब सिर्फ ही दिया जा
सच है सपने
आज  कमी खलती है
कसिर्फ सच्चाई से पूरे हो  पाते  ऐसा
सबके पास होते सपनेफिल्म
 ज़रा से झटके से व्यसनग्रस्त करती खामोशी
समय का फेर है अगर पहिया है तो लौट के आना ही है।
बस शब्द ही काफी है।
कभी बिमारी कभी दिमाग़ खलल करती
हर कभी डरती कभी सताती यह खामोशी
दिल जब  दिल से मिलते है  सुकून और आराम से जिंदगी  कट जाती है
पुश्तैनी
कैसे उस वक़्त की वक़त समझएंगे
उसमे भी एक अलग मज़ा था
कभी डरती कभी सताती यह खामोशी
कमी खलती है
 दिल
आज सबसे ज़्यादा खुशी की तलाश में  सब भटक है जबकि खुशी  लिए मन  झाँकना ज़रूरी है
रिश्तो का संवाद होता है। कभी बिना बताये कभी बताये।हम अपनों को अपनी बात सही  कभी हम बोलते है और उसका मतलब कुछ और होता है। आई मैं मैं
मूक संवाद  खुद से मिले ज़रा
 प्रेम एक ख़ूबसूरत एहसास  प्रेम एक ख़ूबसूरत एहसास
आज का सबसे फैशन परस्त और सबसे बड़ी समस्या भी
मूक संवाद को आसान टीसती टीसती
ऋतु कुलश्रेष्ठ
 मन  चुभन दूर हो जाती है बांटने
खुद से खुद मुलाकात रात को ही होती है और संवाद
हम सब  बहुत सी बातें करते है ,बातें करते करते कभी चुप हो जाते है ,कभी बोलते बोलते तोलने लगते है। बहुत बार कुछ बाते चाहते है पर वो डर ,मर्यादा या आवेश के कारण  मन में ही रह जाती है। मैं बहुत बार अपनी सहेली को यह बोलना भूल जाती हूँ की आज वो कितनी अच्छी लग रही थी।अगर किसी पे गुस्सा  ज़रूर किसी और पे उतर देती हूँ ।हाँ,किसी के जायज़ गुस्से  सहन कर लेती हूँ।
किसी के साथ बात करना इतना अच्छा लगता है, कभी किसी को सुनना। घर की आपाधापी में संवाद खुद से होता है  कुछ छिपा हुआ संवाद बस उसी को मूक संवाद कह रही हूँ मैं। कभी कभी जज़्बात बहुत गहरे होते है उन्हें शब्द में बया करना आसान नहीं होता पर फिर  भी सामने वाला समझ जाता।
 ऊंच करा   दूसरे साथ बस चलना बढ़ना चाहिए।
कुछ कुछ खटटा कुछ कुछ मीठा रिश्ता है इस मीडिया से।सीखने जानने के लिए है.अच्छा बुरा  फ़र्क इससे पड़ता है हम क्या सीखते है।
कितना खूबसूरत एहसास है माँ  बनाने का इतनी सारी भावनाओं का समन्दर जिसमे पूरा जीवन गोते लगते रहते है उस एहसास  साथ .. गुम
कभी पूरा होने का गुरुर
सब जानते है जीवन यही है पर फिर भी इसकी गिरफ्त में आ ही जाते है
बस! यही है न  से बचा लिया
बचपन के उलजलूल सपने से
पचपन के शांति से देवगमन के सपने
सदियों का सफर तय कर
जीवन का केंद्रबिंदु बना कर कूद बा खुद बुनते सपने
असीम रिश्ते बातों पे। रजनी।
बस ,जब कलम दूर होती है तो उसके करण पर सीधा वार होता हैं।
छोटी सी बात पे जाती
मक़सद सब के है बस उन्हें ढूंढना ज़रूरी है
मुस्कान लाने और उम्मीद जगाने के 'लिए।
मन की सुगबुघाट और थाह लेते सपने




बूंदो
सावन और अपने घर आँगन मेरी यादों का गवाह है। सच ,सावन का मज़ा बहुत ही अलग है
सादगी और प्यारसाज़िश है खुशी बरक़रार रखने में
अक्सर आसान राहें ही मुश्किल होती है
परछायी और आत्मा के गठबंधन से खींचते सींचते सपने।
यशोदा भी माँ थी और देवकी भी क्या सच
 सीता भी और कैकयी भी लुकाछिप्पी
माँ बस माँ होती है। जागती
गैरहाजरी

कुछ सच  होते है और बहुत  कड़वे होते है........
बहुत सी बिछड़े दोस्त मिला दिए ताकते।
क्या जा सकता है ईंट
कभी सीमा पर दिल गवा दिए
कुछ सच मन मनना नहीं चाहता
बेपरवाह
बंटा
कभी एक अफ़वाह से होश उड़ा दिए
हर आम आदमी को ख़ास बनाने की मुहीम जारी कर दी
अपनों के प्यार और तकरार में  पनपते यह रिश्ते
रिश्तों का संवाद बहुत अनोखा होता है। उसकी सोच परिभाषा में प्यार  और अपनापन होता है कभी तंज़ और तल्खी का एहसास। बस,जिंदगी ऐसे ही बनते  बिगड़ते  रिश्तों कीकहानी है
मेरे मेरे बच्चों अदवीत  अनुष्का और  मन  संवाद के नाम।
१ मेरा देश प्यारा
२ माँ की कल्पना







१०
११
१२
१३
१४
१५सफल गृहणी
१६सपने
१७खुशियों के मायने
१८सावन
१९दस्तक
२०बच्चे के मुस्कान
२१जमीं  के टुकड़े
२२दो  दिल
२३
२५
२६
२७
२८
२९
३०   
अपने बच्चों अदवैत अनुष्का  और बहुत से मूक संवाद  नाम।
११
१२
१३

दरवाज़े  दस्तक़ बहुत नागवार लगता है गहरी नींद में यह जीवन दस्तक भी कुछ ऐसी ही है

 हर घर ज़रूर ही कुछ कहता है हम फिल्म की रील सी यह ज़िन्दगी जीते है

मेरे बचपन के साथी
मेरी  शैतानियों के साथी
मेरे हुकुम को तामील करने वाले
मेरी डांट को चुपचाप सुनाने वाले
मेरी खामियों को  छुपाने वाले
मेरे प्यारे भाई और बहन
रात को फिल्म के साथ कॉफ़ी और मैग्गी
 बना कर देने वाले
पूरी रात गप्पे मारने वाले
अपने हॉस्टल के किस्से कहानियाँ सुनाने वाले
आँखों के  इशारों  समझने वाले
कभी दोस्त और रिश्तेदारों के मज़ाक उड़ानेवाले
मेरी राखी और चौंक बनाने वाले
पटाखे और रंगो को समझदारी से बनानेवाले
खेल में खिलाडी को बताने वाली
कभी बहुत पहले ज़ाहिर इच्छा को अचानक पूरी करने वाले
मुझे दीदी कहने वाले प्यारे भाई बहन
मेरे ठहाकों और आँसू की सच्चाई नापने वाले स्वाति गौरव।
बिना भाई बहनों

मेरे भाई बहन

मेरे प्यारे पापा।
आपके ऊँचे कद  सलाम
इस  सुकून से भरे  माहौल में पालने वाले को सलाम
बहुत समझाया खूब पढ़ाया खूब लिखाया
 दुनिया की गहरायी को बिना कहे समझाया
 हर मुश्किल को आसान बनाया
जीवन  कठिन रास्तों को
वक़्त की  क़ीमत और गहरायी को  बताया
रिश्तो को निभाना कर्मो को संभालना
हाज़िरजवाबी और  कर्मठता
 की मिसाल क़ायम की
व्यावहरिकता ,ख़ूबसूरत मुस्कान और दिल  के मालिक
 संजीदा ,सादगी और हर हाल में  खुश रहना  रखना
सादा जीवन उच्च विचार
खुश रहो खुश रखो
मज़ेदार मस्ती और  गंभीरता का मिश्रण
मेरे प्यारे पापा।


समझाया

भरा पूरा परिवार और




जैसे




पाता





होता







सोमवार, 10 अगस्त 2020

जी लो

इस भीड़ में अपना अक्स  टटोलता  है
कहीं  खो गया मेरा साया
मेरी छोटी सी  ख्वाशियों  की फेरिस्त
पूरी नहीं हो पाई
जब कोई साया पूछता है तुम कहाँ
में अपनी परछायी  और आत्मा से जुदा हूँ
उस पल ख़ामोशी  पुकार रही  है
तुम खुद नहीं कोई और हो
एक चोला लपेट कर जी रहे हो
खुली सास में तकलीफ है
यहं सपन्दन की अभिव्यक्ति है
एक तड़प है पंख न पसारने की
बेचनी है ऊँचा उठने  की
जज़बात की कद्र की चाहत
दिल की  गहरायी में सब  जानते  है
जरुरी  नहीं मुँह से सब बयां करे
आँखों के जज्बात भी  पढ़  के  देखो
ज़िन्दगी को आसान बनाना  मुश्किल है
मुश्किल से जीवन निकलना आसान  होता है
रास्ते तो बनाने पड़ते है
कभी दूर  है कभी अचानक बंद हो जाते है
थोड़ा थोड़ा  कभी ज़यादा ज़यादा अच्छे
 इन छोटे छोटे से जीवन जी लेना
बिना  किसी उम्मीद के
एक बार  देखो जीवन  खुल के जी लो। 




बुधवार, 5 अगस्त 2020

तक्लुफ़



















थोडा सा तक्लुफ़ है जीने में
हसरतो की फेहरिस्त लम्बी है 
चंद कागज़ की कमी है 
एक मुकाम के लिए बड़ी दौड़ धुप की है
आज फिर सब रुका सा लगता है 
बहुत कुछ सोचा है पर कुछ दम नहीं 
हर शान के लिए बहुत पिछड़े से लगते है 
खुद  को छोटा ही पाते है 
बहुत सी कोशिश के साथ थोडा का मुकदर दे देते 
आज किसे दोष दू ?
जब ऊपर वाले ने मुह मोड़ लिया है 

गुरुवार, 30 जुलाई 2020

Marriage --need new valuation

Marriage is the most underrated and negatively worked on social concern... it's beyond jokes its unimaginable impact on personalities and also families.
Evolution is the need of time. We evolve in parenting, lifestyle, globalisation, work culture etc why not in the marriage as a relation..the ceremony is more headache than you stay in...when we have wedding planner pre-photo shoot how can forget pre-marriage counselling, physical mental and health check up building a connection...why not?
No women should be said to learn this to please inlaws. no men should be taught earn well to get the good bride.
There is no therapy or recipe which tells us about the success or failure of the marriage.
Also, it never judges good or bad or worst as an individual.
It works- it works. It didn't work -it didn't work. Why ..?why not..? if ...?
We need to diverge and sort our thinking in progressive ways to channelise the coupled energy.
The conflict/breaks/differences refer to the growth mindset in society.
We are enough mature to sort the conflict diligently.
Which relation has no jitters?
What makes the marriage so difficult or peer pressure on a couple?
What is making it difficult to work out why jokes are always there?
I feel so upset when I feel people get insecure or shattered or lose their identities etc etc
Is our society seeding the wrong things/signals/standards for marriage?
Is our society too bound to break the thought process or the traditional track?
How can we work out to make it wonderful?
Isn't this relationship need to be beautiful.
Two souls are meeting and making life easy, but actually, they didn't realize when they become so difficult for each other.
Disrespectful ,casual , unattractive ,harsh words ,parents ,opinion ,granted , indecisive ..
Whenever the fight happen why it goes so bad how can we minimize it? Can we make it simple?
Living in marriage embrace you, make wishful changes in your life. It is more beyond parents, brother, sister and other relation.
Can we think, how to make relation beautiful? We are thinking and doing it knowingly or unknowingly. But if not fruitful than can isn't we chose the wrong partner. or wrong ideology or past grudges...
More closeness more insecurities more expectations weird sense of humour makes it difficult to manage.
What is more or less in a relation? Who will decide- right or wrong?
We need to figure out and set some rules ..?
Isn't marriage always influenced by the people around us, their relationship dynamics and equations, behaviour ..We see the success and failure in that way?
We need to feed the nurturing thoughts in kids for marriage. We don't need to idealise it but we need to be true and set easier, sorted relations in life.
We are very excited and ready to get married but we should know the strength and weakness of relation as well. We can draw boundaries and if not drawn than what next can be done.
It is a serious affair we need to be true on all fronts and do the basics well.
Partner must come above all relations because they are support system not analyst or critics..counsellors or pacifiers..yew they can do that if needed but why needed? why can't things work with the pace needed...partner is actual soul must be the mirror above all you need to stay in that relation forever. ..my families my health my vision my salaries looks good if becomes ours..our goals our achievements our consideration, our stupidities, our concerns they sound and felt beautiful ...
Stay blessed! stay hungry! stay in a relationship!


सोमवार, 20 जुलाई 2020

यु भी












जब यु भी  चलते थे तो  रास्ते मिलते थे
 आज जब रुके  है तो चौराहा  आ गया
 कभी मन यहं जाता है कभी वह
अपनी बर्बादी का तमाशा भी कोई देखता है
हमने तो खुद को तमाशा  बना दिया
बहुत चाहते थी सब को  मिटा दिया
अब तो सब खाक करने का मन होत्ता है
सब सपने बुनने  एक झूठ लगता
इतनी बेमानी होती है ज़िन्दगी
किसी पडावा पे आके  यह लगता है
आगे के जीवन बोझिल और कठिन
पीछे की यादें  खुबसूरत और फ़िल्मी लागती है
खोये खोये से विचार लगते है