बड़ी देर से बहुत सी आस पाल के बठे थे
अब कुछ तूफान और आंधी का असर नहीं होता
बेजार से बेठे है
बड़ी तमन्ना थी उनसे मिलने की
आज फिर उसी मंज़र पर बेठे है
बड़ी बड़ी उम्मीद थी अपने आप से
आज फिर तनहा है
कुछ लम्हों को पिरोना चाहते थे
आज फिर अनजान है अपने अक्स से
एक बार फिर किस्मत ने मुह मोड़ लिया
फिर नए सिरे खोजने जा रहे है
पुरानी उम्मीद कभी पूरी नहीं होती
हम फिर नयी उम्मीद लगा बेठे है
उम्मीद के अधूरेपन से ही बेजार हो खो जायेंगे
इन उम्मीद के पूरे होने के चाकर में
फस कर भवर बन जायेंगे
ज़िन्दगी दी है तो जीना तो पड़ेगा ही पर
एसा जीने में कहाँ को लुफ्त आएगा
यह नहीं जान पाते हमे उम्मीद ज़यादा है या उम्मीद हमसे जायद है
इसी उधेबुन में नयी उम्मीद लगा बेठेते है .....
उम्मीद के अधूरेपन से ही बेजार हो खो जायेंगे
इन उम्मीद के पूरे होने के चाकर में
फस कर भवर बन जायेंगे
ज़िन्दगी दी है तो जीना तो पड़ेगा ही पर
एसा जीने में कहाँ को लुफ्त आएगा
यह नहीं जान पाते हमे उम्मीद ज़यादा है या उम्मीद हमसे जायद है
इसी उधेबुन में नयी उम्मीद लगा बेठेते है .....