रविवार, 28 अगस्त 2011

काश !!में पक्षी बन जाती


















काश !!में पक्षी बन जाती
डाल डाल  पर बेठा गाती
सबको अपनी आवाज़ सुनाती 
सुन्दर  सा घोसला बनती 
कभी नीले नीले आकाश में उड़कर 
कभी बगीचे में उतर कर 
कभी पेड़ पर बठे कर इठलाती मचलती 
न होती कोई बंदिश न स्कूल न पढाई 
सारे दिन बस मस्ती छाई 
इस पेड़ से उस पेड़ इस डाल से उस डाल 
हवा के साथ बदलती चाल
सोच रही हु सपना न होके सच हो जाता 
काश !! में पक्षी बन जाती 
 

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