पल पल के नाते है हर मर्ज़ के बाद बदलते नाते
कभी आगे बढ़ते कभी छुटे जाते है यह रिश्ते !!
थोड़ी थोड़ी खुशी गम से लुकाछिप्पी करते
मुस्कराहट आंसू के बीच जंग छेड़ते आगे चले जाते यहे रिश्ते !!
पीछे मुड कर दिख जाते है पर पकड से छुट जाते
कभी किसी को देख ताज़ा होते यह रिश्ते !!
पल में बिखर के जुड़ जाते है
नाजुक सी डोर से बंधे यह रिश्ते !!
मन मफिख निकल पढते है यह रिश्ते !!
कितनी बार ढूंढा है गलियों में इन्हें तब नहीं मिलते
अनजान मोड़ पे टकराते यह अनोखे रिश्ते !!
उम्मीद से बढ कर है यह रिश्ते
जीवन की तरंग जागते यह रिश्ते !!
उम्र के साथ बनते बिगड़ते
अजनबियों में बनते जन्मो की रिश्ते !!
क्यों टूट/छुट जाते है रिश्ते ?
2 टिप्पणियां:
Beautifully said about relations.......
हार्दिक शुभकामनाएं
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