बस ,चलते चलते कुछ ख्याल अपनी छाप छोड़ जाते है।
कभी कविता कभी कहानी बन जाते है ,
यह कला है ,मुझे आयी नहीं
पर विचारो ने मुझे लिखने पर मजबूर कर दिया।
इस गुस्ताखी के लिए माफ़ी
सोमवार, 12 अक्टूबर 2009
दिशाएं
उतर,दक्षिण ,पूर्व ,पश्चिम यहे चारो है हमारी दिशाएं उतर आये ऊपर से दक्षिण आये नीचे से पूर्व आये सूरज लाये पश्चिम आये सूरज छिप जाये सूरज हमको इनका ज्ञान करये पुराने जमने की घडी कहलाये .
1 टिप्पणी:
बढिया शब्द चित्र है।
एक टिप्पणी भेजें