बस ,चलते चलते कुछ ख्याल अपनी छाप छोड़ जाते है।
कभी कविता कभी कहानी बन जाते है ,
यह कला है ,मुझे आयी नहीं
पर विचारो ने मुझे लिखने पर मजबूर कर दिया।
इस गुस्ताखी के लिए माफ़ी
सोमवार, 12 अक्टूबर 2009
सरगम
सा रे गा माँ पा ध नि सा सा नि ध पा माँ गा रे सा
सात सुर का संगम सरगम सरगम बनाती ताल ताल ले सुर का संगम बना देती है गीत गीत में पिरो दो धुन की माला लो तैयार है गीत प्यारा .
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