गुरुवार, 29 अक्टूबर 2009

बंधन

अगर  इस  राह में छोडोगे तो छुट जायेंगे
कैसा न कसे किनारे लग जायेंगे ,
बस फर्क इतना होगा तुम्हारा साथ न होगा
जीवन का सबसे अटूट वादा  न निभाने का रंज होगा
कसक  तो   आपको  भी होगी हमारे न होंने की,
 जुदाई  का यहे पहला कदम आपकी तरफ से होगा
कभी नफा नुकसान न सोचना बस एक इशारा काफी है ,
आपके प्यार से जुदा हम खुद हो जायेंगे
पलट के आपके दर न आएंगे ,
अपने जो खोया है उसके  एहसास के लिए यहे खाली दरो दीवार काफी है
नए महल भी सजेंगे तो मेरे अक्स  की परछाये नहीं भुला पाएंगे
सचे प्यार से सीचा थी यहे बगिया ऐसे ही नहीं उखाडा पाएंगे ,
प्यार बंधन नहीं ,बंधन प्यार है
यह  बात आप  जल्द ही समझ जायेंगे ,
कभी फिर आवाज़ न देना रोक  तो नहीं पाएंगे
 पर फिर से यहे टूटे महल जुड़ नहीं पाएंगे .

6 टिप्‍पणियां:

BAD FAITH ने कहा…

बस फर्क इतना होगा तुम्हारा साथ न होगा .सुन्दर, अद्भुत.

अजय कुमार ने कहा…

आपके प्यार से जुदा हम खुद हो जायेंगे
पलट के आपके दर न आएंगे ,

सुन्दर रचना , गहरे भाव

भंगार ने कहा…

अलग कुछ सोचना अपने में एक अलग बात है ...और कुछ आप ऐसा कर रहीं है

M VERMA ने कहा…

अपने जो खोया है उसके एहसास के लिए यहे खाली दरो दीवार काफी है
बहुत उम्दा

हें प्रभु यह तेरापंथ ने कहा…

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जय ब्लोगिग-विजय ब्लोगिग
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Ritu जी
सुन्दर,
अद्भुत.
गहरे भाव

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मगलभावनाओ सहीत
हे! प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई-टाईगर
SELECTION & COLLECTION

प्रमोद ताम्बट ने कहा…

सुंदर भावों को भाषा की त्रृटियों ने ग्रस लिया है।


प्रमोद ताम्बट
भोपाल
www.vyangya.blog.co.in