दो बूंद आस की जा मिली समन्दर में
कर गई सारा पानी खारा
इतना दर्द था उन आसुंओ में
इतना सा सहारा था
इतना नमकीन घुला था जीवन में
कोई राग नहीं कोई द्वेष नहीं
कितनी मार खायी से यहे ज़िन्दगी से
छोटी छोटी खुशियों के लिए तरस है यहे दिल
बुझ गई आशा की किरण
पता नहीं कहाँ ला के खड़ा कर दिया
एक पल में बदला यह जीवन
छुट गया सब और दे गया एक रंज
हर पल इस तरह जीने के लिए ।
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