कभी कभी जीवन में ऐसे मर्मस्पर्शी हादसे हो जाते है जो आप देख कर भूल नहीं पाते इसी कड़ी मं क कविता पेश है आशा है पसंद आएगी
बहुत कुछ खो गया चांद सालो में
जो कभी सिर्फ आँखों की भाषा समझ जाते थे
आज सब पराया लगता है जब आँखों के गीले कोरे भी नज़रअंदाज़ हो जाते है
बड़ी तन्हाई से कटती ही वो रात जहाँ अनजान दो जिस्म सो रहे होते है
कल के पन्नो में अपना अक्स ढूंढ़ते है। सपनो सा लगता है कल
बड़ी वजह माना था अपने जीवन की ,आज तो ज़िन्दगी भी बोझ लगती है
जिन आँखों में तुम्हारे आने का इंतज़ार था आज वो सुख गयी है
जिस दिल में तुम्हे बिठया बिखर गया है
बेवजह की बात ,बिन बात के बतंगड़
एक दूसरे पर आरोप क्या अंत है इसका ?
इतनी कड़वाहट क साथ कैसे जीवन जीते है ?
बताया इस बवाल का क्या अंत है ?
इसका क्या अर्थ है ?
घर में कलेश कैसे कैसे से घर पाएगा ?
तिनका तिनका करके बिखर जायेगा
इस ख्याल से भी डर लगता है
बड़े अरमान तो नहीं थे पर आज यह हालत है
क्या हम भी आज हिसा का शिकार है ?
पर खुद तमाशा बन जाये इतनी ताकत नहीं
आज भी समाज की कथनी करनी का भेद है
छोटे बड़े निचले हर तबके की यही है कहानी
दिमाग की गन्दगी कोई नहीं हटा पाता
मालकिन और बाई साथ रोती है एक का दिखता है एक दिखा नहीं पाती। ....
बहुत कुछ खो गया चांद सालो में
जो कभी सिर्फ आँखों की भाषा समझ जाते थे
आज सब पराया लगता है जब आँखों के गीले कोरे भी नज़रअंदाज़ हो जाते है
बड़ी तन्हाई से कटती ही वो रात जहाँ अनजान दो जिस्म सो रहे होते है
कल के पन्नो में अपना अक्स ढूंढ़ते है। सपनो सा लगता है कल
बड़ी वजह माना था अपने जीवन की ,आज तो ज़िन्दगी भी बोझ लगती है
जिन आँखों में तुम्हारे आने का इंतज़ार था आज वो सुख गयी है
जिस दिल में तुम्हे बिठया बिखर गया है
बेवजह की बात ,बिन बात के बतंगड़
एक दूसरे पर आरोप क्या अंत है इसका ?
इतनी कड़वाहट क साथ कैसे जीवन जीते है ?
बताया इस बवाल का क्या अंत है ?
इसका क्या अर्थ है ?
घर में कलेश कैसे कैसे से घर पाएगा ?
तिनका तिनका करके बिखर जायेगा
इस ख्याल से भी डर लगता है
बड़े अरमान तो नहीं थे पर आज यह हालत है
क्या हम भी आज हिसा का शिकार है ?
पर खुद तमाशा बन जाये इतनी ताकत नहीं
आज भी समाज की कथनी करनी का भेद है
छोटे बड़े निचले हर तबके की यही है कहानी
दिमाग की गन्दगी कोई नहीं हटा पाता
मालकिन और बाई साथ रोती है एक का दिखता है एक दिखा नहीं पाती। ....