शनिवार, 25 जून 2011

परिवर्तन



परिवर्तन -एक सहज ज़िन्दगी का बहुत ही ज़रूरी पहलु है  / प्रकृति का ज़रूरी नियम जो हम सब को मानना  चाहिए / परिवर्तन  चाहे  जैसा  भी हो --जगह का लोगो का ,शरीर का  , उम्र का या फिर   /एक सहज ज़िन्दगी का बहुत ही ज़रूरी पहलु है  हम जितनी आसानी से परिवरतन को ग्रहण करते है उन्तना असं जीवन होता है .....चाहे अच्छा हो या बुरा ....
उदहारण =
  •  यदि सास बहु के आने के बाद परिवर्तन को एक हद तक स्वीकार करे  और बहु भी ऐसा ही करे ..
  • शादी के बाद एक स्त्री के रूप और कार्य में आये परिवर्तन चाहे घर अच्छा हो या बुरा या बहुत बुरा ....एक स्त्री के हाथ में होत्ता है कुछ हद तक अपनी मर्याद और अपने सम्मान के साथ रहना /नहीं बोलना गलत है अपनी बात राखी चाहिए जो गलत है वो बोना चाहिए ...किसी भी असममान्य व्हावार का विरोध करना चाहिए /
  • नौकरी का बदलाव - हमेशा हर चीज़ हर जगह नहीं मिलती पूरी संतुस्ठी मिलना मुश्किल होता है /कभी पैसे से नहीं ,कभी लोगो से नहीं ,कभी काम से नहीं ,कभी बॉस से नहीं 
  • मौसम का बदलाव -यह  तो भगवन का नियम है पर अपने शरीर के उपेक्षा करके हम इसको भी आसानी से नहीं ले पाते कभी बीमार रहते है या कुछ न कुछ चलता रहता है ..और मज़े के बात हम मौसम  को दोष देते है 
  • उम्र का बढना बेहद मुश्किल से अपनाया जाने वाला सत्य ...हम तो इतना काम करते थे ....हम इतना खाते थे ...हम इतना घूमते थे ...........क्या था इस पर बहुत ध्यान है ...पर एसा क्यों हुआ यह सब भूल जाते है ....जवानी के बाद जब अधेड़ होते है तब अपने शरीर का साथ उतना नहीं मिलता तब की तकलीफ न पूछो ....कुछ लोगो जवानी को कायम रखने के लिए क्या कुछ नहीं करते चटक कपडे चटक स्टाइल बस जो करना चाहिए वो भूल जाते है .............परहेज व्यायाम और सुविचार ...दुनिया और अपनी पसंद से विरक्ति  नहीं लेकिन अपना एक दर्जा -ताकि सब सम्मान कर सके (उस समय को याद करना चाहिए जब  और लोगो जवानी में आपको सताते थे प्रवचन से  !!) 
ज़रा सोचिये जब हम (में  भी )सारे परिवर्तन आसानी से लेने लग जायेंगे ...जो आजकल ट्रेंडी भी है आज के लोगो क यही सोच है ..इसलिए किसी भी नयी चीज़ को अपनाने में जायद समय नहं लगता दादी से ज़यादा मोबाइल पोता चला पता है ....माँ को इन्टरनेट बच्चा चला के देता है यह सब ग्रहण किया इसलिए उनके लिए असं है .............
सब कुछ एक सीमित मात्र में हम ले सकते है ....मौसम  का अचानक परिवर्तन प्रहर होता है  ..उसी  तरह एक परिवर्तन का दायरा होना चाहिए वो किसी को देख के बिना सर  पैर के नहीं होना चाहिए अपनी जड़ो(सम्मान और प्रतिस्था ) को छोड़ कर नहीं 


जिज्ञासाए

निरल और नीरव जुड़वाँ  भाई थे /
 दोनों विज्ञानं विषय से बहुत प्रभवित थे
अन्त्ररिक्ष और उनमे होने वाले सभी परिवर्तन उन्हें बहुत पसंद थे /
बहुत सी बार दोनों में बहस हो जाती जिसे माँ नहीं समझ पाती थी /
आज फिर दोनों  में बहस हो गयी ........बहस माँ से नहीं सुलझी तो उन्होंने मास्टर जी के पास भेज दिया /
दोनों मास्टर जी को फ़ोन करके आने की इज़ाज़त मांगी 
दोनों पहुंचे मास्टरजी ने उन्हें बिठ्या  और आने का कारण पुछा 
निरल बोला मास्टरजी --सूरज तारा है 
नीरव नहीं मास्टरजी वो सूरज .............
अरी बच्चियो क्यों लड़ते हो ......बहस नहीं ..सूरज तारा है ...
निरल चिलाया देखा मैंने कहाँ था --
बेटे नहीं ---
माफ़ी   मास्टरजी 
इसको ढंग  से समझो बेटा --सूरज की दो सतह होती है 
अन्दर की सतह का तापमान कई लाख होता है और बाहर वरेंमंडल और कोरोना होता है , यहाँ दाब काम होता है और बहुत चमकीला होता है 
सूरज को चमकने के लिए नाभकीय विखंडन होता है जो hydrogen  के दो अणू मिला कर हेलियम बना देता है और उर्जा उत्पन करता है जो रौशनी के रूप में धरती पर आती है /सारे नौ गृह सूर्य के परिक्रमा करते है 
इसलिए पृथ्वी गोल है यही जब यहं दिन होत्ता है तो किसके और देश में रात ..
सूरज के किरण घटक होती है जब ज़रूरत से जायद मिलने लगे तो हमरे tissue   नुकसान पहुँच कर केंसर होने का खतरा होता है ........हमरे शरीर में मेलानिन नाम का पदार्थ इससे एक सीमा तक बचा सकता है पर हमेशा नहीं इसलिए हम  पतंग उड़ने के बाद या धुप में अधिक देर तक खलने के बाद हम काले हो जाते है 

वसे वायुमंडल    में ओजोने की परत हमरी सूरज की किरनो  से रक्षा करती है लेकिन क्योंकि आज कल प्रदुषण के कारण यह पूरी तरह रक्षा नहीं कर पाती क्योंकि इसमें बड़े बड़े छेद हो गए है ..इनका करना अरेसोल है यानि ऐ सी क्लोरोफ्लोरोकार्बों जसे पदार्थ ओजोने की परत को नुकसान पहुंचा रहे है ग्रीन हाउस एफ्फेक्ट और ग्लोबल वार्मिंग भी चिंता का विषय  है 
 और चन्द्रम क्या है चन्द्रमा हमरा उपग्रह है 
यह अपनी परिक्रमा २७ दिन में पूरी करता है हम चन्द्रमा पे जा सकते है पर रह नहीं सकते क्योंकि वह पर हवा पानी नहीं है इसलिए उल्कापिंड है जो समय समय पर गिरते रहते है और छेद करते रहते है जो हमे के सूत कटती बुदिया के रूप में दीखता  है 
अच्छा बच्चो  अब चलो बाकि कल बतुंगा
मास्टर जी हम इसके बारे में और किताबे  लेके आयेंगे 

सोमवार, 20 जून 2011

अनुसरण

शिक्षक अनिल को डांटेते  हुए --शर्म नहीं अति कितनी बार बोला है पड़ते समय बात नहीं  ..खड़े हो जाओ अपनी जगह 
अनिल --:खड़े होकर लेकिन सर नहीं झुकाया 
शिक्षक डांटेते हुए --बहुत नालायक हो , तुम चलो इस प्रश्न कर उतर दो 
अनिल ने सही जवाब दिया 
शिक्षक ने बठने  को बोला दिया /
अनिल --बोला माफ़ी चाहता हु सर,  लेकिन हम आपका अनुसरण कर रहे थे जसे आप प्राचर्य महोदय के भाषण के समय टिका टिप्द्दी करते है ..वसे ही आपके पढ़ते समय .................
शिक्षक ने अपनी गलती स्वीकार कर आगे से भूल न करने का वादा  किया 

रविवार, 12 जून 2011

निशान


















मैंने  हर  जाने  को अपने अक्स में हँसते हुए देखा है
अपनी परछाए रोनी  सूरत याद आती है
उम्र के पड़ाव से कुछ छुटे हुए , कुछ छोड़ा है
कदम मिलने की कोशिश  तो बहुत की  पर पीछे रह गए निशान 
उन निशान को भरने की बहुत सोचा है 
आज भी कुछ काम कटे है निशान को छिपाने के लिए 
पर क्या करे ....हरे हो ही जाते है 
हारने नहीं कभी तो हरे होने की क्या चिंता करे 
इतनी गहरायी से सोच ले  जाएगी 
कभी सोचा नहीं था नादानियं  नहीं की 
इसकी  कसक तो है ही 
उस दर्द का भी एहसास हो ही जाता है 
कितने तकदीर वाले होते है जिनको जन्नत  मिल जाती है 
हम ने खुद ही नरक का रास्ता इक्तियार कर लिया 
पर उन निशान को  नहीं  मिटाना चाहते 
अपनी शान समझते है की 
करा नहीं तो क्या सोचा तो 
कर पाते  तो अच्छा है 
नहीं तो दर्द ही अपनी  प्रेरणा बना लेते है 
ख़ुशी का तो पता नहीं गम को भी अपना लेते है ...
निशान को हरे रखने की वजह  ढूंढ़ ही लेते है ...

सोमवार, 6 जून 2011

पाती मेरे नाम

मेरे लिए की कविता लिख सकता है हाँ क्यों नहीं में भी इस लायक हु कोई मेरे लिए कविता लिख सकता है 
लाख लाख धय्न्वाद की मुझे यह दिन दिखया ----


जब भी यह दिल उदास होता है 
तब ही वह तुम्हारे पास होता है 
आंखे पथरा गयी है तकते तकते 
अब नहीं इनमे इंतज़ार होता है 
गोर करते मग र्बेरुखी सह लेते है हम 
अपनों से मिला दर्द दुश्वार होता है 
हम तो लायक नहीं थे आपके 
दर बेठे अब कहाँ एहसास होता है 
हर पल आपका इंतज़ार रहता है 

कितना कुछ सोच होगा आप ने .............किसने लिखी है यहे लाइन मेरेलिए  मुझे भी नहीं पता था की मेरे बच्चे मुझसे इतना प्यार करते है ...............जी यह लाइन मेरी एक  विधय्राथी गरिमा ...........ने  लिखी है 

बहुत बहुत धन्यवाद 
पता नहीं तुम कहन हो पर मेरे पयर तुम्हारे लिए हमेशा है .....................

रविवार, 5 जून 2011

माता पिता की ओर से यादगार बचपन

माता पिता की ओर से बचपन यादगार बना दिया जाता जैसे हम अब याद करते है अपनी माता पिता द्वारा किये गए छोटे छोटे काम बड़े अच्छे और सच्चे लगते है उस समय उसका महत्व नहीं पता तो क्या आज तोह समझ आ गया है १ आज अपे बच्च में अपना बचपन धुन्धती हु और उसके साथ एक बार फिर खिल उठी हु ..जसा में करती हु वसे ही मेरा बच्चा सीख जाता है में कोशिश करती हु उससे एक अच्छा बचपन देने की ...जिसमे वो देख कर सीखे और बड़ा हो कर समझ जाये जसा मेरे माता पिता ने मुझे दिया ......इसमें भावना भी थी जिम्मेर्दारी और आर्थिक सुझबुझ भी ...पालन पोषण में पैसा कितना ज़रूरी है यह बच्चे हम से सीखते है ...अब हमे इसमें समझना होत्ता है उन्हें कितना बतायी और कब ......आखिर इस दुनिया का सामना उससे अकले ही करना होगा 
  • बच्चो की पुरानी कॉपी में खली पन्नो को निकल कर जिल्द करवा कर रुफ्फ़ कॉपी के लिए दे 
  • अपना कमरा और रैक साफ रखने में मदद ले और दे ..
  • कलर बॉक्स और पैंट के लिए अलग डब्बा दे 
  • एक्टिविटी और पढने का समय  फिक्स करे 
  • बच्चे पे अपने अरमान नहीं उसका झुकवा महसूस करके वो कराये 
  • नकरात्मक  बातें से दूर रखे 
  • उसको अपना काम करने और सोच बदने का मौका दे 
  • जावा देने के लिए समय दे आप न सीख्यिए 
  • एक डायरी बनाये जिसमे उसके घुमने का वर्णन लिखे बाद होकर उससे दे
  • एक एल्बम बनाये और उसमे यादो को लिखे 
  • कहीं भी घुमने जाने से पहले उसके बार में उससे मानचित्र से लेकर ट्रेन और सब क जानकारी दे .
  • रिश्तेदारों और मित्रो से सद्भाव  मिलवाए 
  • शिष्ठाचार और अनुशाशन का जीवन में महत्वा काम से सीखियिए 
  • अपनी जबान और आचार का पूरा धयान  रखे 
  • हर काम को पूरा करे 
  • बच्चे के सामने साफ़ और सफाई का महत्व बता ज़रूरी है 
  • खाना और टेबल शिष्ठाचार स्वय करे बच्चा अपने आप सीख जायेगा 
  • अपनी जमीन से जुडी बातें रोचक और प्रेरणा के रूप में बातये 
  • खुश रहना और रखना सीख्यिए 
  • प्रकृति प्रेम से अवगत कराये 
  • उसकी कमजोरी को उसकी ताकत बनाये
  • मस्ती मज़ा में मज़ा  लीजिये मज़ा करयिए --एक सीमा और दायरे में बांध कर लेकिन फिर भी आज़ादी से  ..मुश्किल है पर न मुमकिन नहीं 
  • हर व्यक्तित्वा अलग है किसी का कोई मेल नहीं इसलिए कोई समानता भी नहीं --कोई तुलना भी नहीं  कभी नहीं
  • उसके फोटो को महीनो के हिसाब से कंप्यूटर में सेव करके रख दीजिये और विडियो पे विस्तार  में अठखेल के बारे में लिख कर बड़े होने पर दीजिये 
  • उसकी बायी और पहली बार करी गयी चीजों कोसंभालकर रख लीजिये 
  • परिवार का विवरण लिख कर एक उससे दीजिये 
  • यदि आप कंप्यूटर पर मेल लिख कर रख लीजिये बड़े होने पे फॉरवर्ड कर दीजियेगा 
  • बच्चो के साथ छोटे छोटे काम करते रेहियिए यही बड़ी यादें बन जाती है 
  • सख्ती भी जरुरी है ..हर काम में ..खाने में , पैसा में ,पढाई में ..........
  • बुरी चीज़ के बारे में बताना हमारा काम है पर यह उम्मीद कभी नहीं किया किसी ने नहीं किया थोपा नहीं जा सकता
बच्चो का आगमन और उनकका बड़ा होना हर माँ बाप के लिए जीवा का महत्वपूर्ण अंग होत्ता है ! उससे यादगार और अच्छा नागरिक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते पर कमी कब कहाँ रह जाती है यह बड़े होके आभास होता है गलती  हमारी या या दुनियादारी की .......पर उम्मीद नहीं छूटती न ही छोडनी चाहिए .......अगर हम गलत नहीं है तो ......वसे भी माता पिता बनाने  के बाद ही पता चलता है की कितना मुश्किल काम है और वो हमेशा सही होते है ..

बुधवार, 1 जून 2011

Bargadahi(Vat savitri )

It comes in  may end or june .
Place  One of the important festival of  awad or the Allahabad area .

Ceremony  This festival the prayer of bargad (banyan tree)by the married women she has to tie a thread 15 times and the Cantaloupe is used for it .
All the married indicator(Bindi,chudi,blouse,mehandi,bichia) are offered to bhagwan.

Alternate --In case if you do not have tree you can draw n a paper and then do the pooja .
Significance is to pray for the long life of husband .