मंगलवार, 1 सितंबर 2009

जीवन जोड़ी

प्यार का खुमार भी अजीब होता है
सहेली ,परिवार ,के अथाह प्यार के बाद भी
एक खास प्यार की चाह होती है
हर पल उसकी तलाश रहती है
प्यार सच्चा या छोटा नहीं होता
सिर्फ़ सच्चा होत्ता है
इसे सीचना पड़ता है
प्यार ,मर्यादा, श्रधा से
भक्ति करनी होती एहसास दिलना पड़ता है
नाजुक डोर को पक्का करना होता है
अपने सपनो को बुनने से पहेले
उन्हें ज़मीने सचाई से मिलना होता है
उसके बाद सपनो को आकार देना होता है
प्यार कर्म होता है
विचारो,खामियों को अपनाना होता है
जो नीव बनते है
आगे के स्तम्भ तो ख़ुद बा ख़ुद बन जाते है
प्यार इबादत है जिद समय आशय सन्दर्भ नहीं होता
आँखों ,स्पर्श और ध्यान से बात हो जाती है
इसलिए जोडिया उलटी होती है उपर से बन कर आती है ।

2 टिप्‍पणियां:

Arshia Ali ने कहा…

Sundar bhaav.
( Treasurer-S. T. )

Mithilesh dubey ने कहा…

आपकी ये रचना दिल को छु गयी। बेहतरिन