प्यारा देश याद बहुत आती हैं हम देश के बाहर आ गए.पर देश के बारे में बुरा न बोलके और समस्या समाधान उसकी अच्छे और देश का पासपोर्ट होना है
किसी भी देश की नागरिकता गर्व की बात होती है। कितना कुछ होता है देश के बारे में बताने में।
रह के
माँ का दर्जा खुद के माँ बनाने बाद और भी बढ़ जाता हैं। माँ आज आवाज़ और चाल से मेर दिल का हाल बता देती है। माँ बनाना और माँ होना बेहतरीन तोहफ़े है भगवान के। ...
सच्चाई
जीवन
नोट
याद, याद ही एक खुशियों का खज़ाना है।एक अनकहा रिश्ता है,बुढ़ापे सलवटों में घुले जीवन के सार का विस्तार है
हर जवान बूढ़ा और शादीशुदा इंसान से इस हसरत को पूरी करने की गुहार बहुत बार सुनी है। .... उम्मीद है इसमें शिद्दत न हो वर्ना कायनात काम कर ही देगी
हसीं विषय सूची
मुझे आज भी अपने नाना दादा में बहुत सुकून मिलता है। संस्कृति -साथ और समझौते का जो मज़ा उन घरो में था वो कही नहीं ,इसलिए भी क्योंकि मैं उन चंद ख़ुशनसीब लोगो में से हूँ जिन्हें बेहद खूबसूरत परिवार बचपन मिला पुश्तैनी मुँह
और। लम्बी
एक ज़बान होती है ख़ामोशी। मुझे कभी कभी उसका साथ बहुत अच्छा लगता है।
सब किसी न किसी है। कभी हम बता पाते है कभी नहीं
बहुत से ख़्वाब होते है जो हम बुन रहे होते है कभी दो सामानांतर राही भी एक होकर खुशी से जी लेते है
अपने छोटे से जीवन में मैंने बहुत पाया बहुत कुछ खोया। यह कुछ बहुत था पर साथ में दोस्त भी उतने रिश्तेदार भी थे जिन्होंने बिखरने लिया
हँसी इतनी सच्ची बेदाग़ प्यार का ज़वाब सिर्फ ही दिया जा
सच है सपने
आज कमी खलती है
कसिर्फ सच्चाई से पूरे हो पाते ऐसा
सबके पास होते सपनेफिल्म
ज़रा से झटके से व्यसनग्रस्त करती खामोशी
समय का फेर है अगर पहिया है तो लौट के आना ही है।
बस शब्द ही काफी है।
कभी बिमारी कभी दिमाग़ खलल करती
हर कभी डरती कभी सताती यह खामोशी
दिल जब दिल से मिलते है सुकून और आराम से जिंदगी कट जाती है
पुश्तैनी
कैसे उस वक़्त की वक़त समझएंगे
उसमे भी एक अलग मज़ा था
कभी डरती कभी सताती यह खामोशी
कमी खलती है
दिल
आज सबसे ज़्यादा खुशी की तलाश में सब भटक है जबकि खुशी लिए मन झाँकना ज़रूरी है
रिश्तो का संवाद होता है। कभी बिना बताये कभी बताये।हम अपनों को अपनी बात सही कभी हम बोलते है और उसका मतलब कुछ और होता है। आई मैं मैं
मूक संवाद खुद से मिले ज़रा
प्रेम एक ख़ूबसूरत एहसास प्रेम एक ख़ूबसूरत एहसास
आज का सबसे फैशन परस्त और सबसे बड़ी समस्या भी
मूक संवाद को आसान टीसती टीसती
ऋतु कुलश्रेष्ठ
मन चुभन दूर हो जाती है बांटने
खुद से खुद मुलाकात रात को ही होती है और संवाद
हम सब बहुत सी बातें करते है ,बातें करते करते कभी चुप हो जाते है ,कभी बोलते बोलते तोलने लगते है। बहुत बार कुछ बाते चाहते है पर वो डर ,मर्यादा या आवेश के कारण मन में ही रह जाती है। मैं बहुत बार अपनी सहेली को यह बोलना भूल जाती हूँ की आज वो कितनी अच्छी लग रही थी।अगर किसी पे गुस्सा ज़रूर किसी और पे उतर देती हूँ ।हाँ,किसी के जायज़ गुस्से सहन कर लेती हूँ।
किसी के साथ बात करना इतना अच्छा लगता है, कभी किसी को सुनना। घर की आपाधापी में संवाद खुद से होता है कुछ छिपा हुआ संवाद बस उसी को मूक संवाद कह रही हूँ मैं। कभी कभी जज़्बात बहुत गहरे होते है उन्हें शब्द में बया करना आसान नहीं होता पर फिर भी सामने वाला समझ जाता।
ऊंच करा दूसरे साथ बस चलना बढ़ना चाहिए।
कुछ कुछ खटटा कुछ कुछ मीठा रिश्ता है इस मीडिया से।सीखने जानने के लिए है.अच्छा बुरा फ़र्क इससे पड़ता है हम क्या सीखते है।
कितना खूबसूरत एहसास है माँ बनाने का इतनी सारी भावनाओं का समन्दर जिसमे पूरा जीवन गोते लगते रहते है उस एहसास साथ .. गुम
कभी पूरा होने का गुरुर
सब जानते है जीवन यही है पर फिर भी इसकी गिरफ्त में आ ही जाते है
बस! यही है न से बचा लिया
बचपन के उलजलूल सपने से
पचपन के शांति से देवगमन के सपने
सदियों का सफर तय कर
जीवन का केंद्रबिंदु बना कर कूद बा खुद बुनते सपने
असीम रिश्ते बातों पे। रजनी।
बस ,जब कलम दूर होती है तो उसके करण पर सीधा वार होता हैं।
छोटी सी बात पे जाती
मक़सद सब के है बस उन्हें ढूंढना ज़रूरी है
मुस्कान लाने और उम्मीद जगाने के 'लिए।
मन की सुगबुघाट और थाह लेते सपने
बूंदो
सावन और अपने घर आँगन मेरी यादों का गवाह है। सच ,सावन का मज़ा बहुत ही अलग है
सादगी और प्यारसाज़िश है खुशी बरक़रार रखने में
अक्सर आसान राहें ही मुश्किल होती है
परछायी और आत्मा के गठबंधन से खींचते सींचते सपने।
यशोदा भी माँ थी और देवकी भी क्या सच
सीता भी और कैकयी भी लुकाछिप्पी
माँ बस माँ होती है। जागती
गैरहाजरी
कुछ सच होते है और बहुत कड़वे होते है........
बहुत सी बिछड़े दोस्त मिला दिए ताकते।
क्या जा सकता है ईंट
कभी सीमा पर दिल गवा दिए
कुछ सच मन मनना नहीं चाहता
बेपरवाह
बंटा
कभी एक अफ़वाह से होश उड़ा दिए
हर आम आदमी को ख़ास बनाने की मुहीम जारी कर दी
अपनों के प्यार और तकरार में पनपते यह रिश्ते
रिश्तों का संवाद बहुत अनोखा होता है। उसकी सोच परिभाषा में प्यार और अपनापन होता है कभी तंज़ और तल्खी का एहसास। बस,जिंदगी ऐसे ही बनते बिगड़ते रिश्तों कीकहानी है
मेरे मेरे बच्चों अदवीत अनुष्का और मन संवाद के नाम।
१ मेरा देश प्यारा
२ माँ की कल्पना
३
४
५
६
७
८
९
१०
११
१२
१३
१४
१५सफल गृहणी
१६सपने
१७खुशियों के मायने
१८सावन
१९दस्तक
२०बच्चे के मुस्कान
२१जमीं के टुकड़े
२२दो दिल
२३
२५
२६
२९
३०
अपने बच्चों अदवैत अनुष्का और बहुत से मूक संवाद नाम।
११
१२
१३
दरवाज़े दस्तक़ बहुत नागवार लगता है गहरी नींद में यह जीवन दस्तक भी कुछ ऐसी ही है
हर घर ज़रूर ही कुछ कहता है हम फिल्म की रील सी यह ज़िन्दगी जीते है
मेरे बचपन के साथी
मेरी शैतानियों के साथी
मेरे हुकुम को तामील करने वाले
मेरी डांट को चुपचाप सुनाने वाले
मेरी खामियों को छुपाने वाले
मेरे प्यारे भाई और बहन
रात को फिल्म के साथ कॉफ़ी और मैग्गी
बना कर देने वाले
पूरी रात गप्पे मारने वाले
अपने हॉस्टल के किस्से कहानियाँ सुनाने वाले
आँखों के इशारों समझने वाले
कभी दोस्त और रिश्तेदारों के मज़ाक उड़ानेवाले
मेरी राखी और चौंक बनाने वाले
पटाखे और रंगो को समझदारी से बनानेवाले
खेल में खिलाडी को बताने वाली
कभी बहुत पहले ज़ाहिर इच्छा को अचानक पूरी करने वाले
मुझे दीदी कहने वाले प्यारे भाई बहन
मेरे ठहाकों और आँसू की सच्चाई नापने वाले स्वाति गौरव।
बिना भाई बहनों
मेरे भाई बहन
मेरे प्यारे पापा।
आपके ऊँचे कद सलाम
इस सुकून से भरे माहौल में पालने वाले को सलाम
बहुत समझाया खूब पढ़ाया खूब लिखाया
दुनिया की गहरायी को बिना कहे समझाया
हर मुश्किल को आसान बनाया
जीवन कठिन रास्तों को
वक़्त की क़ीमत और गहरायी को बताया
रिश्तो को निभाना कर्मो को संभालना
हाज़िरजवाबी और कर्मठता
की मिसाल क़ायम की
व्यावहरिकता ,ख़ूबसूरत मुस्कान और दिल के मालिक
संजीदा ,सादगी और हर हाल में खुश रहना रखना
सादा जीवन उच्च विचार
खुश रहो खुश रखो
मज़ेदार मस्ती और गंभीरता का मिश्रण
मेरे प्यारे पापा।
समझाया
भरा पूरा परिवार और
जैसे
पाता
होता
किसी भी देश की नागरिकता गर्व की बात होती है। कितना कुछ होता है देश के बारे में बताने में।
रह के
माँ का दर्जा खुद के माँ बनाने बाद और भी बढ़ जाता हैं। माँ आज आवाज़ और चाल से मेर दिल का हाल बता देती है। माँ बनाना और माँ होना बेहतरीन तोहफ़े है भगवान के। ...
सच्चाई
जीवन
नोट
याद, याद ही एक खुशियों का खज़ाना है।एक अनकहा रिश्ता है,बुढ़ापे सलवटों में घुले जीवन के सार का विस्तार है
हर जवान बूढ़ा और शादीशुदा इंसान से इस हसरत को पूरी करने की गुहार बहुत बार सुनी है। .... उम्मीद है इसमें शिद्दत न हो वर्ना कायनात काम कर ही देगी
हसीं विषय सूची
मुझे आज भी अपने नाना दादा में बहुत सुकून मिलता है। संस्कृति -साथ और समझौते का जो मज़ा उन घरो में था वो कही नहीं ,इसलिए भी क्योंकि मैं उन चंद ख़ुशनसीब लोगो में से हूँ जिन्हें बेहद खूबसूरत परिवार बचपन मिला पुश्तैनी मुँह
और। लम्बी
एक ज़बान होती है ख़ामोशी। मुझे कभी कभी उसका साथ बहुत अच्छा लगता है।
सब किसी न किसी है। कभी हम बता पाते है कभी नहीं
बहुत से ख़्वाब होते है जो हम बुन रहे होते है कभी दो सामानांतर राही भी एक होकर खुशी से जी लेते है
अपने छोटे से जीवन में मैंने बहुत पाया बहुत कुछ खोया। यह कुछ बहुत था पर साथ में दोस्त भी उतने रिश्तेदार भी थे जिन्होंने बिखरने लिया
हँसी इतनी सच्ची बेदाग़ प्यार का ज़वाब सिर्फ ही दिया जा
सच है सपने
आज कमी खलती है
कसिर्फ सच्चाई से पूरे हो पाते ऐसा
सबके पास होते सपनेफिल्म
ज़रा से झटके से व्यसनग्रस्त करती खामोशी
समय का फेर है अगर पहिया है तो लौट के आना ही है।
बस शब्द ही काफी है।
कभी बिमारी कभी दिमाग़ खलल करती
हर कभी डरती कभी सताती यह खामोशी
दिल जब दिल से मिलते है सुकून और आराम से जिंदगी कट जाती है
पुश्तैनी
कैसे उस वक़्त की वक़त समझएंगे
उसमे भी एक अलग मज़ा था
कभी डरती कभी सताती यह खामोशी
कमी खलती है
दिल
आज सबसे ज़्यादा खुशी की तलाश में सब भटक है जबकि खुशी लिए मन झाँकना ज़रूरी है
रिश्तो का संवाद होता है। कभी बिना बताये कभी बताये।हम अपनों को अपनी बात सही कभी हम बोलते है और उसका मतलब कुछ और होता है। आई मैं मैं
मूक संवाद खुद से मिले ज़रा
प्रेम एक ख़ूबसूरत एहसास प्रेम एक ख़ूबसूरत एहसास
आज का सबसे फैशन परस्त और सबसे बड़ी समस्या भी
मूक संवाद को आसान टीसती टीसती
ऋतु कुलश्रेष्ठ
मन चुभन दूर हो जाती है बांटने
खुद से खुद मुलाकात रात को ही होती है और संवाद
हम सब बहुत सी बातें करते है ,बातें करते करते कभी चुप हो जाते है ,कभी बोलते बोलते तोलने लगते है। बहुत बार कुछ बाते चाहते है पर वो डर ,मर्यादा या आवेश के कारण मन में ही रह जाती है। मैं बहुत बार अपनी सहेली को यह बोलना भूल जाती हूँ की आज वो कितनी अच्छी लग रही थी।अगर किसी पे गुस्सा ज़रूर किसी और पे उतर देती हूँ ।हाँ,किसी के जायज़ गुस्से सहन कर लेती हूँ।
किसी के साथ बात करना इतना अच्छा लगता है, कभी किसी को सुनना। घर की आपाधापी में संवाद खुद से होता है कुछ छिपा हुआ संवाद बस उसी को मूक संवाद कह रही हूँ मैं। कभी कभी जज़्बात बहुत गहरे होते है उन्हें शब्द में बया करना आसान नहीं होता पर फिर भी सामने वाला समझ जाता।
ऊंच करा दूसरे साथ बस चलना बढ़ना चाहिए।
कुछ कुछ खटटा कुछ कुछ मीठा रिश्ता है इस मीडिया से।सीखने जानने के लिए है.अच्छा बुरा फ़र्क इससे पड़ता है हम क्या सीखते है।
कितना खूबसूरत एहसास है माँ बनाने का इतनी सारी भावनाओं का समन्दर जिसमे पूरा जीवन गोते लगते रहते है उस एहसास साथ .. गुम
कभी पूरा होने का गुरुर
सब जानते है जीवन यही है पर फिर भी इसकी गिरफ्त में आ ही जाते है
बस! यही है न से बचा लिया
बचपन के उलजलूल सपने से
पचपन के शांति से देवगमन के सपने
सदियों का सफर तय कर
जीवन का केंद्रबिंदु बना कर कूद बा खुद बुनते सपने
असीम रिश्ते बातों पे। रजनी।
बस ,जब कलम दूर होती है तो उसके करण पर सीधा वार होता हैं।
छोटी सी बात पे जाती
मक़सद सब के है बस उन्हें ढूंढना ज़रूरी है
मुस्कान लाने और उम्मीद जगाने के 'लिए।
मन की सुगबुघाट और थाह लेते सपने
बूंदो
सावन और अपने घर आँगन मेरी यादों का गवाह है। सच ,सावन का मज़ा बहुत ही अलग है
सादगी और प्यारसाज़िश है खुशी बरक़रार रखने में
अक्सर आसान राहें ही मुश्किल होती है
परछायी और आत्मा के गठबंधन से खींचते सींचते सपने।
यशोदा भी माँ थी और देवकी भी क्या सच
सीता भी और कैकयी भी लुकाछिप्पी
माँ बस माँ होती है। जागती
गैरहाजरी
कुछ सच होते है और बहुत कड़वे होते है........
बहुत सी बिछड़े दोस्त मिला दिए ताकते।
क्या जा सकता है ईंट
कभी सीमा पर दिल गवा दिए
कुछ सच मन मनना नहीं चाहता
बेपरवाह
बंटा
कभी एक अफ़वाह से होश उड़ा दिए
हर आम आदमी को ख़ास बनाने की मुहीम जारी कर दी
अपनों के प्यार और तकरार में पनपते यह रिश्ते
रिश्तों का संवाद बहुत अनोखा होता है। उसकी सोच परिभाषा में प्यार और अपनापन होता है कभी तंज़ और तल्खी का एहसास। बस,जिंदगी ऐसे ही बनते बिगड़ते रिश्तों कीकहानी है
मेरे मेरे बच्चों अदवीत अनुष्का और मन संवाद के नाम।
१ मेरा देश प्यारा
२ माँ की कल्पना
३
४
५
६
७
८
९
१०
११
१२
१३
१४
१५सफल गृहणी
१६सपने
१७खुशियों के मायने
१८सावन
१९दस्तक
२०बच्चे के मुस्कान
२१जमीं के टुकड़े
२२दो दिल
२३
२५
२६
२७
२८२९
३०
अपने बच्चों अदवैत अनुष्का और बहुत से मूक संवाद नाम।
११
१२
१३
दरवाज़े दस्तक़ बहुत नागवार लगता है गहरी नींद में यह जीवन दस्तक भी कुछ ऐसी ही है
हर घर ज़रूर ही कुछ कहता है हम फिल्म की रील सी यह ज़िन्दगी जीते है
मेरे बचपन के साथी
मेरी शैतानियों के साथी
मेरे हुकुम को तामील करने वाले
मेरी डांट को चुपचाप सुनाने वाले
मेरी खामियों को छुपाने वाले
मेरे प्यारे भाई और बहन
रात को फिल्म के साथ कॉफ़ी और मैग्गी
बना कर देने वाले
पूरी रात गप्पे मारने वाले
अपने हॉस्टल के किस्से कहानियाँ सुनाने वाले
आँखों के इशारों समझने वाले
कभी दोस्त और रिश्तेदारों के मज़ाक उड़ानेवाले
मेरी राखी और चौंक बनाने वाले
पटाखे और रंगो को समझदारी से बनानेवाले
खेल में खिलाडी को बताने वाली
कभी बहुत पहले ज़ाहिर इच्छा को अचानक पूरी करने वाले
मुझे दीदी कहने वाले प्यारे भाई बहन
मेरे ठहाकों और आँसू की सच्चाई नापने वाले स्वाति गौरव।
बिना भाई बहनों
मेरे भाई बहन
मेरे प्यारे पापा।
आपके ऊँचे कद सलाम
इस सुकून से भरे माहौल में पालने वाले को सलाम
बहुत समझाया खूब पढ़ाया खूब लिखाया
दुनिया की गहरायी को बिना कहे समझाया
हर मुश्किल को आसान बनाया
जीवन कठिन रास्तों को
वक़्त की क़ीमत और गहरायी को बताया
रिश्तो को निभाना कर्मो को संभालना
हाज़िरजवाबी और कर्मठता
की मिसाल क़ायम की
व्यावहरिकता ,ख़ूबसूरत मुस्कान और दिल के मालिक
संजीदा ,सादगी और हर हाल में खुश रहना रखना
सादा जीवन उच्च विचार
खुश रहो खुश रखो
मज़ेदार मस्ती और गंभीरता का मिश्रण
मेरे प्यारे पापा।
समझाया
भरा पूरा परिवार और
जैसे
पाता
होता