शनिवार, 10 नवंबर 2012

मुझसे हर पेड़ अपना सा लगता है


मुझसे हर पेड़ अपना सा लगता है
कभी मेरे पास कभी मुझसे दूर लगता है
 कभी आसपास  कानाफुस्सी 
मुझसे  गले लगता कभी मुझसे  दूर जाता
हर पेड़ कुछ कहता है !!!

कभी मेरी चुगली कान लगा के सुनता कभी दोस्तों के ठहाकों में साथ सा
कभी  मिलता सा कभी उनकी उदासी में साथ
कभी क़तर में कभी तनहा  सा मासूम सी  
अंगड़ाई  लेते बेहद मासूम  कभी बच्चा   कभी बड़ा धुप छाव  से लुकाछिप्पी
बड़ा अपना सा लगता है हर पेड़ कुछ कहता है