Today is 1st September papa it's your B'day .Happy B'day papa ...I miss you I wan to be there for you ...but..Papa I write a poem for you ..this is what I can give it you ...with all the best wishes from the corner of my heart.
बाबुल तेरी छाव को छोड़ चली में
बचपन की अठखेलियों में साजी यादिएँ साथ लिए
तेरे प्यार की खुशबु को एक नयी दुनियां में फेलाने के लिए
तेरी कहानियों की सीख से परये घर को अपनाने के लिए
हर कदम तेरी याद मेरे साथ है
तेरे ही अक्स की हर शख्स में तलाश है
तेरी देहरी ने करा मुझे पराया है
फिर भी न जाने क्यों तुझे ही पास पाया है
आँखों में तेरी छवी की कोई मिसाल नहीं
तेरी बिना मेरी कोई अगुवाई नहीं
आज इतने बरस बाद भी नेहर की याद से भीगा है मन
बरस बीतने पे असर गहरा होत्ता है
न तेरे पास थी जब तुने मझे बुलाया
क्यों कर दिया मुझे इतना पराया ?
अरसे से नेहर की याद मन में छुपी है
नहीं कोई ठोर तेरे आस की बिना कोई नहीं इतना प्यार दे पाया
तेरे निश्चल प्यार ने बचपन की लड़ा ने-- नहीं होने देता है मुझे बड़ा
आज तेरे किस्से से मेरा घर महका है
मेरे जन्मदिन को कितना यादगार बनाया है
आज तेरे जन्मदिन मैंने सच्चे मन से याद किया है
न जाने यह नमकीन आंसू क्यों निकल गए
तेरी मीठी यादों को ही केक बना के सुखं पा लिया है
जो तुने दिया उसके बदले हमेशा के लिए दूर जाना मांग लिया है
इस रीत की दिवार में अपने प्यार को रोक लिया है
बाबुल तेरी छाव को छोड़ चली में
बचपन की अठखेलियों में साजी यादें लिए//
बाबुल तेरी छाव को छोड़ चली में
बचपन की अठखेलियों में साजी यादिएँ साथ लिए
तेरे प्यार की खुशबु को एक नयी दुनियां में फेलाने के लिए
तेरी कहानियों की सीख से परये घर को अपनाने के लिए
हर कदम तेरी याद मेरे साथ है
तेरे ही अक्स की हर शख्स में तलाश है
तेरी देहरी ने करा मुझे पराया है
फिर भी न जाने क्यों तुझे ही पास पाया है
आँखों में तेरी छवी की कोई मिसाल नहीं
तेरी बिना मेरी कोई अगुवाई नहीं
आज इतने बरस बाद भी नेहर की याद से भीगा है मन
बरस बीतने पे असर गहरा होत्ता है
न तेरे पास थी जब तुने मझे बुलाया
क्यों कर दिया मुझे इतना पराया ?
अरसे से नेहर की याद मन में छुपी है
नहीं कोई ठोर तेरे आस की बिना कोई नहीं इतना प्यार दे पाया
तेरे निश्चल प्यार ने बचपन की लड़ा ने-- नहीं होने देता है मुझे बड़ा
आज तेरे किस्से से मेरा घर महका है
मेरे जन्मदिन को कितना यादगार बनाया है
आज तेरे जन्मदिन मैंने सच्चे मन से याद किया है
न जाने यह नमकीन आंसू क्यों निकल गए
तेरी मीठी यादों को ही केक बना के सुखं पा लिया है
जो तुने दिया उसके बदले हमेशा के लिए दूर जाना मांग लिया है
इस रीत की दिवार में अपने प्यार को रोक लिया है
बाबुल तेरी छाव को छोड़ चली में
बचपन की अठखेलियों में साजी यादें लिए//