मेरी कविता आजकल बहुत नहीं आ पाती कभी कभी सोचती हूँ ऐसा क्यों है ...मेरे ब्लॉग के लिए यह सही नहीं पर जब बच्चे को अपनी ज़रूरत होती है ...लेकिन फिर भी कुछ चाहिए शायद आप आजाये ...कभी अपने विचारो से ..कभी किसी और बहाने .........पर आप आते रहना मेरे मनोबल को एक सहारा मिलेगा
जीवन की आपाधापी में खो गयी हु अपनी पहचान पर सुकून में हूँ
कभी एक दिने में ३ -४ कविता पिरो लेती थी अब शब्द ग़ुम से हो गए है
गृहस्थी के कमजोर दौर से गुजर रही हूँ
मेरे बच्चे के बढते कदम ज़रूरी हो गए है
समय पे सब काम के लिए धुरी बन गयी हूँ
आज नहीं तो कल मुझे समय मिलेगा में आ जाउंगी
फिर अपने कोरे कागज़ पे शब्द खुद अंकित होंगे
पर बच्चे के बढते कदम नहीं देख पाऊँगी दोबारा
अपनी माँ के पास बठने और हर काम समय पे करने पर गर्व था
आज उनको मुझ पर गर्व होवासी ही धुरी बनाना चाहती हूँ
अभी तो शरुवत है मंजिल बहुत दूर है ..
शायद कभी तो मिलेंगे कुछ शब्द वही से आ जाउंगी ..
कभी कभी अपने शब्द ले कर...
.. पर आप न आना छोड़ेगा वही मेरी ताकत होगा ...
कुछ शब्द छोड़ जाएगा ....मेरी प्रेरणा के लिए ............