रविवार, 24 अप्रैल 2011

प्रश्नों



दो चार प्रश्नों के उतर तोह दे सकती थी 
पर उन जवाब से निकले सवालों के उतर तुम न दे पाते 
में कुछ अधूरे सवाल अच्छे रह जाये तो बेहतर है 
जीवन बत्तर  हो इसे सवालों के उतर की असा नहीं है
वसे भी इस जीवन की उधेबुन  में इतन गुम हो गए है   
साथ होते भी तनहा महसूस होता है 
कुछ लोगो का साथ पुराने साथी की याद अन्यास आ जाती है
फिर अपने उने अनकहे प्रश्नों में खो जाती हु
जसे जसे ज़िन्दगी चलती है  प्रश्नों के उत्तर उतने मुश्किल हो जाता है
फिर एक उधेबुन में गुम हो जाती हु
कुछ प्रश्न फिर जनम ले लेते है
उत्तर  उम्र के साथ  बदलते जाते जसे पूछे और बताने वाले बदल जाते है
इसी गुथाम्गुथी में उलझ कर खो जाते है
न जाने कब जीवन के आखिर पल करीब आ जाते है .............कुछ प्रश्न और कुछ उत्तर के जवाब में .................


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