बुधवार, 24 अगस्त 2011

जितना मैंने पढ़ा और समझा

एक ज़मीन अपनी - चित्रा मुदगल -यह बहुत रोचक और एड्वेर्तिसिंग आधारित बहुत रोचक उपन्यास है । इसकी संरचना बहुत कुशल है । इसमे किस तरह एक लड़की अंकिता अपनी साख को बनते हुए सफल होती है और अपनी सहेली कविता को अच्छे मार्ग के सलाह देती है । जो भी तंग करता है या उस का मजाक उडाता है उसे बिना बोले अपना काम करके साबित करती है सच्चाई और ईमानदारी की ताकत को । प्रेरणादायक ।

एक गधे की आत्मकथा -कृष्ण चन्द्र - यहे बहुत ही करार व्यंग है जिसमे अगर जन पहचान हो तो गधा कुछ भी कर सकता है ।

शमशान चंपा -शिवानी जी -एक लड़की चंपा की कहानी जो डॉक्टर है और अपनी माँ की देखभाल करती है ,जो पति के जालसाजी का इल्जाम और मौत से दुखी है साथ ही चोट्टी बेटी जूही के मुस्लिम लड़के से विवाह की बदनामी से भी परेशां है ।चंपा उसे दुसरे शहर ले जाती है उसकी सगाई टूटने के बाद । फिर उसका मंगेतर उसको मिल जाता है जब वो एक कांफेरंस में जाने को होती है । बुआ भी एक अच्छा जोड़ा पात्र है जो ताने दे कर एक अलग एहसास दे जाती है । बहुत अच्छा उपन्यास है नारी के सुखद संघर्ष की एक और दास्ताँ ...एक बार में इस पढ़ा लिया बहुत बाँधता है शिवानी जी का लेखन ।


अंक ज्योतिष ,भाग्य ,बुद्धि और bhagwan - विद्यावाचस्पति रामगोपाल जाखोटिया -ज़रूर पढ़ा जाने वाल लेखन ,जो बातें हम अपने दिल की कोने में सोचते है उसको बहुत खूबसूरती के साथ लिखा गया है। सदा हुआ लेखन इसे हर २-४ महीने में ज़रूर पढ़ना चाहयिए ॥यदि हम कोई एसा काम करना कहते है जो हमारे दिल की गहरायिओं में छुपा रहता है । यहे एक प्रेरणा है सार्थक जीवन जीने की और कुछ अनकहे ,अनचाहिए बातो की लिए ।

चाबी बंद संदूक - आशा पूर्ण देवी -दो ४०-५० साल के लोग अपने पुस्तानी माकन में आकर अपनी समृति में खो जाते है और एक एक कोने को याद कर सोचते है की कैसा था सब, जब वो छोटे थे । माँ उनके दादाजी का रिश्ता आर भी बहुत कुछ .....


मारा हुआ सच - न.अखिलेश - सत्यवान की कहानी और उसका गाँव झुनिया की मौत और बाद में मिसेस कामत बन कर आना । उसका गंगा के प्यार को भाई बहिन के प्यार समझना और उसकी माँ का दुसरे लोगो के साथ जाना । माँ की मौत के बाद बॉम्बे भाग जाना वह फ़रीना से मिलना ......बॉस और झुनिया । बहुत अच्छा उपन्यास ॥नारी को समझना और उसके कई रंग लिए है यह उपन्यास ।


गुलबदन -ताराशंकर बन्धोपद्याया - अनुवाद()शकाकर्बाई ) -

तथापि - प्रमोद त्रिवेदी - यह एसा उपन्यास है जिसमे दो जगह और उन से जुडाव के बारे में है पर में इससे पढ़ा कर अपने को जोड़ा नहीं पाई । पूरा नहीं कर पाई ............


दर्द की घाटियाँ - माया प्रधान - नील आर अम्बर भाई ...अम्बर जेल गया था क्योंकि उसने माँ के इज्ज़त लुटने वाले गुनीराम को मर दिया था । नील को प्यार था बिंदिया और उसकी बुआ पसंद करती थी अम्बर को ..मुस्ताक चाचा से अम्बर हर बात करता था ॥ ज़मीदार अपना अपना चलता था .......
काफी अच्छे से बुना गया उपन्यास है एक बार में पड़ने को जी कर गया सो पढ़ा लिया ।

कोई टिप्पणी नहीं: