Novel-कवच

करुना ,मुझे बहुत काम है । आज कुछ और मीटिंग मत रखना ।

पर रीती , ..आज अरुण को आना है .............
जाते जाते रुकी .....आज .......ठीक है तुम उसे उठा के भेज देना ....
रीती सुनो ...........अरे एरी बात तो..........चली गई ..........भाग रही है अपनी ज़िन्दगी से ..पता नहीं कभी किसी को बोलेगी भी या नहीं ।

हाँ वो भागती है अपने अस्तित्व से अपने दुखो से अपने प्यार से ...इस काम के बोझ में उसने इंतना गुम कर दिया, सब भूल जाना चाहती है हर रात सोने से पहले वो सब याद करती है .नहीं उससे याद आता ही होगा .......आज भी उसकी पूजा करती है और अपने को एक सधे हुए रूप पहले रख कर दुनिया अचानक सामने अपना दुःख आसानी से छुपा लेती है ।
आठ साल पहले वो अमरीका छोड़ के अचानक आ गई यहं ॥ शादी को साल भर भी नहीं हुआ था उसका ....किसी से कुछ नहीं कहा नागपुर में जाके एक कॉलेज ज्वाइन कर लिया । किसी को ख़बर नहीं की वो आ गई है । निरल पैदा होंने वाला था । समझ में नहीं आता अकेले उसने यहे सब किया । जब निरल २ साल का था तो अचानक हम एक कांफ्रेंस में टकरा गए । में उसे यहं देख कर हैरान थी......... वो बिल्कुल शांत स्वभाव से मिली । और मेरे बारे में सब पूछ कर चलने लगी ...२ दिन की कांफ्रेंस थी १ दिन था तो मुझे कुछ एहसास नहीं हुआ यहे क्या हुआ उसने कुछ नहीं कहाँ मैंने उसे अपनी पूरी दास्ताँ सुना दी ..उसने हमेशा की तरह सुन ली और फिर उस दिन वो मुझे नहीं मिले में रिसेप्शन से पूछ कर उसके कमरे में गई रात के ११ बाजे थे मुझे देख कर उसने आराम से बुलया और वो मेरे लिए चाय और परले जी बना कर बेठी थी .................मुझे लगा जसे कुछ बदल ही नहीं है बस उसका इरादा और मजबूत और पक्का हो गया है ।
मुझे देख कर बोली ...मुझे पता था तुम ज़रूर आओगी ...
मैंने बोला तुझे तो हमेशा सब पता रहता है ........एक प्यारी से मुस्कान दे दी
मैंने बोला तू तो बहुत सुंदर हो गई है एकदम मस्त बहुत रूप चढा है तुझे अमेरिका का
इतनी फीकी हसी देख कर में डर गई समझ में आ गया कुछ टूट गया है कुछ छुट गया है ...............हिम्मत ही नहीं हो रही थी कुछ पूछु आगे .........बात आगे बढ़ने के लिए मैंने पुछा यहे तेरा बेटा है ....
उसने फिर सँभालते हुए कहाँ हाँ यहे मेरे निरल है ........बहुत क्यूट है एक दम अमेरिकन बच्चा ..............फिर प्यारी हसी ......अरुण कैसा है ? यह चहरे के भाव बहुत अलग थे ...........पर वो संभल गई और बोली बहुत अच्छा है तुम लोग यहं कब आए ............
२ साल पहले .......
क्या? मेरे चौकने के बारी थी
मैंने झूठा गुस्सा दिखाते हुए बोला ..और मुझे बतया तक नहीं ...तू तो बोलती थी शादी के एक साल तक सब भूल जाते है फिर सब याद आता है ............ पर तुने तो मुझे याद नहीं किया ..मुझ से सब ने मुह मोडा लिया ...............तुने भी क्योंकि मैंने अंकित को छोड़ दिया था ।



तुने क्यों छोड़ अंकित को ...?
क्यों क्या मर्द के नाम पर धब्बा था ...न उठाना बैठाना न खाना पीना किसी चीजे की तमीज़ नहीं थी ...........और कोई सुख नहीं बस पैसा इतना था की बस ........उसके माँ पिता की सारे दिन देखभाल करो उनकी सुनो ५-६ नौकरों को संभालो और रात को १० बाजे पति के दर्शन । यहे भी कोई जीवन था । मैंने पैसे से शादी नहीं की थी । चलो अगर वो.... नहीं तो कोई बात नहीं पर उसके अलवा तो मेरी परवाह करो ...में नहीं कहती दिन रात पीछे रहो पर .....मेरे ज़रूरत का ख्याल तो रखो .....कुछ नहीं १००० रूपये की मगज़िने ले आयेंगे पर कोई २० रूपये की सहेली फेमिना नहीं लाई जाती .....एसी इतनी बातें थी की ...एक किताब लिख दू .............
झट से बोली ....लिख दे न रोयल्टी में ले लुंगी अगर तुझे नहीं चाहिए तो
..............दोनों इतनी ज़ोर से हँसे .....पुराने दिन याद आ गए
कितने अच्छे दिन थे कोई फिकर नहीं ...खुले आकाश की तरफ़ देख कर झूम उठते थे । खूब घूमते थे ..हर नया रेस्त्तारेंट हर नई जगह मन्दिर से ले कर पार्क में जाना किसे भी छुट्टी वाले दिन घर पर नहीं रहते थे । सब अपनी अपनी गाड़ियों पर बैठ कर उड़ते थे रहते थे ......एकदम आजाद पंछी की तरह ............किसी का भी मजाक उड़ते थी और फिर जंगली की तरह हस्ते थे ................सब की ममी बोलती थी कोई तो लड़की वाली आदत रखो पता नहीं ससुराल में जाके क्या करोगी । हम बड़े मज़े से बोलते थे उन्हें तंग करंगे .....................
हस्ते हस्ते अचानक दोनों की आंखे भीग गई .................और एक खामोशी ..डरने वाली खामोशी ने जनम ले लिया .........
इतनी मासूम है यह रीती ..............में उसकी तरफ़ इसे देख रही थी मुझे लग रहा था चटान पिघल रही है लावा फूट सकता है ..................इतनी मासूमियत से पूछ एसा क्यों हुआ करुना ............?
मैंने कहाँ क्या ?
हमारे वो दिन कह चले गए .......हम हमेशा ऐसे क्यों नहीं रह सकते ?
हमे किसी बात की चिंता नहीं थी बस माँ बाप को हमारी चिंता थी हमारी शादी की ..................वरना वो ज़िन्दगी भी क्या बुरी थी ...........
बुरी नहीं बहुत अच्छी थी .............पर कोई माँ बाप बच्चो की खुशी नहीं देख सकता ........पता था रीती को अच्छा नहीं लगेगा वो कभी माँ बाप की बुराई पसंद नहीं करती ...
वो बोली क्यों ?
मुझे लगा नहीं बदली है यह..................क्यों का मेरे अलग होंने से खुश नहीं थे ........उन्हें लग रहा था में ग़लत कर रही हु । मैंने उन्हें छोड़ दिया .......तो जीत गई ...........?
में केसे ? रीती ने आश्चर्य से पुछा
तुने कहा था न की ...तू अलग होने का निर्णय यह सोच कर लेना की तू अकेले है कोई तेरे साथ नहीं बिल्कुल सच था में अकेलेरह गई पर मुझे लगा में सही बात पर थी पर तुने कहाँ तह माँ - बाप भी नहीं ......वो सही में नहीं थे मेरे साथ .में कैसे रहती ? फिर नागपुर में आगयी ..आज तेरे ज़ोर देकर किया गया पीएचडी काम आगया ......
रीती क्या हुआ ......?कहाँ खो गई ?
पता नहीं करुना में सब भूल गई केसे ................?
कोई नहीं रीती बहुत टाइम हो गया ....?
आंटी अंकल कह है ?
वही होंगे अपनी जगह .........
तू मिलते नहीं

वो मुझसे बात नहीं करना ..........उनके हिसाब से उनकी नाक कटा दी .मैंने .....
क्या ......?
हाँ
शोभा कहाँ है ?
अपने पति के साथ आस्ट्रेलिय में
सही है ? सब मतलब की दुनिया है .........मैंने घर के लिए सब किया अपना प्यार छोड़ दिया अपनी पढाई अपना जॉब में सब को सब दिया आज मेरे पास क्या है ...............
करुना ................रीती हा कंधे पर हाथ आते ही में छोटे बच्चे की तरह रोंने लगा गई पता नहीं कितने दिन का गम था जो बह रहा था....हमेशा तेरे हाथ की गर्माहट ने मुझे सहारा दिया है रीती ...तू सोच में कसे बिन बच्चे के रह पाती ........बता मैंने क्या ग़लत किया ? मैंने जो मैंने सगाई तोडी वो ग़लत थी पर ...यहे भी मानती हु की मुझे 3-४ लड़के पसंद थे मेरा अफ्फैर रहा है ..पर में अपनी मर्यादा जानती थी ...में कोई भूखी ...........रीती ने मेरे मुह पर हाथ रख दिया ...जानती थी वो ऐसे बात पसंद नहीं करती मुझे अच्छा लगा आज
कुछ ग़लत नहीं है
रीती तू क्यों नहीं बदली
किसके लिए बदलू ..................
अब तो बस यही मेरी ज़िन्दगी है ..इसके सहारे जिउंगी
रीती क्या हुआ
कुछ नहीं यार बस लाइफ बहुत अलग है जसा हम सोचते है सब अलग होता है
में बदली थी किसी के लिए अब वो नहीं तो क्या ..............
चल सोने चलते है .......
रीती ...........बातना
क्या क्या हुआ सब .?
सब बहुत अच्छा था पर में बुरी थी उनके लिए ?वो बहुत अच्छे थे सब के लिए
किसकी की insecurity किसी को बेटा खोने का डर और बेटा को अच्छी बीवी की चाहते
रीती तू अच्छी नहीं थी एसा कसे हो सकता है
एसा ही है ...
तू अभी भी प्यार
छोड़ वो सब .......हम प्यार एक बार करते है वो सच है
क्या प्यार .............हमेशा एक तरफ़ा था
मेरी ज़रूरत किसको नहीं है उनको भी नहीं ......................?
वो अच्छे है सब के लिए ...............
 रीती................
सच है जीवन साथी मतलब जो जीवन की हर राह में आपके साथ हो आपको हर तरह से ग्रहण करेगा  आप के सपनो को पूरा करेगा आपका ध्यान रखेगा .......पर मेरे सपनो पे पानी नहीं ....एसा लगा --जैसे  किसी ने नीद से उठा कर खड़ा कर दिया ..में संभल ही नहीं पायी ......और पता नहीं कब मिठास कडवाहट में बदल गयी में उनके पास नहीं रहना चाहती थी ........सबकी शादी  में परेशानियाँ होती है ........में जानती थी ...मेरी में भी होगी लेकिन ...इतनी की में उनको देखना भी नहीं चाहती ........न जाने कब बेमानी लगने वाली बातें मुझे अन्दर तक हिला गयी ............एक ऐसा इन्सान मेरा हमसफ़र .... जिसे मेरी सास लेने से भी एतराज़ होता था ....जबकि उसके हिसाब से हर काम होता था  .....मैंने कुछ रुल बनाये ..कभी किसकी के घर  वालो के बार में कोई बात नहीं ...कभी किसकी बात को मन में नहीं रखेगे .....रात को कभी लड़के नहीं सोयेंगे .......................हर बात अनसुनी कर दी ...
में एक जंजाल में फसती जा रही थी जितना खुलने की खोसिः करती उतनी और धस्ती जाती