शुक्रवार, 10 दिसंबर 2010

मायका

गज़ब खुशबु होत्ती है बचपन की पचपन तक ताज़ा  रहती है
सिंदूर की लकीर से पल में परे कर दिया जाता
पर दिल में छिपी याद को कोई नहीं जला पाया
माँ पर की हुकूमत , पिता पर जमाया रोब
भाई बहिन की लाडली होती  जाती
 पल रूठ जाती सारी ख्वाइश पुरी होत्ती
बड़े अरमान से एक डोली उठती है
सब के आशीर्वाद से उसकी सामान में बसी होत्ती
गहनों से प्यार नहीं कपड़ो का लालच नहीं
बस माता पिता के प्यार की खुशबू का ख्याल है
उनके आशीर्वाद से नए जीवन को महकाना  चाहते है
ससुराल में मायके की खुशबू  बरक़रार रखना चाहते है

बुधवार, 8 दिसंबर 2010

दो दिल

बहुत से साल बीत जाते है एक दुसरे के साथ
कभी दो दिल मिल कर नदी बन जाते
कभी दोनों दिल के छोर सागर से भी दूर हो जाते
साथ यह   जीवन इतना असं नहीं होता
सबका अपनी धरती और अपने असमा पे  अधिकार  होता
कभी अकेले रह कर भी साथ होते है कभी साथ होकर भी  तनहा
बहुत नाजुक डोर है दिल से  दिल की
ज़यादा  ढील दे दो तो छुट जाती
कसा पकड़ते ही दम निकल जाता
रख देने पर उलझ जाती है
छोड़ देने पर ग़ुम जाते  है
फिर से तनहा दो दिल भटक जाते है

शनिवार, 14 अगस्त 2010

मेरा देश

शत शत नमन!! ६४ स्वतंत्रता  दिवस पे एक छोटा सा प्रयास

यह है मेरा देश प्यारा
भारत है इसका नाम
चारो लोक में है इसकी शान
जग है सबसे चमकता तारा।
                        जन -गण- मन है राष्ट्र गान
                        वन्देमातरम  राष्ट्र  गीत
                       मोर,चीता,कमल है हमारे
                        राष्ट्र पक्षी ,पशु और फूल
                         सच्चाई  है धर्म   हमारा
                        प्यार हमारी भाषा
                        इन सबका संगम है देश हमारा।
पग पग पर बदलती भाषा
खाना और पहनावा
नहीं है कोई मन मुटाव
न कोई छोटा न कोई बड़ा
न उंच नीच न जात पात
हम सब एक समाज
इसी में है हमारी शान.
                               एकता है हमारी ताकत
                              प्यार हमारा  बल
                              होसले है बुलंद  हमारे
                                कर देते है पस्त
                              दुश्मन के इरादे

सोमवार, 5 जुलाई 2010

अब जब में इंडिया जाऊँगी

अब जब में इंडिया जाऊँगी
न में हिंदी में बात करुँगी न नमस्कार करुँगी
hi hello में  ही सबका उतर दूंगी, काला  चश्मा छोटे   कपडे,हाथ में पर्स
हाई हील ,गर्दन में कलफ
सादा  पानी  नहीं बिसलेरी लुंगी
मेरे लिए  ए सी लगवाओ
नरम  नरम बिस्तर लाओ
 कोर्न्फ्लाकेस का नाश्ता बनाओ
खाने में पास्ता ,सलाद पिज्जा और फ़्रुइत्स ही खाऊँगी
अंगेरजी में बाई को  हुकुम  दूंगी
अबकी जब में US से इंडिया जाऊँगी
यह सब काम करती हूँ  किसी को नहीं बताउंगी
काम तो पति करता है पर अफ्सरनी  में दिखाउंगी
बच्चे को छुते ही santitizer  लगने का निवेदन करुँगी
यह बाई के सब काम करती हूँ वह तो अफसर बनाने का काम करुँगी
US  का रोब ही बहुत है
कितनो को पाता है असलियत
यह कंजूसी  से रह कर --कर रहे  है बचत
वह लुट कर लोगो पे रोब जमा देंगे
इसलिए तो २ साल में एक बार ही घर के द्वार दस्तक देंगे
यह की अच्छी चीओ का बखान कर
घर से दूर रहने के दंश को छिपा लेंगे
अबकी जब इंडिया का रुख  करेंगे

शुक्रवार, 23 अप्रैल 2010

ज़मी का टुकड़ा

एक ज़मी  के टुकड़े ने किया सब से पराया
माँ -बेटे को दीवार बनाया
भाई भाई का दुश्मन बनाया
अपने अड़े वक़्त के लिए ज़मी का टुकड़ा लिया ,
 आज सारे  रिश्तो के अड़े आ गया .
  सिर्फ ज़रूरत के रह गए रिश्ते
अपने गड़े पसीने की कमाई  से खरीदा टुकड़ा
आज अपने खून को  पसीना करने को तैयार  हो गया
तिनका तिनका करके जोड़ा
आज सब बराबर करने पे अमादा हो गया
अपने बचपन की धुप  छाव को भूल कर
आज जवानी का  रोब दिखाके बोला
कल उसका भी बुढ़ापा  है यह न जाना
किसके पास क्या टिका है यह किसने जाना
कल यह हमारा था आज तुम्हारा है परसों किसी और का
ज़रा मरने का इंतज़ार तो करते हम नहीं अपने साथ लिए जाते
बस अपने साथी की यादें  थी तुम्हारे बचपन के मीठी अठखेलियाँ थी
पास पड़ोस था वर्ना इट,पत्थर से प्यार होता तो क्या बात थी
अपना कीमती  समय तुम्हे देने के बजाये कुछ और कमा लेते या घूम लेते
 यह मकान और पैसा तो मरने के बाद भी मिल जाता
अभी न बोलते तो शायद मेरे जीवन के दो चार साल हँसी  ख़ुशी निभ  जाते
अपने जीवन की सार्थक होने पे खुश रहते
आज एक टीस के  साथ जायेंगे परवरिश में कहीं तो कमी रह गयी
भगवान !! यह कमी तुम्हारी परवरिश से हटा दे  .
एक टुकड़े के ही बात थी अपने जिगर के टुकड़े की इच्छा  से कुछ ज़्यादा नहीं है .

बुधवार, 21 अप्रैल 2010

खुशियों के मायने

कुछ कोरी कल्पनो को पनपते देखा है
कुछ अजनबी इच्छाओ को पूरा होते देखा है
कभी रोते हुए हँस भी दिए है
कभी आसुओ  को बिन बात के लुढकाया है
कोरे पन्नो  पे रंग भी भरे है
 बारिश की बूँद को पकड़ने का नाटक किया है
सप्तरिशी माना है हर ७ तारो के समूह को
इन्द्रधनुष के रंगों को बिखरे दिया है
पेड़ पे चढ़ कर आम भी खाए है
गिल्ली और डंडे पे भी हाथ अजमा लिया है
आज बड़े मुश्किल लागती है यह डगर
सब होते हुए भी सुनी है सेहर
खालीपन आ गया जीवनरस खो गया है
मासूमियत छिप गयी है, हँसी रूठ गयी है
बेमतलब .फ़िज़ूल सी लागती है परछायी
क्या लेंगे किसीका अपना सब लुट बैठे  है
खुद से बहुत प्यार है और घर का ख्याल  है
इसलिए जी रहे है मर भी गए तो कौन हमे याद करेगा
यह सोच जी नहीं दुखते
अपने कुछ कर्तव्य है  वही पुरे करते जा रहे है
कदर का तो क्या? इच्छा का तो क्या ?मन के मेल का क्या ?
सब कुछ उड़ते मन के हसीन सपने थे आज उड़ गए
हम ठगे से अपनी अर्थी का इंतज़ार करते है
तभी जीवन अपनी तरफ बुला लेता है
जब सच्चाई  का सामना करते है तो खुशियों के मायने मिल जाते है
बहुत से चीजों  के दोषी हो जात्ते है कुछ सवाल करो तो कटघरे में आ जाते है
कौन सी खुशियाँ ढूंढते है ?सब है बस कुछ बात न मानाने पर जीवन से निराश हो जाते है
एसा भी कहीं होत्ता है नादान दिल का धोखा है
जरा नार हटा के देखो यह सब कितने अपने से लगते है.

बुधवार, 31 मार्च 2010

दो पल

ज़रा दो पल ठहर  जाते
हम अपने मन की बात तुमको बताते
कितनी चाह थी रोक ले तुम्हे
पर जाने की जल्दी ने
और बेरुखी से हम अन्दर तक सुलग गए
यु तो इन तोफहा  की चाह  नहीं
 इनमे छुपे प्यार को शिदत से महसूस करते है
तुम्हारी गेरहाजारी में अपनी किस्मत पर इतराते  है
एक तुम ही तो हो जो हमारी बचकानी बाते  झेल पाते  हो
कभी अपनी नादानियों पे हम शरमाते है
तुम्हारे आलिंगन  में जितना सुकून है वो धरती के किसे कोने में नहीं है
हमारी गुस्ताखियों को भी तुम माफ़ कर देते हो
तुमसे ही हमारी शान है सिर्फ तुम्हारा ही अरमान है
हर ख़ुशी दे पाए जिसे तुमने चाह है
तुम्हारे प्यार के सामने मेरी हर चीज़ कम है
हम शुक्रगुज़ार है की रब ने तुम्हारे प्यार के लिए हमे चुना
कितने ही लव्ज कहे वो कम है.

गुरुवार, 21 जनवरी 2010

मेरे बच्चे के मुस्कान

मेरे  बच्चे के मुस्कान में मेरा जहन समाया है
 सुबह शाम की घडी को उसके हिसाब से चलाया  है
कभी यह मुस्कान मेरा दिन बना देती कभी गुस्सा काफूर कर देती
मेरी हँसी का हँस कर जवाब देता तो में गद गद हो जाती
 हमेशा खिलता रहे उसका यह  मुख प्यारा
माँ की अपार ममता का मतलब अब समझ आया
हर पल उसको खुश देखने के चाह है
हर माँ के दिल की आवाज़ एक होती है बस उसे सुनाने वाले कान चाहिए
यह विधान है खुद माँ बन कर ही इस एहसास को जिया  जा सकता है
माता पिता के इस प्यार को नाम दिया