गज़ब खुशबु होत्ती है बचपन की पचपन तक ताज़ा रहती है
सिंदूर की लकीर से पल में परे कर दिया जाता
पर दिल में छिपी याद को कोई नहीं जला पाया
माँ पर की हुकूमत , पिता पर जमाया रोब
भाई बहिन की लाडली होती जाती
पल रूठ जाती सारी ख्वाइश पुरी होत्ती
बड़े अरमान से एक डोली उठती है
सब के आशीर्वाद से उसकी सामान में बसी होत्ती
गहनों से प्यार नहीं कपड़ो का लालच नहीं
बस माता पिता के प्यार की खुशबू का ख्याल है
उनके आशीर्वाद से नए जीवन को महकाना चाहते है
ससुराल में मायके की खुशबू बरक़रार रखना चाहते है
बस ,चलते चलते कुछ ख्याल अपनी छाप छोड़ जाते है। कभी कविता कभी कहानी बन जाते है , यह कला है ,मुझे आयी नहीं पर विचारो ने मुझे लिखने पर मजबूर कर दिया। इस गुस्ताखी के लिए माफ़ी
शुक्रवार, 10 दिसंबर 2010
बुधवार, 8 दिसंबर 2010
दो दिल
बहुत से साल बीत जाते है एक दुसरे के साथ
कभी दो दिल मिल कर नदी बन जाते
कभी दोनों दिल के छोर सागर से भी दूर हो जाते
साथ यह जीवन इतना असं नहीं होता
सबका अपनी धरती और अपने असमा पे अधिकार होता
कभी अकेले रह कर भी साथ होते है कभी साथ होकर भी तनहा
बहुत नाजुक डोर है दिल से दिल की
ज़यादा ढील दे दो तो छुट जाती
कसा पकड़ते ही दम निकल जाता
रख देने पर उलझ जाती है
छोड़ देने पर ग़ुम जाते है
फिर से तनहा दो दिल भटक जाते है
कभी दो दिल मिल कर नदी बन जाते
कभी दोनों दिल के छोर सागर से भी दूर हो जाते
साथ यह जीवन इतना असं नहीं होता
सबका अपनी धरती और अपने असमा पे अधिकार होता
कभी अकेले रह कर भी साथ होते है कभी साथ होकर भी तनहा
बहुत नाजुक डोर है दिल से दिल की
ज़यादा ढील दे दो तो छुट जाती
कसा पकड़ते ही दम निकल जाता
रख देने पर उलझ जाती है
छोड़ देने पर ग़ुम जाते है
फिर से तनहा दो दिल भटक जाते है
शनिवार, 14 अगस्त 2010
मेरा देश
शत शत नमन!! ६४ स्वतंत्रता दिवस पे एक छोटा सा प्रयास
यह है मेरा देश प्यारा
भारत है इसका नाम
चारो लोक में है इसकी शान
जग है सबसे चमकता तारा।
जन -गण- मन है राष्ट्र गान
वन्देमातरम राष्ट्र गीत
मोर,चीता,कमल है हमारे
राष्ट्र पक्षी ,पशु और फूल
सच्चाई है धर्म हमारा
प्यार हमारी भाषा
इन सबका संगम है देश हमारा।
पग पग पर बदलती भाषा
खाना और पहनावा
नहीं है कोई मन मुटाव
न कोई छोटा न कोई बड़ा
न उंच नीच न जात पात
हम सब एक समाज
इसी में है हमारी शान.
एकता है हमारी ताकत
प्यार हमारा बल
होसले है बुलंद हमारे
कर देते है पस्त
दुश्मन के इरादे
यह है मेरा देश प्यारा
भारत है इसका नाम
चारो लोक में है इसकी शान
जग है सबसे चमकता तारा।
जन -गण- मन है राष्ट्र गान
वन्देमातरम राष्ट्र गीत
मोर,चीता,कमल है हमारे
राष्ट्र पक्षी ,पशु और फूल
सच्चाई है धर्म हमारा
प्यार हमारी भाषा
इन सबका संगम है देश हमारा।
पग पग पर बदलती भाषा
खाना और पहनावा
नहीं है कोई मन मुटाव
न कोई छोटा न कोई बड़ा
न उंच नीच न जात पात
हम सब एक समाज
इसी में है हमारी शान.
एकता है हमारी ताकत
प्यार हमारा बल
होसले है बुलंद हमारे
कर देते है पस्त
दुश्मन के इरादे
सोमवार, 5 जुलाई 2010
अब जब में इंडिया जाऊँगी
अब जब में इंडिया जाऊँगी
न में हिंदी में बात करुँगी न नमस्कार करुँगी
hi hello में ही सबका उतर दूंगी, काला चश्मा छोटे कपडे,हाथ में पर्स
हाई हील ,गर्दन में कलफ
सादा पानी नहीं बिसलेरी लुंगी
मेरे लिए ए सी लगवाओ
नरम नरम बिस्तर लाओ
कोर्न्फ्लाकेस का नाश्ता बनाओ
खाने में पास्ता ,सलाद पिज्जा और फ़्रुइत्स ही खाऊँगी
अंगेरजी में बाई को हुकुम दूंगी
अबकी जब में US से इंडिया जाऊँगी
यह सब काम करती हूँ किसी को नहीं बताउंगी
काम तो पति करता है पर अफ्सरनी में दिखाउंगी
बच्चे को छुते ही santitizer लगने का निवेदन करुँगी
यह बाई के सब काम करती हूँ वह तो अफसर बनाने का काम करुँगी
US का रोब ही बहुत है
कितनो को पाता है असलियत
यह कंजूसी से रह कर --कर रहे है बचत
वह लुट कर लोगो पे रोब जमा देंगे
इसलिए तो २ साल में एक बार ही घर के द्वार दस्तक देंगे
यह की अच्छी चीओ का बखान कर
घर से दूर रहने के दंश को छिपा लेंगे
अबकी जब इंडिया का रुख करेंगे
न में हिंदी में बात करुँगी न नमस्कार करुँगी
hi hello में ही सबका उतर दूंगी, काला चश्मा छोटे कपडे,हाथ में पर्स
हाई हील ,गर्दन में कलफ
सादा पानी नहीं बिसलेरी लुंगी
मेरे लिए ए सी लगवाओ
नरम नरम बिस्तर लाओ
कोर्न्फ्लाकेस का नाश्ता बनाओ
खाने में पास्ता ,सलाद पिज्जा और फ़्रुइत्स ही खाऊँगी
अंगेरजी में बाई को हुकुम दूंगी
अबकी जब में US से इंडिया जाऊँगी
यह सब काम करती हूँ किसी को नहीं बताउंगी
काम तो पति करता है पर अफ्सरनी में दिखाउंगी
बच्चे को छुते ही santitizer लगने का निवेदन करुँगी
यह बाई के सब काम करती हूँ वह तो अफसर बनाने का काम करुँगी
US का रोब ही बहुत है
कितनो को पाता है असलियत
यह कंजूसी से रह कर --कर रहे है बचत
वह लुट कर लोगो पे रोब जमा देंगे
इसलिए तो २ साल में एक बार ही घर के द्वार दस्तक देंगे
यह की अच्छी चीओ का बखान कर
घर से दूर रहने के दंश को छिपा लेंगे
अबकी जब इंडिया का रुख करेंगे
शुक्रवार, 23 अप्रैल 2010
ज़मी का टुकड़ा
एक ज़मी के टुकड़े ने किया सब से पराया
माँ -बेटे को दीवार बनाया
भाई भाई का दुश्मन बनाया
अपने अड़े वक़्त के लिए ज़मी का टुकड़ा लिया ,
आज सारे रिश्तो के अड़े आ गया .
सिर्फ ज़रूरत के रह गए रिश्ते
अपने गड़े पसीने की कमाई से खरीदा टुकड़ा
आज अपने खून को पसीना करने को तैयार हो गया
तिनका तिनका करके जोड़ा
आज सब बराबर करने पे अमादा हो गया
अपने बचपन की धुप छाव को भूल कर
आज जवानी का रोब दिखाके बोला
कल उसका भी बुढ़ापा है यह न जाना
किसके पास क्या टिका है यह किसने जाना
कल यह हमारा था आज तुम्हारा है परसों किसी और का
ज़रा मरने का इंतज़ार तो करते हम नहीं अपने साथ लिए जाते
बस अपने साथी की यादें थी तुम्हारे बचपन के मीठी अठखेलियाँ थी
पास पड़ोस था वर्ना इट,पत्थर से प्यार होता तो क्या बात थी
अपना कीमती समय तुम्हे देने के बजाये कुछ और कमा लेते या घूम लेते
यह मकान और पैसा तो मरने के बाद भी मिल जाता
अभी न बोलते तो शायद मेरे जीवन के दो चार साल हँसी ख़ुशी निभ जाते
अपने जीवन की सार्थक होने पे खुश रहते
आज एक टीस के साथ जायेंगे परवरिश में कहीं तो कमी रह गयी
भगवान !! यह कमी तुम्हारी परवरिश से हटा दे .
एक टुकड़े के ही बात थी अपने जिगर के टुकड़े की इच्छा से कुछ ज़्यादा नहीं है .
माँ -बेटे को दीवार बनाया
भाई भाई का दुश्मन बनाया
अपने अड़े वक़्त के लिए ज़मी का टुकड़ा लिया ,
आज सारे रिश्तो के अड़े आ गया .
सिर्फ ज़रूरत के रह गए रिश्ते
अपने गड़े पसीने की कमाई से खरीदा टुकड़ा
आज अपने खून को पसीना करने को तैयार हो गया
तिनका तिनका करके जोड़ा
आज सब बराबर करने पे अमादा हो गया
अपने बचपन की धुप छाव को भूल कर
आज जवानी का रोब दिखाके बोला
कल उसका भी बुढ़ापा है यह न जाना
किसके पास क्या टिका है यह किसने जाना
कल यह हमारा था आज तुम्हारा है परसों किसी और का
ज़रा मरने का इंतज़ार तो करते हम नहीं अपने साथ लिए जाते
बस अपने साथी की यादें थी तुम्हारे बचपन के मीठी अठखेलियाँ थी
पास पड़ोस था वर्ना इट,पत्थर से प्यार होता तो क्या बात थी
अपना कीमती समय तुम्हे देने के बजाये कुछ और कमा लेते या घूम लेते
यह मकान और पैसा तो मरने के बाद भी मिल जाता
अभी न बोलते तो शायद मेरे जीवन के दो चार साल हँसी ख़ुशी निभ जाते
अपने जीवन की सार्थक होने पे खुश रहते
आज एक टीस के साथ जायेंगे परवरिश में कहीं तो कमी रह गयी
भगवान !! यह कमी तुम्हारी परवरिश से हटा दे .
एक टुकड़े के ही बात थी अपने जिगर के टुकड़े की इच्छा से कुछ ज़्यादा नहीं है .
बुधवार, 21 अप्रैल 2010
खुशियों के मायने
कुछ कोरी कल्पनो को पनपते देखा है
कुछ अजनबी इच्छाओ को पूरा होते देखा है
कभी रोते हुए हँस भी दिए है
कभी आसुओ को बिन बात के लुढकाया है
कोरे पन्नो पे रंग भी भरे है
बारिश की बूँद को पकड़ने का नाटक किया है
सप्तरिशी माना है हर ७ तारो के समूह को
इन्द्रधनुष के रंगों को बिखरे दिया है
पेड़ पे चढ़ कर आम भी खाए है
गिल्ली और डंडे पे भी हाथ अजमा लिया है
आज बड़े मुश्किल लागती है यह डगर
सब होते हुए भी सुनी है सेहर
खालीपन आ गया जीवनरस खो गया है
मासूमियत छिप गयी है, हँसी रूठ गयी है
बेमतलब .फ़िज़ूल सी लागती है परछायी
क्या लेंगे किसीका अपना सब लुट बैठे है
खुद से बहुत प्यार है और घर का ख्याल है
इसलिए जी रहे है मर भी गए तो कौन हमे याद करेगा
यह सोच जी नहीं दुखते
अपने कुछ कर्तव्य है वही पुरे करते जा रहे है
कदर का तो क्या? इच्छा का तो क्या ?मन के मेल का क्या ?
सब कुछ उड़ते मन के हसीन सपने थे आज उड़ गए
हम ठगे से अपनी अर्थी का इंतज़ार करते है
तभी जीवन अपनी तरफ बुला लेता है
जब सच्चाई का सामना करते है तो खुशियों के मायने मिल जाते है
बहुत से चीजों के दोषी हो जात्ते है कुछ सवाल करो तो कटघरे में आ जाते है
कौन सी खुशियाँ ढूंढते है ?सब है बस कुछ बात न मानाने पर जीवन से निराश हो जाते है
एसा भी कहीं होत्ता है नादान दिल का धोखा है
जरा नार हटा के देखो यह सब कितने अपने से लगते है.
कुछ अजनबी इच्छाओ को पूरा होते देखा है
कभी रोते हुए हँस भी दिए है
कभी आसुओ को बिन बात के लुढकाया है
कोरे पन्नो पे रंग भी भरे है
बारिश की बूँद को पकड़ने का नाटक किया है
सप्तरिशी माना है हर ७ तारो के समूह को
इन्द्रधनुष के रंगों को बिखरे दिया है
पेड़ पे चढ़ कर आम भी खाए है
गिल्ली और डंडे पे भी हाथ अजमा लिया है
आज बड़े मुश्किल लागती है यह डगर
सब होते हुए भी सुनी है सेहर
खालीपन आ गया जीवनरस खो गया है
मासूमियत छिप गयी है, हँसी रूठ गयी है
बेमतलब .फ़िज़ूल सी लागती है परछायी
क्या लेंगे किसीका अपना सब लुट बैठे है
खुद से बहुत प्यार है और घर का ख्याल है
इसलिए जी रहे है मर भी गए तो कौन हमे याद करेगा
यह सोच जी नहीं दुखते
अपने कुछ कर्तव्य है वही पुरे करते जा रहे है
कदर का तो क्या? इच्छा का तो क्या ?मन के मेल का क्या ?
सब कुछ उड़ते मन के हसीन सपने थे आज उड़ गए
हम ठगे से अपनी अर्थी का इंतज़ार करते है
तभी जीवन अपनी तरफ बुला लेता है
जब सच्चाई का सामना करते है तो खुशियों के मायने मिल जाते है
बहुत से चीजों के दोषी हो जात्ते है कुछ सवाल करो तो कटघरे में आ जाते है
कौन सी खुशियाँ ढूंढते है ?सब है बस कुछ बात न मानाने पर जीवन से निराश हो जाते है
एसा भी कहीं होत्ता है नादान दिल का धोखा है
जरा नार हटा के देखो यह सब कितने अपने से लगते है.
बुधवार, 31 मार्च 2010
दो पल
ज़रा दो पल ठहर जाते
हम अपने मन की बात तुमको बताते
कितनी चाह थी रोक ले तुम्हे
पर जाने की जल्दी ने
और बेरुखी से हम अन्दर तक सुलग गए
यु तो इन तोफहा की चाह नहीं
इनमे छुपे प्यार को शिदत से महसूस करते है
तुम्हारी गेरहाजारी में अपनी किस्मत पर इतराते है
एक तुम ही तो हो जो हमारी बचकानी बाते झेल पाते हो
कभी अपनी नादानियों पे हम शरमाते है
तुम्हारे आलिंगन में जितना सुकून है वो धरती के किसे कोने में नहीं है
हमारी गुस्ताखियों को भी तुम माफ़ कर देते हो
तुमसे ही हमारी शान है सिर्फ तुम्हारा ही अरमान है
हर ख़ुशी दे पाए जिसे तुमने चाह है
तुम्हारे प्यार के सामने मेरी हर चीज़ कम है
हम शुक्रगुज़ार है की रब ने तुम्हारे प्यार के लिए हमे चुना
कितने ही लव्ज कहे वो कम है.
हम अपने मन की बात तुमको बताते
कितनी चाह थी रोक ले तुम्हे
पर जाने की जल्दी ने
और बेरुखी से हम अन्दर तक सुलग गए
यु तो इन तोफहा की चाह नहीं
इनमे छुपे प्यार को शिदत से महसूस करते है
तुम्हारी गेरहाजारी में अपनी किस्मत पर इतराते है
एक तुम ही तो हो जो हमारी बचकानी बाते झेल पाते हो
कभी अपनी नादानियों पे हम शरमाते है
तुम्हारे आलिंगन में जितना सुकून है वो धरती के किसे कोने में नहीं है
हमारी गुस्ताखियों को भी तुम माफ़ कर देते हो
तुमसे ही हमारी शान है सिर्फ तुम्हारा ही अरमान है
हर ख़ुशी दे पाए जिसे तुमने चाह है
तुम्हारे प्यार के सामने मेरी हर चीज़ कम है
हम शुक्रगुज़ार है की रब ने तुम्हारे प्यार के लिए हमे चुना
कितने ही लव्ज कहे वो कम है.
गुरुवार, 21 जनवरी 2010
मेरे बच्चे के मुस्कान
मेरे बच्चे के मुस्कान में मेरा जहन समाया है
सुबह शाम की घडी को उसके हिसाब से चलाया है
कभी यह मुस्कान मेरा दिन बना देती कभी गुस्सा काफूर कर देती
मेरी हँसी का हँस कर जवाब देता तो में गद गद हो जाती
हमेशा खिलता रहे उसका यह मुख प्यारा
माँ की अपार ममता का मतलब अब समझ आया
हर पल उसको खुश देखने के चाह है
हर माँ के दिल की आवाज़ एक होती है बस उसे सुनाने वाले कान चाहिए
यह विधान है खुद माँ बन कर ही इस एहसास को जिया जा सकता है
माता पिता के इस प्यार को नाम दिया
सुबह शाम की घडी को उसके हिसाब से चलाया है
कभी यह मुस्कान मेरा दिन बना देती कभी गुस्सा काफूर कर देती
मेरी हँसी का हँस कर जवाब देता तो में गद गद हो जाती
हमेशा खिलता रहे उसका यह मुख प्यारा
माँ की अपार ममता का मतलब अब समझ आया
हर पल उसको खुश देखने के चाह है
हर माँ के दिल की आवाज़ एक होती है बस उसे सुनाने वाले कान चाहिए
यह विधान है खुद माँ बन कर ही इस एहसास को जिया जा सकता है
माता पिता के इस प्यार को नाम दिया
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