सोमवार, 28 दिसंबर 2009

ऐसी लड़की की तलाश है

सुन्दर -मन के विचार तन का आचार
संतुलित  आँखों की हया ज़बा से बाया
पाककला में महारत ,गृहकार्य में पारंगत
पढाई  में अववल नौकरी में  शगल
 चरित्र धवल ,घर का रुतबा
घमंड ,फैशन ,खर्चे से दूर
ऐसी लड़की की तलाश है
मिल जाये तो बस एक और आस है
 मुझसे कभी न पूछे आप किस लायक है
मुझे बिन किसी प्रश्न  के कुबूल करे
एए खुदा मेरी यह अर्जी मंज़ूर कर . 

गुरुवार, 29 अक्तूबर 2009

बंधन

अगर  इस  राह में छोडोगे तो छुट जायेंगे
कैसा न कसे किनारे लग जायेंगे ,
बस फर्क इतना होगा तुम्हारा साथ न होगा
जीवन का सबसे अटूट वादा  न निभाने का रंज होगा
कसक  तो   आपको  भी होगी हमारे न होंने की,
 जुदाई  का यहे पहला कदम आपकी तरफ से होगा
कभी नफा नुकसान न सोचना बस एक इशारा काफी है ,
आपके प्यार से जुदा हम खुद हो जायेंगे
पलट के आपके दर न आएंगे ,
अपने जो खोया है उसके  एहसास के लिए यहे खाली दरो दीवार काफी है
नए महल भी सजेंगे तो मेरे अक्स  की परछाये नहीं भुला पाएंगे
सचे प्यार से सीचा थी यहे बगिया ऐसे ही नहीं उखाडा पाएंगे ,
प्यार बंधन नहीं ,बंधन प्यार है
यह  बात आप  जल्द ही समझ जायेंगे ,
कभी फिर आवाज़ न देना रोक  तो नहीं पाएंगे
 पर फिर से यहे टूटे महल जुड़ नहीं पाएंगे .

सोमवार, 12 अक्तूबर 2009

सरगम

सा रे गा माँ पा ध नि सा
सा नि ध पा माँ गा रे सा

सात सुर का संगम सरगम
सरगम बनाती ताल
ताल ले सुर का संगम
बना देती है गीत
गीत में पिरो दो धुन की माला
लो तैयार है गीत प्यारा .

दिशाएं

उतर,दक्षिण ,पूर्व ,पश्चिम
यहे चारो है हमारी दिशाएं
उतर आये ऊपर से
दक्षिण आये नीचे से
पूर्व आये सूरज लाये
पश्चिम आये सूरज छिप जाये
सूरज हमको इनका ज्ञान करये
पुराने जमने की घडी कहलाये .

चिडियां

भोर हुए चिडियां चचहाई
पहर हुए दाना चुग लाई
शाम हुए घर लौट आई
रत हुए आंख लग जाये
बिना घडी इतनी नियमितता कहाँ से लाई .

प्यारे दादा दादी

मुझको लगते प्यारे दादा दादी
दादा है मेरे हटे कटे
सर पे है थोड़े से बाल
पेट पर है मोती तोंद
सुबह सुबह घुमने जाते
नए नए किस्से  सुनाते
 हर समस्या को चुटकी में हल कर पाते
सब को करते है बहुत प्यार
जिसका दादी को है मान
दादी है मेरी छोटी सी
दंत में है उनके बतीसी
रोज़ नए पकवान बनाती
हर रात कहानी सुनाती
हमे सदा सीख देती सदाचारी
हर तयोहर की है वो जान
चाहते है दादा दादी
हमेशा महकती  रहे  बगियाँ प्यारी
उनका आशीर्वाद रह यही इच्छा है हमारी .

दोगले

आज सब लोगो को सरिता के गमन पर बहत दुःख हो रहा है/// इतनी अच्छी लेडी इतनी अच्छी ,पत्नी, बहिन ,बेटी पर उन्होंने बहुत तकलीफ देखी   १५ साल तक हार्ट के बीमारी को झेला ..............और दाद देनी पड़ेगी उनके पति को जिन्होंने कोई कसर    नहीं छोड़ी उनकी देखभाल के लिए , रात का टाइम हो या दिन पूरा टाइम उने साथ आज कितने भावशून्य लग रह है... सुमंतभाईसाहब।

अगर  सोचा जाए तो सरिता के शरीर में कुछ बचा भी नहीं था ...कितनी ही बीमारी ने उन्हें घेर लिया था सुमंत साहब की हिम्मत थी.. जो उन्हें जहाँ चाह वह ले गए पूजापाठ धरम करम सब कर दिया । और  सरिता को   बहुत मोह था हर एक चीज़ से , हर इन्सान से , हर सामान सब   से पहले ध्यान रखती थी। एक एक चीज़ बहुत अरमान से जोड़ी थी उसने इतना लगव था उसे हर चीज़ से ।

और एक बात यह  भी थी की सुमंत साहब थे क्या : कुछ नहीं उनकी माँ तो मजदूरी करके बच्चो को पढाया दोनों बहनों की शादी की सुमंत साहब ने की और छोटे भाई को पढाया ...और उसकी डेथ के बाद उसके पूरे परिवार बीवी चार बच्चो का पूरा ख्याल रखा... सरिता के भाई ने ही भाई की बीवी का सरकारी जॉब लगवाया था ।

सरिता से प्रेम विवाह किया । हलाकि सरिता के पिताजी बहुत बड़ी पोस्ट पे थे ...पर प्रेम विवाह कर दिया ....... सरिता बहुत ही किस्मत वाली थी उसके घर में जाते ही पैसा ही पैसा ...उनके पिताजी ने मकान दिलवा दिया हलाकि सुमंत साहब ने ध्रीरे ध्रीरे सब चुका दिया । समाज में इज्ज़त सब उनके ही भाग्य से आ गई । उनके वी .र के बाद ही ऊपर का मकान बनवा दिया । पर रहने का सुख नहीं उठा पायी ।

पर आज जो कुछ हुआ वो बहुत बुरा था ।अब तो जितने मुह उतनी बातें बनेगी । वसे भी सरिता की मौत को २ महीने भी नहीं हुए और शादी कर ली वो भी देवारनी से............. । क्या जमाना आ गया है ..लोग तो यहे ही सोचेंगे की सरिता पहले  से ही बीमार थी और देवर को मरे भी १५ साल हो गए पहले से ही कुछ था ...........सारे  इज्ज़त समाज का मजाक बना दिया । सही है सरिता के रहते  ही इज्ज़त थी उसके बाद कुछ नहीं बचा ..........सोचो इस घर में अब कोई शादी नहीं करना चाहेंगे ........

सब लोगो की बात सुन सुन कर में बस एक बात सोच रही थी ऑफिस में आज सब लोग सुमंत साहब की इतनी बुराइए कर रह है , कभी यहे ही सुमत साहब उद्धरण का सबब होते थे आइडल हसबंड होते थे और आज .............

आज उनके बच्चो की नई माँ आ गई नए भाई बहिन है आ गए और भी न जाने क्या क्या ................

पर उन बच्चो को लग रहा है वो सोने की खान  पर है जितना हो सके उतना निकलवा लो । जो २ बच्चे सरिता के है वो अपना हिस्सा के लिए सोचते होंगे बस सब यही जोड़ तोड़ है ....आज तो सब अपना अपना स्वार्थ देख रह है ....सबका अपना नज़रियाँ है । सुमंत साहब का अपना है ....बच्चो का अपना है ......और दुनिया का अपना है .....
पर सरिता के जाने के बाद इतने कम समय में सब हुआ की कोई पचा नहीं पा रहा ........सही भी है ...इतनी अफवाहों को जनम दे दिया है ...वो सच भी हो सकते है । पर मेरा जो नज़रियाँ है वो सिर्फ़ इस बात से परेशां  है की  शादी करी लव मैरिज़  ......उसके रहते सब किया हमेशा साथ दिया ......क्या वो प्यार और बंधन इतना कच्चा था... की एक साथी की ज़रूरत अचानक  पड़ी या यह  बंधन छिपा था  ?.............हो सकता है की यह एक नैचुरल ज़रूरत हो । अभी भी हमारा समाज इन सब बातों को नहीं स्वीकार करता ।

मुझे बस एक बात नहीं समझ आ रही क्या वो दोगले इन्सान है? इतना अच्छा इन्सान इतनी प्रेम भाव इतना सेवा भाव सब क्या एक दिखावा था ............पर क्या कोई दिखावा दुराव छिपाव इतने सालो तक लोगो की निगाह या घर वालो से से छुपा रह सकता था , आज तो उनकेआने वाली और गई हुए पीदियों पे प्रशन चिन्ह लग गया ?
इतना असं तो नहीं होता ...उनका सेवा भाव मैंने देखा है यह  रूप ....................

मेरी गुडियां की शादी

मेरी गुडियां की कल है शादी
हो गयी है सारी तयारी
दुल्हे रजा है बड़े सयाने
गोरे रंग ,ऊँचे कद और मूच्छो वाले 
खूब जमेगी मेरी गुडियां संग जोड़ी
भूल जायेंगे विदेशी गोरी
चट मगनी पट शादी करके ले जायेंगे मेरी गुडियां रानी
कल है मेरी गुडियां की शादी
यही है मनहर हमारी
तुम सबको होगी दावत खानी .

मेरी छोटी बहना

मेरी प्यारी छोटी बहना
लगती है मुझे वो खिलौना
रुई की गुडियां जसी
छोटे छोटे हाथ है उसके
मुलायम है उसके पैर
दो आगे से दांत  है जिससे लेती है वो काट
दौडी आती जब में बुलाती
मदमस्त से उसकी चाल
उसकी तुतलाती बोली मुझे बहुत सुहाती
हर नक़ल वो मेरी करने को आती
इसलिए वो मुझे बहुत pasand hai aati  .

सोमवार, 5 अक्तूबर 2009

Best relation

Ur imagination is adoring
Ur reasoning is my thinking
Ur steps is my balance
Ur presence is my smile
Ur idea is my thought
Ur choice is my hope
Ur dare ness is my power
Ur gift is my blessing
Ur dreams is my fulfillment
Ur praise is my encouragement
Ur love is my confidence
Ur devotion is my care
Ur respect is my proud
Ur cheers is my happiness
All this because our bonding is the best and forever
this is what I feel for the relation which I wann to make the most beautiful relation ever in this world
My husband to be my best friend ,my boy friend ,my soul
Best relation anyone can have ever

बुधवार, 23 सितंबर 2009

CHEERUP

Sometimes you lost path still u move
Because you know its not the end ,
You have another start waiting ,
You have some more path ,
Trace out the hidden motto of GOD to send you in the world ,
Being the part of world you have to find Out the alternate ,
To look after for what you deserve,
No matter for whom you are important and For whom u r not ,
Always your important to yourself ,
You need to upgrade your level ,
Where no alternate is there for you
Cheer up! get up! and touch the thing of your height and choice,
Prove it, you are as unique and as precious
To stay alive and being important as forever

सोमवार, 21 सितंबर 2009

Recipes For bachelors

Hello Friends It is never easy to cook for the bachelors but also they have less time they need more time to study or work .I think there are few things that evry bachelor should have . All thing that should be keep in mind is healthy and balanced  meals are very important
Things that should be there - Wonk(kadai),Kaarchi,Plaint(tawa),Chamcha,Spoon,Plate, Blender,Sandwich maker,Frying pan,Tea Maker, Microwave

Spices - Chilli powder ,Coriander powder,Turmeric powder, Salt , Sugar ,Tea, Black pepper powder(kali mirch),Cumin(jeera), Asfoetida(hing) ,Cardamom(Elachi),Cloves(Laung),Black Salt(kala namak) ,Mustard Seeds(Rai),Oregano(Ajwain),

Samolina flour(Suji),Chickpea Flour(Besan) ,Rice ,Wheat flour ,Few lentils(Daal),

Keep these thing handy - Dry fruit powder(Cashew,Few Saffron strands , Almond , Coconut, Raisins)  ,Vanilla Essence , Coco Powder, Tomato ketchup,Dry mint leaves , Lemon juice ,
Recipies
Shakes -
Take any fruit(papaya,strawberry,cherry,banana,chocolate) blend in the mixer add milk,vanilla esence  and cardamom,dry fruit powder ,1 tsp sugar serve and drink

Daal (Pulses)- Take any lentil soak in water for 10 min then in the cooker take water 1/2 cup lentil 2 cup water, add coriender powder , turmeric powder,salt 

शनिवार, 19 सितंबर 2009

Relation

Mould a relation
Understand the relation
Hold the relation
Give time to relation
Test the relation
Judge the relation
Decide the relation
React in the relation
Enjoy the relation
Bond the relation
True to the relation
Spark the relation
Nurture the relation
Set free the relation
Memories the relation
Upgrade the relation
Make relation everlasting
Mark your relation to be the best
Forever and ever

Failure

A failure is one ,who lost the hope
He cry but don’t try
He shatters
He has multiple reason for it
He blames others for it
He is depressed
He finds it a fault
He don't learn
He is one and only one who makes the future dark by the shed of past

शनिवार, 12 सितंबर 2009

झूठी आस

हर मोड़ पर तन्हां पाया है ख़ुद को
पिता के आदेश को मन लिया
माँ की फाटकर को सह लिया
एक दिन वो सफ़ेद घोडे पे सवार आयेगा
जो मुझे समझ पायेगा
इस चाह में जीवन गुजर रहे थे
आ गया वो दिन ,पर तब पाया
सब एक सपना था जो कभी सच नहीं होता
माँ बाप का एक बोझ काम होता है
अपनी हस्ती मिटा दी सिर्फ़ प्यार के दो बोल के लिए
आज हम गुम है इस गुलिस्तान में अपनी तन्हाई के साथ
फिर एक आस जनम लेने वाली है बच्चो के साथ
फिर दिल को बहला रहे है
उम्मीद बाँध रहे है जीवन के साथ
जबकि हम को भी ख़बर है
यहे हे सच नहीं
जीने की लिए एक आस तो चाहिए ही
फिर चाहे वो झूठी ही क्यों न हो ।

शुक्रवार, 11 सितंबर 2009

अपना सा परदेश

यहे परदेश अपना सा लगता है
जब सूरज को वो गर्मी देते देखती हु
जब चाँद को प्यार बरसते देखती हु
बच्चो की अठखेलिया देखती हु
यहे परदेश अपना सा लगता है

रिमझिम बारिश की बूँद महसूस करती हु
कोयल को गीत जब सुनती हु
लोगो को हस्ता हुआ देखती हु
जब बाज़ार जाती हु सामान खरीदती हु
यह परदेश अपना सा लगता है

लोगो को पूजा करते देखती हु
सड़क पर चलते हुए रुक जाती हु
जब घास पर चलती हु
जब घर में खाना बनती हु
यह परदेश अपना सा लगता है

जब अपने प्रभु की भक्ति करती हु
अपने पति को छोड़ने जाती हु
अपने बच्चे को तयार करती हु
मेहमान का स्वागत करती हु
यह परदेश अपना सा लगता है

समन्दर को बाँट कर रेखा बना ली हो देश ने
पर दिल की कोई सीमा नहीं होती
खुशी की कोई जगह नहीं होती
गम का कोई रास्ता नहीं होता
सम्मान का कोई भाव नहीं होता
सोच की कोई परिभाषा नहीं होत्ती
Burai ke लिए देश की नहीं ज़रूरत होती
भगवान् का कोई ठिकाना नहीं होत्ता ।

असफल माँ

गाड़ी छुटने में सिर्फ़ दो मिनट थे ... में अनजान डर और खुशी के भाव से ट्रेन में चढ़ गई थी ,पूरे पॉँच साल बाद शिखा को देख पाऊँगी । पियाली का जन्मोत्सव और शिखा के कविता संग्रह का विमोचन है । थोड़ा डर था शिखा के व्यवहार से और पियाली के जनम की खुशी । आखिर शिखा को अपनी अकेली माँ पर तरस आ ही गया । कब आँखों के कोरे गिले हो गए पता ही नहीं चला ।टी टी ने जब टिकेट माँगा तो होश आया । टिकेट दिखा के में अपनी सीट पर लेट गई । शिखा की किताब देख कर सोच रही थी.... क्या सच शिखा मुझे इसका हक़दार मानती है ?क्या मुझे माफ़ कर दिया उसने ?" मेरे माता पिता को समर्पित जिन्होंने मुझे इस लायक बनया अपना समय ,प्यार सम्मान दिया " सच मेरी बेटी कितनी समझदार और संपुर्ण है अपने आप में । बिल्कुल अपने पिता पर गई है वोई आत्मविश्वास ,सहनशक्ति ,विश्वास, गुस्सा एकदम शिखर जैसा । ट्रेन की रफ्तार के साथ मेरे विचार भी दौड़ रह थे । सब कल ही बात लगती है ॥जैसे समय बिता ही नहीं । कसे पूछूंगी क्या तुम्हें मुझे माफ़ कर दिया बेटी ...? मृदुला जानती है शिखा उसके घर नहीं आना चाहती है ।संजय ने कभी मुझे सास के सम्मान से वंचित नहीं किया । शायद शिखा ने कभी बताया हीनहीं होगा हमारे बीच आम माँ बेटी जसे रिश्ता नहीं है ॥ आज वो ख़ुद एक माँ है शायद मेरे प्यार को समझ पाए मेरी मज़बूरी को भी ॥ मेरी निश्चल ममता पर कब उसे भेदभाव और अकेलापन और मुझेसे दूर ले गया । में स्तब्ध थी उसके मुह से इसे शब्द सुन कर । मेरी अनभिज्ञता को गुनाह बता दिया । वो खेलती कूदती बड़ी हो गई ,कॉलेज जाने लगी ॥लेकिन मुझ से दूर होत्ती गई ..मेरी नौकरी के कारन में उसे पूरा टाइम नहीं दे पाती थी ,जो वो चाहे थी । में आश्वस्त थी की मेरे संस्कार असे नहीं है के वो भटके या मुझसे कुछ छिपाए ..फिर चाह्यी मस्ती मज़े की बात हो या kisie ladke ने chheda हो या tichar ने कुछ kahn हो कभी jhoott नहीं बोल उसने कभी निराश भी नहीं किया । पर वो शायद मुझसे दूर हो रही थी अपनी खुशियाँ छिपा रही थी ,मुझे पता ही नहीं चला में उससे दूर होगयो अपने ऑफिस के कारन काम और काम बस ........कभी उसके chehARE की खुशी ही नहीं देख पाए या उसके दुःख कुछ नहीं । वो जब कविता पाठ में प्रथम आए ..खाने की टेबल पर रखी ट्रोफी देखि और मैंने बड़े रूखे अंदाज़ में पूछ यहे क्या है ?उसके कविता पाठ बोलते ही बोली में बहुत रूखे से जवाब दिया था..... पदाई में मन लगाओ यहे सब बेकार है ... आज पूरा द्रश्य मेरे सामने है पर ...उस समय जाने समझने की शक्ति कहाँ गई ........फूल से दिल को दुख दिया ......मैंने उससे लेखन के लिए प्रोत्शाहित नहीं किया ।
याद आ रहा है ..जब मैंने ऑफिस से आए थी ,तो उचालती कूदती आए .अपनी पहेली कविता दिखने ....और मैंने डांट दिया ..उसके बाद वो अपने में रहती थी पर मेरा ध्यान नहीं गया । आज सोचती हु सब .........सच है ६० के बाद ही इन्सान अपने काम का लेखा जोखा करता है ।
में कितना सोचती थी ,शिखा को ऐसे पालूंगी स्वरुप को ऐसे ।शिखर के असमय गमन से में टूट गई परिवार हमारे पूरी जिमीदारी मेरे ऊपर आगई । मैंने बैंक ज्वाइन कर ली मेनेजर के पद पर अच्छा काम करना शिखर की तरह । में सोचती थी ,बच्चे समझते है माँ को, पर में अपने बच्चो को नहीं समझ पाए । मेरे पास उनके लिए समय के अलवा सब था । उसकी कविता में दर्द था पर मैंने कभी पहेल महसूस नहीं किया ।हालाँकि स्वरुप बड़ा था इंजीनियरिंग करके चला गया अमेरिका । फिर शादी कर दी उसकी पसंद की लड़की से । पर शिखा मेरे पास थी मेरी लाडो थी अपने भाई के हॉस्टल जाने के बाद कम हस्ती बोलती थी में जानती थी उससे मिस करती है । मैंने टाटा कंपनी में होंने के बाद उससे बंगलोर नहीं जाने दिया अकेले कसे रहती यही सब सोच कर ?एक और उसके जीवन की खुशी को दूर कर दिया मैंने । ........उसके बाद बस शाम को मेरी चाय देना डाक और टेबल पर खाना लगाकर साथ में खाना की बात नहीं अगर कुछ पूछु तो हाँ या न में जवाब देना । में भी इतनी थकी रहती थी की कुछ सोच ही नहीं पाती । स्वरुप अमेरिका में सेटल हो गया अपनी ग्रास्थी और नौकरी में मस्त ।
शिखा २५ पर कर रही थी में बैंक में इतना रम गई प्रमोशन से में खुश थी और उससे उचाई पर ले जाना चाहती थी । स्वरुप ने फ़ोन पर एकएन.र.ई लड़का बताया ,तब एहसास हुआ की कितनी बड़ी हो गई लाडो । इस बार उसका जन्मदिन भूल गई ...जसे ही याद आया पेस्ट्री और गिफ्ट ले कर उसके कमरे में पहुची ..उसने थैंक्स कह कर रख लिया कोई उत्साह नहीं । मुझे लगा वो रोई थी पर मैंने पुछा पर वो कुछ बोली नहीं ?में आ गई सोचा कल छुटी है आराम से पूचुंगी और लड़के के बार में भी ॥
सुबह ही मैंने नाश्ते पर पूछ एन.र.ई लड़के के लिए पूछ तो वो बोली ..माँ आप तो मुझे एक इंच भी दूर नहीं रखना चाहती थी फिर एसा क्यों ?क्या अब वो ...........?
वो चली गई ॥
में अन्दर तक हिल गई । बात वोई की वोई रह गई ।
एक दिन अचानक इस संबोधन से मैंने खा हा बेटा बोल ...................मुझे एक लड़का इन्टरनेट मर्तिमोनिअल पर पसंद किया है ...लड़का बंगलोर में है ८०,००० तनखा है कुंडली मैच हो गई है ............अगर आप हाँ कहना चाहो तो देख लो भइया को मैंने डिटेल बता दिया है ........बस यहे आखरी बार आप सीरियसली इस मैटर को देख लो फिर कुछ नहीं चाहिए .और हाँ कोई दहेज नहीं चाहिए उनको ।
वो बायोडाटा फोटो रख कर चली गई ...में कुछ सोच ही नहीं पाए ...............वाकई में क्या में स्वार्थी हो गई अपनी बेटी का भविष्य के बारे में कभी उससे पुछा नहीं,जाना नहीं क्या चाहती है वो ? आज में एक गिल्टी में थी की मैंने अपनी बेटी को खो दिया ......में अपनी धुन से जगी थी आज ......पर क्या फायदा .... सीरियसली मतलब ...अब तक मैंने सब मजाक में कहा है क्या............?
मैंने फोटो और बायोडाटा देखा ... वाकई में संजय जसा लड़का में दूंद नहीं पाएंगे । शिखा के लिए हर तरह से बढ़िया ।
में एक असफल माँ थी ...वो होसियार ,होनहार थी पर मैंने उससे रोक लिया वरना यहे किताब तू कबकी छाप जाती ।पर में खुश हु संजय ने उससे समझा और आगे बढ़ने का मौका दिया।
पञ्च साल में वो कभी आए नहीं पर संजय मेरे बारे में पोचते थे कबर लेते थे कभी कभी वो भी बात करती थी । मेरे जन्मदिन पर तोफहा भेजती थी ।
ट्रेन की चल पहेल से में जगी लगा स्टेशन aane वाला है । और धड़कन तेज़ हो गई । संजय मुझे अन्दर लेने आ आगयेपीरे छुए ...शिखा को देखा तो लगा सब गिले शिकवे माफ़ है । गले मिलते ही लगा कोई चट्टान पिघल गई है ....दोनों की आँखों ने देख और एक दुसरे से माफ़ी मांग ली ........एक दम मौन प्यार के भाषा में .....पर फिर आंसू बह रह थे आँखों से ।

























सपनो के पीछे कितने आगे है, धरातल ने बचा लिया







असमानों में कितनी बार उडे है ,सूरज की रौशनी ने बचा लिया







तारो को पकड़ने के लिए मचले है

मंगलवार, 8 सितंबर 2009

पि.एन.एस

यहे एक अलग ही सुख है जो यदि जीवन में हो तो जीना असं होंने लगता है । क्यों ? इसका मतलब और प्रश्न का औचित्य वोई बता सकता है जो इसे अनुभव करे , चार औरत की मजलिश सुनिए .......इतना हेअमोग्लोबिं बढेगा की बस दवा से भी काम नहीं होगा .........
अपने दुश्मन का काम अटक जाए , ए़से ठंडक कलेजे को मिलेगी जसे की तरबूज गर्मी में । यहे ज़रूरी नहीं दुश्मन मतलब आप जिससे बात न करे ...दुश्मन मतलब आप बात तो करे बहुत प्यार से और मन ही मन में जलन के करना एसिडिटी हो जाए वोई बस दुश्मन मिल गया आपको ।
पड़ोसी ने टीवी ले लिया ,उसका बच्चा मेंरित मरीं आ गया ,नौकरी लग गई ,दिवाली के ज़यादा सामान आ गया ..........इसके बाद जो आपकी बीवी ,बच्चे का चिचिदापन होगा वो तो झेलना ही पड़ेगा... उनकी मनोस्थिति आप को समझनी चाहिए ठीक वसे ही होगी... जेसे आपकी ऑफिस के दोस्त का प्रमोशन होंने पर या अच्छी बीवी मिलने पर , अच्छा दहेज मिलें ,घूम आए ,बीवी रोज़ खाने में पकवान रखे ,बॉस ज़यादा भाव दे, लेडी स्टाफ ज़यादा आए ....जो तकलीफ आपके मन में होत्ती है ठीक वैस ही होत्ती है ..अब आसानी होगी उनके जस्बात समझने में ...
पि.न.एस यहे सुकून हर किसी को नहीं मिलता इसके लिए आपको थोड़ा जस्बाती औरो दूसरो से ज़यादा जुड़ना पड़ेगा ....उनके सुख दुःख की हर ख़बर रखना .......अपना कन्धा हमेशा देना और पीठ पीछे बहुत बुराई करनी होगी ।
अगर यहे सब करने से आपको अच्छा लगता है तो बस आप यहे सुख भोग सकते है ।
बचपन से इसके लक्षण आपको बच्चे में डालने पड़ते है ....आपको सीखना पड़ता है जसे अगर किसी बच्चे के पास अच्छी चीज़ दीखे तो उसे तोड़ दो , घर आ कर उसकी जिद करो ,जिसका जो सामान अच्छा लगे बाकि बच्चो को बोल कर उसका वो सामान तुड़वा दो उससे तंग करो बाकि बच्चेओ को साथ मिलकर मजाक बनायो वगेरह -वगेरह । बस बड़े होकर वो आपकी उम्मीद पर खरा उतरेगा और पि.एन .एस का आनंद ले पायेगा । और यदि लड़की है, तो एकता कपूर के सारे सीरियल दिखा दीजिये सब ठीक हो जाएगा घबराने की कोई बात नहीं ...ससुराल में आपका बहुत नाम करेगी ..तुलसी या कुमोलिका यहे आप उसके ख़ुद चुनने दीजिये ..वसे में जानती हु माँ का दिल बेटी को परेशां नहीं देख सकता इसलिए आप उससे कुमोलिका ही बनाना चाहेंगी ..बाकि आपकी मर्ज़ी ।
पि.एन .एस हर तबके के परिवार में पाया जाता है ..आमिर गरीब,मध्यम वर्गीय । बस तरीके अलग होत्ते है
...गरीब में -- तेरे पास खोली /चाल/झोपडी है,खाने को भर पेट खाना है, सरकार से दो बार फ्लैट मिला है जो बेचा है , तेरी बीवी भी चार में काम करती है कमाती है, बच्चे कूड़ा बिन कर लाते है , अच्छा गता है तेरा बच्चा, तेरे चार बच्चे है भगवन तेरे साथ है , तेरे पास शराब जुआ और पिक्चर देखने के पैसे है ............
आमिर का पि.न.एस --तेरी बीवी की शौपिंग,क्लब के मेम्बरशिप ,अख़बार में नाम आना , बच्चो का बिगड़ना ,गाड़ियों की संख्या ,शोव्बिज़ का हिस्सा ,जल्दी जल्दी पार्टी देना, घुमने के लिए फॉरेन ट्रिप , माँ बाप को हॉस्पिटल में रखना साल में एक bar मिलना ,एक बार पहने हुए कपड़े दोबारा नहीं पहनना , अफैर होना ,स्पा पार्लर का खर्चा उठाना , शराब जुआ खेलना ,बड़ा बंगला होना,छोटे छोटे कपड़े पहनना , डिजाइनर कपड़े और हर सामान (जूते ,बटुआ ,स्मिले ,नाक ,पति/पत्नी ,बच्चे) ,कित्ती पार्टी ,चैरिटी के नाम पर कोई भी संस्था राम भरोसे खोलना और पब्लिसिटी करना, प्रेस्स्कोंफेरेंस करना ,औटोग्राफ देना ॥
यहे सब करना होत्ते है पि.एन.एस के लिए वसे अगर घर वालो का पि.एन.एस हो तो मज़ा आजाये ...पर शर्त है की घर बादहोंना चैहिये और कमरे काम ॥ एक बहु जाए तू दुसरे की बुरे दूसरी जाए तू तीसरी की .....और बस तृप्ति पि.एन.एस की मिल जायेगी ...सका बच्चा हमारा कह्र्चा हमरे घर वाले में लाडली बहु hu ,मेरे anne के बाद पसिसा आया .......यहे लिस्ट कभी ख़तम नहीं होगी ।
यही होत्ता है पर निंदा सुख (पि.एन.एस )

गुरुवार, 3 सितंबर 2009

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बुधवार, 2 सितंबर 2009

प्रकृति

ऐ सृस्थी के रचयेत अजब सृस्थी तुने रचाई
एक भी समनाता नहीं पाई हर चीज़ ने अपनी अहमियत पाए

सूरज अपने तेज़ से सब फीका कर देता
चांदनी अपनी शीतलता से मन को सुकून देती

बादल पल भर में धूमिल हो जाता कभी मेघ बन बरसता
नदी की कलकल ,समंदर का तूफान
पक्षी के चहचाहट ,पेड़ का पतझड़
बादल की गर्जन ,बिजली की चमक
पशू की चपलता ,भवरो के गुंजन

क्यों मानव को चुना इसके विनाश के

लिए बिना शर्त प्रकृति ने सहारा दिया और

हम इसके संग खिलवाड़ करते जा रहे है ।

मंगलवार, 1 सितंबर 2009

जीवन जोड़ी

प्यार का खुमार भी अजीब होता है
सहेली ,परिवार ,के अथाह प्यार के बाद भी
एक खास प्यार की चाह होती है
हर पल उसकी तलाश रहती है
प्यार सच्चा या छोटा नहीं होता
सिर्फ़ सच्चा होत्ता है
इसे सीचना पड़ता है
प्यार ,मर्यादा, श्रधा से
भक्ति करनी होती एहसास दिलना पड़ता है
नाजुक डोर को पक्का करना होता है
अपने सपनो को बुनने से पहेले
उन्हें ज़मीने सचाई से मिलना होता है
उसके बाद सपनो को आकार देना होता है
प्यार कर्म होता है
विचारो,खामियों को अपनाना होता है
जो नीव बनते है
आगे के स्तम्भ तो ख़ुद बा ख़ुद बन जाते है
प्यार इबादत है जिद समय आशय सन्दर्भ नहीं होता
आँखों ,स्पर्श और ध्यान से बात हो जाती है
इसलिए जोडिया उलटी होती है उपर से बन कर आती है ।

सोमवार, 31 अगस्त 2009

जीवन भगवन

मन की गुथी खोल रे भगवन
कसा है यह मन
यहे चंचल मन कभी अटके कभी भटके
कभी सवाल करे कभी जवाब दे
कभी हसाए कभी रुलाये
कभी भलाई कर पछताए कभी कपट
कभी जलन दिखाए तो कभी प्यार ।

क्या है यह मन ,गुथी खोल रे भगवन
कभी ऊँचे सपने दिखाए
कभी धरातल दिखाए
अपनों को करे पराया
परयो को अपना
कभी मरने को चाहए
कभी जीवन जीने की चाह जगाये।

महके सारा जीवन
में रोऊँ टीओ सब हसे
कसे है यहे जीवन
सब फसे मोह माया में
मन तो चंचल है
इसकी गुथी खोल रे भगवन ॥

जीवन वरदान है

आज नहीं तो कल सबको जाना है
जीवन चक्र को निभाना है
खाली हाथ आना और जाना है
खुशियों को गम से क्यों दबायेंगे
कल की चिंता में आज भी गवाएंगे
कल को आज होना ही है
समय चक्र को चलना है
शरीर ख़राब नहीं मन में व्याधि है
सच है जीवन एक पहेली है
जो जीवट है वो खुश है
जहाँ दुःख है वो मरघट है
किस्मत को रोना बस खोना ही खोना है
असफलताओ पे रोना नहीं उससे सीखना है
रोते हुए आना और हस्ते हुए जाना है
पाप पुण्य झमेला है
जो पाया वोही खोना है
आज कल की तस्वीर है
कुछ भी करो समय को नहीं रोक पाओगे
लिखा है तो होना ही है
क्यों मर्त्यु की दरख्वास्त है
जबकि जीवन ही वरदान है ।

जीवन की आस

मेरे मन की गहरायिओं का फ़साना हो तुम
मेरे जीवन का गुरुरु हो तुम
मेरे अक्स की परछायी का सुरूर तुम
तुम्हारा मेरे प्यार हो तुम ।

सपनो के भवर में ,मुझे ले जात्ते हो
कभी खयालो में गुनगुनाते हो
मेरे मन की बात को बिना कहे समझ जाते हो
मेरे जीवन की नईयां के खिवायिया हो तुम ।

अंधेरे मन के उजाले तुम
सुने जीवन के सहचर तुम
खुशियों के पुंज से महकती रहे यहे जीवन संध्या
तुम्हारे हमकदम सदा है हम ।


मेरे मन्दिर के देवता हो तुम
मेरे हर काम की खुशी तुम
मेरे संकल्प के ताकत हो तुम
मेरे सपनो की ताकत हो तुम ।

मेरे अरमानो का प्रकाश हो तुम सिर्फ़
तुम से बहुत प्यार यहे इज़हार नहीं इकरार है
,एक जीवन बंधन का
जिसमे प्यार,सम्मान ,खुशी और शान्ति
हो अनकहा रिश्ता हो संस्कारो का सम्मान हो ।

जिसका कोई सहारा न वो तलाश हो
तुम थक गए थे अकेले इस जीवन में
आज वो रास्ता तुम
अरमान जगा न करना हमे हताश तुम
इस डोर का आखिरी किनारा तुम ,
जीवन की आस हो तुम ।

जीवन की उड़ान

आकांशा की ऊँची उड़न ने कहा
मत जगाओ मुझे सुप्त ज्वालामुखी हु में
लावा रिस्ता है गरम है
नुकसान न पहुँचा रहा किसी को
सिर्फ़ पुकार रहा निकल जाने मुझे
आकंशाओ की ऊँची उड़ान ने रास्ता दिया
रहा दूर थी जब उमंगो ने जनम लिया
समय की धारा के साथ मिलाप हो गया
टूटी डोर से नाता बरसो का हो गया
बन गई नई राहें जिनसे कोई वास्ता न था
इस उड़ान को कलम ने सहारा दिया
किताबो ने बनाये नींव अभिलाशाओ की झड़ी लग गई
जिन्दा लाश में ज़िन्दगी बस गई
आंसू खुशी बनके छलक गए
गम के साये मंदिरा में डूब गए
वक्त की रफ्तार बदल गई
धरती ने अंचल दिया
अस्मा ने समेत लिया
कहाँ मत छोड़ो इन आकंशाओ को
यही जीवन की सबसे ऊँची उड़ान है ।

जीवन सार

जीवन एक कशमकश है
इसी में छिपी कहानी जीवन का सच है
तुम आए हो ,तुम्हारा मकसद है
तुंहारा लेखा जोखा है
तुम्हारी किस्मत है
पर इसको जीना तुम्हारी फितरत है
अच्छी बुरी किस्मत नहीं नजरिया है
जिससे बनेगी तुम्हारी दुनिया
निराशा ,दुःख असफलता तुम्हारी है
आशा ,खुशी ,प्यार दूसरो का है
तुम नहीं फेसला करना वाले
क्या तुम्हारा है
यह तो इन्सान का जाना और माना है ।

जीवन यात्रा

जीवन बिन मर्त्यु नहीं,हार बिन जीत नहीं
पानी बिन जगत नहीं, माली बिन बाग़ नहीं
भगवन बिन भक्त नहीं , रात बिन दिन नहीं
शक बिन विश्वास नहीं , समस्या बिन समाधान नहीं
किसान बिन खेत नहीं , जन बिन देश नहीं
मन बिन कार्य नहीं , गम बिन खुशी नहीं
कृष्ण बिन राधा नहीं , सूर्य बिन चाँद नहीं
लय बिन गीत नहीं , झूठ बिन सच नहीं
कमल बिन कीचड़ नहीं , स्त्री बिन पुरूष नहीं
पतझड़ बिन वसंत नहीं , बरखा बिन सावन नहीं
खुशी बिन गुन नहीं, बीमार बिन दवा नहीं
राही बिन पथ नहीं , पथ बिन यात्रा नहीं

चोला बदल कर नए भेष में आना है जाना है
यहे जीवन तो अंतहीन यात्रा है ॥

जीवन से मुक्ति

ध्यान की अन्त्प्रेक्षण , मूल का भाव
कर्म की प्रतिष्ठा ,कार्य का योग
विचार का द्वार ,हार का परिष्कार
जीता का परिष्कृत , सत्य का चैतन्य
पदार्थ की मिथ्यता,जीवन का स्वरुप
स्वरुप का बंधन , बंधन से रिश्ते
क्योंकि रिश्ता धरम है ,धरम ही कर्म है
कर्म ज्ञान है ,ज्ञान शक्ति है ,शक्ति ही युक्ति है
इससे ही जीवन की मुक्ति है ।

जीवन का सिद्धांत

आज फिर नई सुबह ने ली अंगडाई
जगा रही उमग तरंग को
याद दिला रही कल की खामी को सुधारो
विश्वास जगा रही नई सुबह
सुबह कभी नहीं दोहराती
हर सुबह नई किरण के साथ ढेरो पैगाम लाती
बना लो इस जीवन का सिद्धांत रोज़ करो एक नया काम ।

रविवार, 30 अगस्त 2009

जीवन चाहत

सुर्ख खाक होती ज़िन्दगी में
फूल की चाहत नहीं
बूँद के मोती में बदलने की आरजू नहीं
सिर्फ़ एक चाहत है
चेन की एक सास चाहिए
रात की सुकून भरी नीद
ताकि कल को नई नज़र से देख पाए
सिर्फ़ सुकून के दो पल बहुत है
लम्बी से जिंदगी के लिए ।

गुरुवार, 27 अगस्त 2009

मोहबत

आपके देखने का अंदाज़ हमको भा गया
और हम अपना दिल गवा बेठे
आपको सुरूर में रंग गए हम
चाहत की दिल्लगी है या अफसाना प्यार का
इस तरह के इज़हार से मुश्किलहै पता लगना
आपकी यहे शोखियाँ नज़र उठाने का अंदाज़
करता है आपकी मोहबत का इज़हार
शायद हम आज रूबरू हुए अपने अक्स से
या सिर्फ़ खयालो की परछहयिए है
हर तरफ़ हलचल है आपकी रंगत है
शायद इसलिए मोहबत ख़ुद को मिटने का नाम है
सिर्फ़ आपका नाम ही चारो तरफ़ दिखता है
इसलिए तुझ में रब दिखता है ।

मंगलवार, 25 अगस्त 2009

तुम ..सिर्फ़ तुम

हर वक्त मेरे साथ रहते हो
हर लम्हा हर पल एक नया एहसास देते हो
मेरे खयालो की परछायी बन जाते हो
आँखों में तुम्हारा अक्स दिखता है
बातो में तुम्हारा असर होता है
हर काम में मेरा ख्याल बन जाते हो
आंसू गिरने से पहले उठा लेते हो
सपनो को हकीकत बना देते हो
सब कुछ खूबसूरत बना देते हो
तुम्हारी सोच से महकता यह मन
अक्स की जगह जो तस्वीर बने हो
शिदत से जो इंतज़ार था उसको सफल किया है
मेरी सुनी आँखों की चमक बन गए हो
ज़िन्दगी की रौशनी बन गए हो
और क्या कहू हमेशा इसे ही रहना
मेरी कविता की प्रेरणा बन गए हो ।

मेरा प्यार

किसी बच्चे की निश्चल हसी में
किसी पोधे की महकती खुशबो
ओस की बूंद में ,यदि मेरा अक्स नज़र आए तो
समझ लेना मेरा प्यार whi है


उड़ते पंछी में , बहती नदी में
बीमार के आराम में, रिश्तो की गर्माहट में
यदि तुम महसूस करो
तो मेरा प्यार प लिया

बडो की इज्ज़त में परम्परो के samaman में
अपनी आँखों में ,बडो छोटे की जरुरत में
यदि तुमने मुझे खोज लिया
मेरा प्यार तुम्हारा है

भगवन की भक्ति में ,संत की विनती में
गीत के सुर में ,यदि तुमने मुझे देख लिया
तो में सदा के लिए तुम्हारी हु ।

एक गम

दो बूंद आस की जा मिली समन्दर में
कर गई सारा पानी खारा
इतना दर्द था उन आसुंओ में
इतना सा सहारा था
इतना नमकीन घुला था जीवन में
कोई राग नहीं कोई द्वेष नहीं
कितनी मार खायी से यहे ज़िन्दगी से
छोटी छोटी खुशियों के लिए तरस है यहे दिल
बुझ गई आशा की किरण
पता नहीं कहाँ ला के खड़ा कर दिया
एक पल में बदला यह जीवन
छुट गया सब और दे गया एक रंज
हर पल इस तरह जीने के लिए ।

शनिवार, 22 अगस्त 2009

ख्याल - एक लम्हे का

ऊँचे असमान को देख छिपने को जी चाहता है
धरती देख समाने को जी करता है
बस अब और नहीं मन रमता है
सूरज की किरणों से अपनी जगह टटोलती हूँ
नए सपनो को बुनने के लिए ठोस आधार ढूंढ़ती हूँ
समंदर  अथाह गहरायी  सा यह जीवन अपने में समेट रहा है
ऊपर से निर्मल जीवन अन्दर के तूफान को नहीं पढ़ पा रहा है
एक तड़प उठती है जाने की
फिर जिंदगी अपनी ओर खीच लेती है
जीवन चल निकलता है
एक रूकावट धम से गिरा देती है
बंजर सी बेजार होती यह ज़िन्दगी
चंद टुकडो के खातिर झुठला दिया वजूद को
ख्वाबो के दबे करवा पर बैठे  लोगो की उम्मीद कुचल गया एक लम्हा
फिर एक टूटी ,लाचार,बेबस ,बेइंतहा परीक्षा लेती
अब तो तेरे दर पे मालिक पटक पटक के मर जाने दे
और साहस नहीं ऐसे जीवन जीने का ।

सपना

सपने का कोई ओर नहीं कोई ठोर नहीं
सबके मन में बसते
अपनी राह ख़ुद चुनते
जबान पर आने से कतराते
जोश जस्बे के साथ किस्मत का साथ भी चाहते
कभी टूटने का दर्द पगला देता
कभी आंखे नम कर जाता
कभी पसीने से तरबतर कर जाता
सच्चे हो न हो पर अच्छे होते सपने
कभी मकसद दे जाते सपने
कभी कोरी कल्पना बन जाते सपने
सपनो के गलियारों में गोते लगना सब को सुहाता
काश ! सबके सपने सच हो जाते
कोई नहीं इन्हे तोड़ पता
बुनने से नहीं रोक पता
सच होते हमेशा सुबह के सपने ।

दायरे

अनजान अजनबी राहो में गोते लगते
अपनी किस्मत की चाल को समझने के लिए
एक छोर से दुसरे को नाप लेना चाहते है
जीवन नईया की दिशा को समझना चाहते है
इतना असं नहीं होता
भाग्य किस्मत सभी अजमाने से नहीं चलते
एक अनजान शक्ति से संचालित है
सब विधि का विधान है
मन की चंचलता का कोई ज़ोर नहीं होता
अपने दायरे ख़ुद बन जाते है कभी बना दिए जाते है
मन उसमे बाँध जाता है हम जीवन चक्र में समां जाते है
अपनी सीमाए निर्धरित कर देते है
अपनी चाहत भूल कर नया दायरा बना लेते है
अपनी पहचान खो कर नया अक्स पहन लेते है
एक भ्रम मैं पूरा जीवन गुजर कर उसके सार्थक होने के इंतज़ार करते है
जीवन दायरे से निकल जनम दायरे में प्रवेश कर खुश हो जाते है
प्रभु के इस दायरे के सार्थकता का अनुभव सामाजिकता से लगा बेठेते है ।

लक्ष्मी रूपा

दादी के आमो के बीजो में हर क़र्ज़ चुका दिया या उधार उठा लिया
नारी देह की प्रथम किलकारी से महकती बगिया प्यारी
या कर्जो की शरुआत का सिलसिला मान लिया
पिता जोड़ तोड़ से घबराए ,माता बुजुर्गो से कतराए
दादा दादी मायूस नज़र आए
शायद लक्ष्मी रूप समझ न पाए
सिर्फ़ बेटे के चाह में तड़पते नज़र आए
ऐसे द्वार सात जनम तक लक्ष्मी न आए
कौन जाने इस लक्ष्मी रूप के लिए कल कतार लग जाए ।

गुरुवार, 20 अगस्त 2009

Idioms

To eat humble pie -accpet arror and apologise
A pig in a pole - purchasing an item without seen : disappointment
A flash in the pan -promising at start and then disappointed
To pour oil in trouble water - to make peace
Pyrric victory- A too costly victory
The sword of Damocles- any imminent danger
A wet blanket- one who spoils the fun
To beared the lion in his den - to isit and offend the person on his own grounds

Gift Ideas

It is always feels great if anyone love the gift you brought .The Gift idea and choice depends on the relation ,age,gender and intimacy with that person.We always try to give better gifts.Here r some ideas .
Expensive Electronics(I-pod/Camera/External hard drive/DVD/pendrives/Watches) Encyclopedias Softwares Digital frame Jewellary (Diamond,Gold) Bed Sheet Set

Economic --Flower Vase, Sofa cover, Purse/wallet , Soft toys

Some Creative Ideas

Its just a thought that came in mind and make you busy for an hour or for or minute or days or months .Yes life is all about being creative and an amazing idea make u and all happy .I have done few things to pass my time with an idea that can change life :)
:) Pencil holder and ribbon Flowers


:) Wall hanging using pistachios covers

Game Ideas

  • Passing the passer.

  • See and remember the things.
  • Musical chair.
  • Do this(Like Saree/tie/Gift wrap/Knit/Paste/Cut) in Specific time.
  • Write the steps to do anything(Like Teaching/Washing/Cooking a dish/Eating a specific dish/Getting ready for the school)
  • Race(Jalebi/pakora/balloon/Lemon)
  • Paper Fold dance
  • Match a pair
  • Put Bindi at right place (cover the eyes)
  • Write Favourite of spouse .
  • Fill Su DuKu in the given time.
  • Make a thing with the things provided in a given duration.
  • Write the movies of given couple(Like SRK-Kajol,SRK-Rani,Amitabh-Rekha.Abhishek-ash,Salman-Rani,Akshay-Raveena etc)
  • Who has this(like comb/lipstick/coin/rupee/coupon/pill/hairpin/bandage/bam) in a purse/pocket.
  • Write as many popular movie abbreviation(Like DDLJ,KKHH,QSQT)
  • Write Capital of the countries
  • Write the 10 states of India.
  • Write 10 Character from Ramayana/Mahabharat/Cartoon series.
  • Write the name of 10 reality shows/serial start with specific letter.
  • Write 5 largest/shortest/smallest/longest places in world/India.
  • Write Holy book of 10 religion.
  • Write the english name of spices/fruits/vegetables/trees/kitchen things

दमकता चेहरा

1खानपान का तौर तरीका भी रूप लावण्य को प्रभावित करता है। इसके लिए आवश्यक है कि सुबह के नाश्ते में तली हुई चीजों का सेवन न करके, दूध, दही, अंडा, लस्सी या अंकुरित अनाज को सम्मिलित करें।
2. मौसमी फल, सब्जियों को नाश्ते में सम्मिलित करें। लौकी के रस में, तुलसी, पुदीना और पिसी हुई काली मिर्च मिलाकर सेवन करें। गुनगुने पानी में नीबू का रस मिला कर पिएं। इससे रंग-रूप में तो निखार आएगा ही, शरीर भी छरहरा बनेगा।
3. खीरे का रायता बनाते वक्त थोडा सा कसा हुआ खीरा निकाल लें। उसे आंखों पर कुछ देर रखने से आंखों को आराम मिलेगा और काले घेरे भी दूर होंगे।
4. चेहरे के निखार के लिए गाजर, खीरे, टमाटर या संतरे के रस को लगाया जाए तो यह त्वचा के लिए उत्कृष्ट टॉनिक के समान काम करेगा और इससे चेहरे की कांति भी बनी रहेगी।
5. केले या पपीते के गूदे को मसल कर शहद के साथ मिलाकर चेहरे पर लगाएं। यह कुदरती मॉस्चराइजर का काम करता है।
6. बथुआ उबालने के बाद उसके बचे हुए पानी को फेंकने के बजाय, उससे हाथ धोया जाए तो वे मुलायम बने रहते हैं।
7. चावल के मांड से हाथ धोने पर, हाथों की नमी बनी रहती है।
8. मूली का रस चेहरे की झाइयां समाप्त करता है।
9.
10. दही में शहद मिलाकर चेहरे पर लगाएं। ये त्वचा की टैनिंग दूर करता है।
11. नीबू के छिलकों पर थोडी चीनी डालकर नाखूनों या एडियों पर रगडने से त्वचा का कालापन हट जाता है।
12. अधिक तेज धूप में आने-जाने से यदि आपकी त्वचा झुलस गई हो तो दो चम्मच टमाटर के रस में, चार चम्मच छाछ मिलाकर लगाएं। लाभ होगा।
13. सांवली त्वचा के लिए चिरौंजी दाना को रात भर दूध में भिगोकर रखें। सुबह पीसकर उसमें हल्दी मिलाकर चेहरे पर लगाएं। एक घंटे बाद धो लें। चेहरे की खुश्की दूर होगी और निखार भी आएगा।
14. पुदीने की चटनी बनाते समय पुदीने की पत्तियों को पीस कर एक चम्मच अलग रख लें। फिर उसमें चंदन का तेल, घिसी हुई जायफल और कच्चा दूध मिलाकर चेहरे पर लगाएं। दो घंटे बाद धो लें। मुंहासों के उपचार के लिए यह उपाय सबसे बेहतरीन है।
15. एक चम्मच चने की दाल को दूध में रात भर के लिए भिगो दें। सुबह पीस कर इसमें हल्दी, मलाई और दो-चार बूंद गुलाब जल मिलाकर चेहरे पर लगाएं। सूखने पर हलके हाथों से मलकर छुडाएं। आधे घंटे बाद धो लें। यह तैलीय त्वचा के लिए प्रभावी उबटन है।
16. चेहरे के दाग-धब्बे, त्वचा का सूखापन और झुर्रियां दूर करने के लिए मेथी के पत्तों को पीस कर चेहरे पर पांच मिनट तक लगाएं। फिर साफ पानी से धो लें।
17. बढती आयु या अधिक मेकअप की वजह से यदि रोमछिद्र बडे हो गए हों तो नीबू का रस कच्चे दूध में मिलाकर चेहरे पर लगाएं।
18. कील मुंहासे, दाग या चेहरे पर निशान लंबे समय तक नारियल पानी लगाने से मिट जाते हैं। यदि नारियल पानी उपलब्ध न हो तो दूध में बताशा भिगोकर या पानी में मिश्री भिगोकर चेहरे पर लगाएं। धीरे-धीरे दाग धब्बे दूर होंगे।
19। चेहरे की रंगत निखारने के लिए आंवले के चूर्ण को दाल या सब्जी में अमचूर के स्थान पर डाल कर खाएं। भोजन के बाद आंवले के चूर्ण को फांक लें। इससे खून साफ होता है, त्वचा में निखार आता है।
20त्वचा मुख्यतया पांच प्रकार की होती है- सामान्य, रूखी, तैलीय, मिश्रित और संवेदनशील त्वचा। त्वचा की देखभाल त्वचा इसके प्रकार पर ही निर्भर करती है।


सामान्य त्वचा ऐसी त्वचा पर आकर्षण, ताजगी और लालिमा होती है। उसमें ब्लैकहेड्स या खुले रोम छिद्र नहीं पाए जाते। यह साफ-सुथरे बंद रोमछिद्र वाली होती है। यह त्वचा न तो ज्यादा तैलीय होती है और न ही रूखी। न ही इस पर तेल जैसा कुछ चमकता है।
1. दो स्ट्रॉबेरी का गूदा निकालकर अच्छी तरह से मैश कर लें। फिर एक पका केला छील कर मैश कर लें। दोनों को एक साथ मिलाकर चेहरे पर लगाएं। दस मिनट बाद चेहरे को गीला करके हलके हाथों से मलें फिर धीरे-धीरे धोएं।
2. अधिक पके हुए पपीते का दो टेबल स्पून मैश किया हुआ गूदा लें। उसमें छिला व मसला हुआ आधा सेब और थोडा आमंड ऑयल मिलाएं। चेहरे पर लगाएं और दस मिनट के लिए छोड दें। हलके गुनगुने पानी से चेहरा साफ करें।


तैलीय त्वचा चिकनी और चमकदार लगती है। इस पर मुंहासे और ब्लैक हेड्स जल्दी निकलते हैं। ऐसी त्वचा पर खुले और बडे रोमछिद्र आसानी से नजर आ जाते हैं। ऐसी त्वचा पर मेकअप अधिक देर तक नहीं टिकता।
1.अपने चेहरे व गर्दन को दिन में तीन बार साफ करें।
2.सिबेसिअस ग्लैंड से निकलने वाले तेल को नियंत्रित करने के लिए चेहरे को दिन में तीन बार साफ करें। नाक, गाल व माथे पर विशेष ध्यान दें क्योंकि इन जगहों पर चिकनापन ज्यादा नजर आता है।
3. एक टेबल स्पून मुलतानी मिट्टी, एक टेबल स्पून ओटमील व आधा टी स्पून आमंड पेस्ट मिला कर पेस्ट बना लें।
4. एक अंडे की सफेदी को फेंट कर आंखों का हिस्सा छोडकर चेहरे पर लगाएं। दस मिनट बाद चेहरा ठंडे पानी से धो लें। यह मास्क त्वचा में खिंचाव लाता है और त्वचा के खुले छिद्रों को बंद करता है।
5. दोटेबल स्पून दही में एक टेबल स्पून ओटमील, हलकी फेंटी हुई एक अंडे की सफेदी और एक टी स्पून नीबू का रस मिलाकर चेहरे पर लगाएं। दस मिनट बाद पानी से अच्छी तरह धो लें। यह अतिरिक्त तेल को कम करता है। दाग-धब्बों को दूर करता है और पीएच लेवल को पुन: संतुलित करता है।


रूखी त्वचा पर खिंचाव महसूस होता है। यह त्वचा पतली होती है, जिसके छिद्र हलके नजर आते हैं। इस त्वचा में जलन, खुजलाहट और पपडियां उतरने की आशंका ज्यादा रहती है। मौसम का प्रभाव भी सबसे पहले इसी त्वचा पर पडता है। ऐसी त्वचा की उचित देखभाल न की जाए तो झुर्रियां जल्दी ही नजर आने लगती है।
1.एवोकाडो को मसल कर उसमें एक चम्मच शहद और एक चम्मच फेंटी हुई क्रीम मिलाएं या घर पर बना दही मिलाएं। पैक को चेहरे और गर्दन पर लगाकर दस मिनट के लिए छोड दें, फिर ताजे पानी से चेहरा साफ कर लें। एवोकाडो में त्वचा को पोषण प्रदान करने के लिए जरूरी वसा, विटमिन ए, बी, डी और थोडा विटामिन ई होता है। अगर आप इस मास्क में शहद मिलाती हैं तो यह त्वचा की नमी को बरकरार रखने का काम करता है।
2. दो टेबल स्पून दूध और आधा टेबल स्पून शहद में एक अंडे की जर्दी मिलाएं। इसे आंखों का हिस्सा छोडकर चेहरे पर लगाएं। पंद्रह मिनट बाद गुनगुने पानी से चेहरा साफ कर लें। इसके अलावा अपने आहार में अंडा, सेब, क्रीम, खीरा, दूध और शहद शामिल करें।
3. दो टेबल स्पून आडू को मसल कर उसमें दो टी स्पून शहद और एक टी स्पून आमंड ऑयल अच्छी तरह से मिलाएं। इस पेस्ट को चेहरे पर लगाकर दस-पंद्रह मिनट के लिए छोड दें। फिर गुनगुने पानी से चेहरा साफ कर लें।
4.आडू में विटमिन ए प्रचुर मात्रा में होता है, जो रूखी त्वचा को पोषण प्रदान करने के साथ-साथ कोमल और आकर्षक बनाता है।
5. एक पका केला छीलकर मसल लें। फिर चेहरे पर लगाकर दस मिनट के लिए छोड दें। चेहरा धोने से पहले ठंडा पानी हाथ में लेकर चेहरे को हलके हाथों से मलें फिर धीरे-धीरे धोएं। केले में अमीनो एसिड, विटमिन और मिनरल जैसे- आयरन, मैग्नीशियम होता है, जो त्वचा को पोषण देने के साथ-साथ उसे कोमल बनाते हैं।

खूबसूरत बाल

खूबसूरत बाल ईश्वर की देन होते हैं, लेकिन उन्हें संवारना और स्वस्थ बनाए रखना आपके हाथ में होता है। यहां दिए गए उपाय अपनाकर आप पा सकती हैं काले, घने लहराते बाल।
1. अपने आहार पर ध्यान दें। हरी पत्तेदार सब्जियां ,फलों के जूस, डेयरी प्रोडक्ट्स, नारियल, सैलेड आदि को अपने दैनिक आहार का हिस्सा बनाएं।
2. सोने से पहले बालों में ऑलिव ऑयल या सरसों का तेल लगाएं। दूसरी सुबह शैंपू करके हेयर सीरम लगाएं।
3. सप्ताह में 2-3 बार उरद की दाल और मेथी का पेस्ट बालों में लगाएं। फिर खूब अच्छी तरह 10 मिनट बाद उन्हें शैंपू करें। ऐसा करने से बाल रेशमी, मुलायम हो जाते हैं।
4. कभी भी पुराना रबर बैंड बालों के लिए इस्तेमाल न करें। ऐसा करने से बाल टूटते हैं और दोमुंहे हो जाते हैं। बजाय इसके आप फैब्रिक कोटेड इलास्टिक बैंड इस्तेमाल कर सकती हैं।
5. टेबल स्पून मेयोनीज के साथ आठ स्ट्रॉबेरी को मसल लें। इस मिश्रण से धुले और गीले बालों का मसाज करें। फिर कुछ देर के लिए शॉवर कैप लगाएं। उसके बाद गर्म तौलिए को सिर पर लपेटें और थोडी देर बाद शैंपू कंडीशनर से बालों को धो लें।
6. डैंड्रफ दूर करने और बालों का रूखापन हटाने के लिए केले को शहद में मिलाकर बालों में 30-40 मिनट तक लगाएं। फिर बालों को ताजे पानी से अच्छी तरह धो लें।
7.तैलीय बाल ऐसे बालों को रोज धोना जरूरी है। इसके लिए माइल्ड हर्बल शैंपू का प्रयोग करें। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि सिर की त्वचा पर जरा भी शैंपू न रह जाए। शॉर्ट और लेयर्ड हेयर स्टाइल वालों के लिए रोज शैंपू इसलिए जरूरी है ताकि बाल घने नजर आएं और उनका स्टाइल भी बरकरार रहे।
7a. इसके अलावा शैंपू करने से पहले बालों व सिर की त्वचा पर अंडे की सफेदी लगाकर आधे घंटे के लिए छोड दें। यह बालों को बॉडी देने का काम करेगा। यह एक बेहतरीन क्लींजर भी है और अतिरिक्त तैलीयता को भी कम करता
8.बेजान बाल स्विमिंग पूल का क्लोरीन युक्त पानी या समुद्र का नमकीन पानी बालों को रूखा और बेजान बना देता है। इसलिए स्विमिंग से पहले और तुरंत बाद में बालों को भिगो लेने से उन्हें हानि नहीं पहुंचती है। बेहतर होगा कि स्विमिंग करने के बाद बालों को धो लें। बालों में चमक लाने के लिए हफ्ते में एक बार गुडहल के फूल की पत्तियों को पीस कर लगाएं। फिर धो लें। या फिर शैंपू करने के बाद एक मग पानी में थोडा सा सिरका या बियर डालकर उससे बाल धोएं।
9.रूखे बाल अगर आपके बाल अत्यधिक रूखे हैं तो रिच कंडीशनर के प्रयोग से बचें। इसके बजाय हर्बल हेयर रिंस का प्रयोग करें। चाय की पत्ती के पानी या नीबू पानी से धोना बेहतर होता है। चाय की पत्ती को पर्याप्त पानी में अच्छी तरह उबाल कर छान लें। ठंडा करके शैंपू करने के बाद बालों को उस पानी से धोएं। आप चाहें तो चाय की पत्ती केपानी में कुछ बूंद नीबू का रस भी मिला सकती हैं।
10. इसके अलावा शैंपू करने से पहले बालों व सिर की त्वचा पर अंडे की सफेदी लगाकर आधे घंटे के लिए छोड दें। यह बालों को बॉडी देने का काम करेगा। यह एक बेहतरीन क्लींजर भी है और अतिरिक्त तैलीयता को भी कम करता है।

हिना कंडीशनर तैलीय बालों के लिए - 1 चम्मच मेहंदी को 2 चम्मच दही व चुटकी भर चीनी के साथ थोडा पानी मिलाकर पेस्ट बनाएं। बालों व सिर की त्वचा पर लगाकर बीस मिनट के बाद धो लें।

रूखे बालों के लिए : एक टेबल स्पून मेहंदी को एक टेबल स्पून कोकोनट ऑयल और पर्याप्त दूध में मिला कर पेस्ट बनाएं। इसे बालों में बीस मिनट लगाएं और साफ कर लें। हिना कंडीशनर से बालों में अच्छा रंग भी आता है और बाल मजबूत भी होते हैं।


सामान्य बाल एक-दो दिन में बालों को एक्स्ट्रा प्रोटीन एंड केयर शैंपू से धोएं। ऐसा हेयर स्टाइल रखें जिसमें बाल चेहरे पर अधिक न गिरें। पीछे की तरफ बालों को हलका सा पिनअप जरूर करें। ताकि गर्दन पर बालों का गुच्छा न जमा हो। इससे पसीना अधिक निकलने से बाल चिपचिपे, फ्लैट और बेजान हो जाते हैं। पर्याप्त पानी, जूस और तरल पदार्थ लेना भी न भूलें।


आल पर्पज कंडीशनर : 1-1 टी स्पून कैस्टर ऑयल, माल्ट विनेगर, ग्लिसरीन, ऑलिव ऑयल और शैंपू को एक साथ मिलाकर पेस्ट बनाएं और बालों को धोने से पहले इसे बीस मिनट तक लगाएं। इससे बालों का टेक्सचर सही हो जाएगा। * एक प्याज को कस लें और उसमें थोडी कसी हुई पत्तागोभी मिलाकर तांबे के बर्तन में रात भर के लिए रख दें। इससे बालों में जबर्दस्त चमक आ जाएगी। यह उपाय हफ्ते में एक बार करें। कैस्टर ऑयल बालों को बॉडी देता है। ऑलिव ऑयल बालों के लिए टॉनिक के समान है और विनेगर एसिड मैंटल को री-स्टोर करने में मदद करता है। ग्लिसरीन सिर की त्वचा की आवश्यक नमी को बनाए रखती है।


हेयर सेटिंग कंडीशनर : 1 टी स्पून जेलेटिन को एक मग पानी में मिलाएं। इस पानी से शैंपू करने के बाद बालों को धो लें। उसके बाद बालों को अंगुलियों की सहायता से सुखाएं और जैसा हेयर स्टाइल आप चाहती हैं वैसा सेट करें।

आदर्श महिला

yh कविता मेरी अपनी, माँ,नानी, दादी, तई,दीदी,..........इन सब लोगो के सफल गृहस्थी चलने के आधार पर कहा है । इनका नजरिया ,दूर की सोच ,घर का बंधन ,प्यार और खुशी की परिभाषा और भी बहुत कुछ ........मुझे बताता है यहे आदर्श है और महिला है ... आज का समाज और स्त्री की सोच ही उसके इस अस्तित्व के पतन का कारण बनेगी ।शायद ,मेरे इस विचार से बहुत लोग सहमत नहीं होंगे .. बदलवा है पर फिर भी अच्छी लड़कियों की कमी नहीं है ,मेरा मन यही कहता है

मैंने कभी आदर्श महिला को नहीं देखा
सोचती हु ऐसी मूरत है वो
पूजा में सजी एक तस्वीर है वो
सब मानते सब जानते है
सबके मन की अभिलाषा वो
भारतीय नारी वो
सारे दुःख सह लेती वो
हर मोड़ पर बदल देती वो
नारी की पहचान वो जननी,बहिन,बेटी,भार्या वो
मत ढालो उससे पाश्चत्य संस्कृति में
बनी वो भारतीयता के लिए
मत पुकारो कल के प्रलय को आज
भसम कर देगा पूजा की देवी के स्वरुप को
चाह नहीं तुम पूजो उसे
बस इतना सम्मान दो ,
न झुके वो स्वय की नजरो से
चाहत है उसे उठने की ,
पर इतनी नहीं की मखोल बन जाए
समझो उसकी आत्मा की भाषा को
वो आन हमारी वो शान हमारी

नभ का तारा

मेरी दादी श्रीमति अनसुईया देवी के लिए ......मेरे दिल से लिखी गई एक कविता । वो मेरी सखी ही नहीं मेरी प्रेरणा थी मूरत थी वो कोई लालच नहीं कोई चाह नहीं ......हर काम को करने में तत्पर .......गजब का आकर्षण और शांति थी उनके जीवन में ....मेरी खुश  किस्मती  है मैं  उनके घर आए और उनका पूरा साथ मिला ..मेरा हर काम  में उनकी झलक हमेशा रहेगी ।

मेरी बचपन की छाव  का अंचल छुट गया,
मेरे सारा से मेरा हमकदम साया टूट गया,
बस रह गई उनकी यादें
कहाँ था जो ..दिया था जो उन्होंने
मुझे तराशा था उस देवी ने
मुझे दिखया था वो सपना
मिलाया था मेरे बचपन से हाथ
नई बुलंदियों को दिखाया था
सिखलाया था परम्परा की बारीकियों को
समझाया था मानवीय कर्तव्यों को
जीवन की कठिन रहा का
बहादुरी से सामना करना
न भूलना  माता पिता को वो सर्वोपरि  है
न गवाना  एक पल भी
जीवन की कीमत पैसा नहीं है
बस प्यार और सम्मान दो
खूब पढो और पढ़ाओ  परम्परो को आगे ले जाओ
'मैं ' न हो तुम्हारा संदेश "हम सब एक है "यह दो संदेश
देख रही हूँ आकाश सवार ,बस चमक रहा एक ही तारा
यही है दादी का मुख प्यारा जो दे रहा है जग को उजियारा
यही है दादी माँ का आशीर्वाद दुलारा ।

बुधवार, 19 अगस्त 2009

महकते घर

पुराने घरो की दीवारों में ज़िन्दगी बसती थी
एक अपनेपन की गंध जो सदा बंधे रखती थी
jhdhte प्लास्टर में मनुहारों की खुशबू थी
अलमारी को खोलते ही शरू होते यादो के गलियारे
झरोखों से आती हवा में अपनेपन का एहसास
उन कमरों से आती बचपन की महक
गर्मियों की छुट्टियों का मज़ा
सारे bhai बहनों का मिलना
बिच के आंगन में धमाचौकडी मचना
दादी नानी के कहानियाँ , दादा नाना के प्यार से लबरेज़
ताप ,शीत ,बरसात से बेखबर वो बचपन का खेल
पूर्वजो की कहानी कहता yh घर
आज के यहे आलीशान महल
न वो कशिश न वो प्यार न आशीष
आधुनिकता की चकाचौंध में खो गया वो घर ,वो अपनापन वो प्यार ।

एक लम्हा

मशगुल हो गये
अपने गम में कुछ देख न पाए
चारो तरफ गमो को बिच्छा दिया
ख़ुद को सिमटा लिया
जब उकता गए तो देखा हर गम अपने से बड़ा लगने लगा
न जाने क्यों क्यों ज़िन्दगी को गम का सागर बनके कोसते रहे
ज़रा हस दिए तो मन की हसरत पुरी मान ली
तेरा शुक्रिया खुदा
इस हसी के अनमोल लम्हों निकल कर जीने का मकसद दे दिया ।

मंगलवार, 18 अगस्त 2009

मेरे जीवन साथी

तेरे लिए तेरे संग
हरदम रहूंगी सजन
चाहिए गम हो या खुशी
तेरे बिन वो सदा अधूरी ।


मेरे घर की रोशनी  तुम
मेरे मन की शक्ति तुम
प्यार की इस आस्था से सजी
मेरी बगिया हो ।


तू ही मेरी ताकत
तू ही मेरी पहचान
इतना अटूट यह नाता हो ।


शक शुबह की जगह नहीं
प्यार की मूरत हो
सच्चाई विश्वास की नींव से
बना मेरा मधुबन हो।


खुशियाँ यह प्यार से
आदर जहाँ संस्कार  में
साथ हमारा सदा रहे
कभी न चटके यह आधार।


छोटी  सी पहेली यह ज़िन्दगी
कर दी तुम्हारे हवाले साथी
साथी ओ मेरे जीवन साथी ।

किस गली है मेरा देश

जाने कौन गली है मेरा देश
क्यों .?मेरा घर ही है परदेश ,
किसने यह नियम चलाया
एक शहनाई ने करा पराया
एक अनजान  को जीवन दे डाला
जिस घर में उमर बिताई उसे ही फासला  बन जाता
बाबुल सखी, अठखेलियाँ सब हो जाते पराये
जब प्रीत ने बंसी बजाई ।
जाने कौन गली है मेरा देश .
डोली में बैठे तो आँसू , उतरे तो खुशी
पल पल बदलती यह ज़िन्दगी
सालो के प्यार से पल का प्यार आगे निकल जाता
पल में पराया अपने सब कुछ हो जाता
आने वाले कल की तस्वीर बन जाता
जाने किस गली है मेरा देश जहाँ थी वो था परदेश ।

कहाँ है यह जहाँ

उस जगह की सेर करना चाहती हूँ
जहा कोई तमन्ना आधी  न हो
हर तस्वीर में चाहत हो
सच्चाई हो एक दुसरे के लिए सम्मान हो
हर बंधन अपने में आजाद हो
हर शब्द में अपनापन हो
आँसू दर्द दुःख जसे शब्द ही न हो
सिर्फ़ प्यार ही प्यार हो
हर चाहत पूरी हो
हर मज़िल असं हो
हर साथी सच्चा हो
काश ! ऐसा मेरा जहाँ हो ।

बाबुल

छूता बाबुल का आगन चल दी परदेश
छुट गई वो सखी सहेली
छुट गई बचपन की बगियाँ
वो हस्सी ठठोली वो कहकहे
सब घूम हो जाएगा
दुनिया सिमट का इन्सान के वश में हो जाती है
सब खो कर कच अपना नहीं लगता
खुशियों के सपनो के मायने बदल जाते
हरचाह हर आवाज़ को उसकी चाह के साथ मिलना होता है
अपनी सोच अपनी नज़रियाँ बंद बक्से में डालना होता है
सिर्फ़ उनको खुश रखना होता है
अपनी परेशानियों अपने आंसू सिर्फ़ आपके होते है
कोई नहीं होता बाबुल के आंगन के परे
हलकी छींक से बाबुल परेशां होता
सिर्फ़ पसंद न पसंद बताई जाती है
कोई नहीं जो एक पल सुन लेता
सिर्फ़ तुम सुनो
पहनन ऊड़ना चलना फिरना सब बदल जाता
पर फिर भी एक रस है इस भाव में
एक बार जीत लो सबका मन वो ही जीत है ।


सावन

रिमझिम बुँदे ने एक चाह जगा दी
अपने प्रीत की याद दिला दी
नज़र से ओझल  हो लेकिन दिल के करीब हो
आज फिर पहली बारिश याद दिला दी
अलहदा मस्ती मज़े में खो जाते थे
भीग भीग फिर आते थे
ओले गिरने की चाह में असमान निहारते थे
धुप के लूकचीपी में इंद्रधनुष  तकते थे
उन लम्हों को याद करा दी फिर रिमझिम ने
छपक  छपक पेरू का खेल का मज़ा
उस उमर के प्यार का पहला नशा
अंगडाई लेती इच्छा  जगती से बरखा
चंचल मदमस्त करता यहे सावन
काले बदल के बीच में बता सूरज
लहरों का चंचल होता यहे मन
उजली हरियाली से लगते मन के पंख
कितना मदहोश करता है यह सावन ।

गुरुवार, 13 अगस्त 2009

औरत

कैसा अजीब शब्द है यहे औरत ...जब यही माँ ,बेटी ,पत्नी ,बहिन बनता है तो कितना सुखद एहसास होता है ,वही दूसरी ,वो , एसे शब्द सुन कर जी खट्टा हो जाता है । पर है तो सब एक ही बस मायने बदल गए ..लोगो ने अपने समझ के हिसाब से बदल दीये । हर नारी ,स्त्री , एक ही मकसद के लिए जीती है अपने प्रियजनों की खुशी पर कितने लोग इसकी परवाह करते है और उसकी भरपाई कर पाते है ? उसके जीवन के हर मोड़ पर एक हिसाब माँगा जाता है । कभी अच्छी बेटी होंने का ,कभो अच्छी बहिन का ,कभी अच्छी पत्नी और अच्छी माँ का जब इस हिसाब में गड़बड़ होत्ती है......... तो उसे उसकी खता मानी जाती है और इसकी सजा दुनिया तय कर देती है........ उसे जिंदगी भर चुकानी होती है, कही न कही उसकी सजा का हिसाब भी औरो के हिसाब से होते है... वो तो  बस एक कोने  में खाडे रहती है सजा के लिए : एकदम तन्हां जो ऐसा नहीं करती ,वो नारी का दुखद एहसास दे जाती है । सफल नारी कौन है .......यह  कौन जनता है ...इसका क्या मापदंड है ? कौन बता सकता है की सफल कौन है... जो चुप चाप सुनती है ..या जोर जोर से बोलती है कोई नहीं जानता । क्या बताएं ? यहे भाग्य की बात है ऐसा अपने बडो से सुना है..... दादी माँ सब हर बात में लड़की के भाग्य को बता देती थी ..लड़का पैदा हो  लड़की हो अच्छी शादी हो.. बेकार शादी हो अच्छा पढ़  ले या अच्छे घर में रह सब भाग्य अच्छा हो तो लड़की का बुरा तो लड़की का ....पर जो परीक्षा है उसे हर समय देनी  होता है । पर यह  सही है नारी का मन है पढ़ा पाना सही रहता है ..उसके ख़ुद के लिए ...कोई ज़यादा प्यार करे  वो बिगड़ जाती है सर चढ़ जाती है मनमानी करती है ...थोड़ा डर रहता है तो सही रहता है ।

वसे जो आज नारी की हालत है उसके लिए पुरूष ही जिम्मेदार है , अपने इसे पुरूष के सामने अच्छा दिखने के लिए नारी को कई रूप धरने पड़ते है । पिता की अच्छी बेटी , भाई की अच्छी बहिन, पति की अच्छी पत्नी ,पुत्र की अच्छी माता ,ससुराल की अच्छी बहु । अलग अलग रिश्ते... अलग अलग रूप हर रूप का अपने दायरा ......इतने बड़े दायरे में अपना अस्तित्व खो देती है । जब इस दायरे का घेरा इन् लोगो के आगे प्रियतम या कोई और संतान के नाम जाता है...... तब वो एक सामाजिक दयारा पर कर जाती है और उसमे से बेदखल हो जाती है । शायद, एक नारी दूसरी नारी के बारे में बोलने का अधिकार ले लिया जाता तो ..आज कुछ और परिस्थिति होती ...इसमे कोई दो राय नहीं-- नारी नारी की दुश्मन होती है ..बेटी बुरा करे या ससुराल में  बुरा हो तो माँ  वापस नहीं देखना  चाहती , माँ दूर भाग जाती ...है..,पत्नी बुरी हो तो पति से पहले ननद या सास भड़का देती है कितने ही ऐसा लोग है..... जिनका तलाक अलगाव ससुराल की  की नारी के कारण हुआ है । कितनी ही औरत ने दूसरो के पति पर जादू कर के अपने वश में कर लिया और एक घर उजाडा गया ।

समय एक सा नहीं रहता बदलता रहता है इसी समय के फेरे ने औरत के अस्तित्व के नित नए रूप देख .... सरे रूप धरवाए गए नर द्वारा....... पर उसका मूल अस्तित्व नारी का  खोता गया और आज कलयुग में नारी का जो जलन ,इर्षा ...अपना तेरे का रूप बहुत उन्नत हो गया ॥ आज नारी सुपर वूमेन है ...पर उसकी अस्मिता की मर्यादा की सीमा खो चुकी  है ,सब ऐसा है पर नारी की विचारधारा का करांतिकारी परिवर्तन है ...अपने अत्याचारों  का खूब बदला लिया । पर समाज के नियम इतनी आसानी से नहीं बदलते । अपने उन्नत स्वरुप के चक्कर  में वो अपने  असली अस्तित्व और कर्ताय्व्यो को नर- नारी के बहस में घूम कर गई ।

नारी का चंडी रूप समय समय पर सब ने देखा है, और सामना किया है पर हर समय एक रूप कायम नहीं रह जा सकता । आज के अस्तित्व में पैसा है , प्यार नहीं ,सुन्दरता है पर प्रेमी नहीं , पति है पर सम्मान नहीं ,घर है पर खुशाली नहीं ,मन है पर उसके द्वार नहीं,संतुस्ठी नहीं है कहीं ।
नारी को इन सब नियम  में डाल कर भगवन खुश होकर सब देखते रह । और एसे भवर में फासया की वो कभी नहीं निकल सकती ....वो स्वार्थी हो गई.. अपने लिए नहीं तो अपने बच्चो के लिया... कभी पति के लिए और इन सब को अपने बारे में बिना सोचे सब की भलई करने में अपनी और आने वाले स्त्री को मुश्किल में डाल दिया । जब बेटे की पत्नी उससे काम करने के लिए बोलती है तो उसे बुरा लगता है वोही अगर दामाद वोई काम करे तो खुशी मिलती है ,माँ बोले तो ठीक है सास बोले तो बुरा भी लगता है , मायका मायका होत्ता है ससुराल ससुराल ...सच है ।
बहुत मुश्किल होत्ता है ख़ुद से लड़ना और अपने को मानना के आप जिसके लिए हम अपनी ज़िन्दगी की खुशियाँ  बुन रह हो ...वो भी आपका  उतना ध्यान रखता हो  शायद पिता के बाद कोई ऐसा नहींं होता जो अच्छे के लिए सोचे ...पिता भी तब तक सोचता होगा जब तक बेटी सही रहा चलती रह और सही उमर में उसकी शादी हो जाए ... पति का काम चुपचाप आकर दे उसके घर वालों  का प्यार अपमान आसानी से सह ले और बेटे के लिए बहुत सा धन छोड़ दे ...भाई से किसी राखी का मोल न ले ....वो नारी सफल हो जाती है ....क्या?
नारी को हर उपन्यास के इसे किरदार में ढाला जाता है जो कभी भी हटा जाती है कभी भी अपमानित हो जाती है और जो भी कुछ होत्ता है ...उसके लिए उसे एक किरदार के तरह कभी बेवफा कभी तन्हां कभी लाचार दिखया जाता है। वो कभी न कभी अपनी ज़िन्दगी में यहे देख ही लेती है । हर नारी को यहे महसूस होत्ता है ।
जीवन में नर नारी की बहस हमेशा चलती रहगी । नारी हमेशा अच्छी बुरी रहगी । जिस दिन नारी सिर्फ़ बुरी रह गई तब दुनिया ख़तम हो जायेगी .....क्योंकि नर को जेह्लने वाल आर सारा इल्जाम अपने ऊपर लेने वाला कोई नहीं रहेगा ।

मंगलवार, 11 अगस्त 2009

बच्चे

आज दिवाली है पर लग नहीं रह है । इस बुदापे में हम दोनों अकेले है। कहाँ एक भरा पूरा परिवार होत्ता था । जितना नास्ता बनू उतना कम पड़ता था। आज डायबिटीज़ के करना कुछ नहीं खा सकते । बच्चे अपनी अपनी जगह है । शायाद ही हमे कोई याद करता होगा इससे आस में बेठे है हालाँकि सुबह ही चारो बच्चो का फ़ोन आ गया बेटी का भी आ गया । सब बुला रही है , पर बेटी के पास साल में २ बार जन सही नहीं लगता ।बेटे बहु को हमारा आना अच्छा नहीं लगता जबकि आज तो हाथ पेर चलते है पता नहीं जब नहीं चलेगे तब क्या होगा । में तू फिर भी बहु के साथ निभा लू पर इनका क्या करू बिना बोले रह नहीं पते में बस बहु बेटे ससुर में पिसते रहती हु । न बहु समझे न यहे बेटा इनको बोलू बोले तू लडाई हो ।
एक वो जमाना भी था , जब हम बहु थे , हमारी भी सास थी और कभी कोई बंदिश नहीं ,बस अपना काम करो चके के खाऊ और बदू का लिहाज़ करू । अच्छा था की परदा था , कोई मतलब ही नहीं होत्ता था । आज कल कोई लाज कोई शर्म नहीं बडो के सामने कोई भी बात बोल दे जाती है सब टीवी का असर है सब सीरियल में बस लडाई जलन यही सब सिखाते है । सब देख कर मन खातात हो जाता है ।
बड़े बेटे की बहु बातूनी है ,पर अगर कोई टोक दे या कुछ बोल दे एसा मुह सुजाति है की किस्सी के सामने भी न बोले सब को पता चल जाए की कुछ हुआ है । किसी से बात नहीं करती यहाँ तक की मेहमान के सामने भी मुहु फूला रहता है । चोट्टी बहु घुन्नी है उससे क्या अच्छा लगता है कुछ नहीं पता । जबकि वो यहं आती है तो सब में हाथ में ही देती हु मेरे परे ही सूज जाते है ,पर किस्सी बेटे को नहीं दीखते अपनी बहु का घमना शौपिंग और डिनर बस माँ बाप कासी हालत में नहीं पूछते बीपी दैबेतेस कुछ नहीं घर का ऊपर का वाला हिस्सा अब न मुझसे साफ़ होत्ता है न इनसे बच्चो के बहरोसे भी नहीं रह सकते एक दिन अगर कम की बो दिया तो बीवी मुझे पे बोलती है बहुत कम होत्ता है आपके घर जसे इनका बचपन तो हमेशा इनके साथ रहा है । काम का क्या है बाई को ५० रूपये दो वो कर देती है चार दिन हसी खुशी बोल लो यही बहुत है । न हमें इनका एक रुपया चाहिए न ज़रूरत है फिर भी इतने खिचे रहते है मेरे घर आने के लिए छुट्टी नहीं मायके जाने के लिए है ,पता नहीं मेरे बोलने में कसा है या इनकी समझ में ।
जमाना बदला है अब सास बहु से डरती है । सही है कलयुग है मेरे बच्चो केलिए मेरे सीने में जो दर्द है वो अब बहु के आने के बाद में दिखा नहीं सकती । जो तयोर पे में अपने पति को छोड़ बच्चो के हिसाब से मानती थी आज उस्सी त्योहार पर मुझे अकेले मानना पड़ता है हर मिठाई बनते समय हर जानने की याद आती है पर चार आसो ढुलक कर रह जाते है माँ की आतम कलपती है ..हे भगवन में कभी बद्दुआ न दे दू इससे बचना ॥
शायद मेरी बहु भूल गई उसके भी लड़का ही है वो क्या करेगी ॥? तब शायद मेरे दिल का दर्द समझ पाए आज एक चोट लगने पर जितने आँसू बहती है ..कल सोच कर देख बहु अगर इस बेटे ने तुझे नहीं पुछा तो ..... तेरे दिल पर क्या बीतेगी ...बस एक कसक में हु सब कच बहुएओ के हिसाब से करकेभी मुझे कोई सुख न मिला इससे तो अच्छा था अपने हिसाब से करने देती सब और में भी खुश रहती । जब जायेंगे तो कुछ दे कर ही जायेंगे पर फिर भी ... यहे कुछ कलयुग के नियम ही इसे है। स्कूल में ग्रंद्फठेर डे मानते है तब अपने बच्चो को क्या बताते है यहे तो पता नहीं बच्चे ने कभी अपने ग्रंद्फठेर से बात नहीं की । आजकल एक बच्चा होत्ता है दोनों माँ बाप उसे अच्छा बनने में यहे ब्भुल जाते है वो क्या है ..कभी खद तो फर्स्ट आए नहीं पर बच्चो को फर्स्ट लाना कहते है उसकी मासूमियत से खिलवाड़ करते है ..उसकी अपनी चाहत मर जाती है । माँ बाप अपनी नाकामी को अपने बच्चो की कामयाबी में बदलते देखना चाहते है । अपनी मस्ती अपनी शरारत उन्हें नहीं बताते । मेहेंगे मंहगे खिलोने से उसका कमरा भर देते है ...पतंग नहीं देते जो कभी वो बहुत उमग के साथ उड़ते थे, कपड़े दोना ka दोव्ना ko बा bante थे पूरा khandan एक hi थान से कपड़े पहनता tha यहे nahin बताते , चंचादी नहीं बजाने देते अब वो शर्म की बात होत्ती है ..माँ का बुना स्वेटर नहीं पेहेनते क्योंकि वो ब्रांडेड नहीं होत्ता माँ ब्रांडेड थोडी है माँ पुरानी है वो saari पहनती hai । घर में थोडी सामना बनया जाता hai त्योहार पर सब bazar से आता hai पहले तो hum ५० लोगो ka बनते the अब ३ -४ logo का भी nahin बनता मेहमान ke सामने सिर्फ़ रखना होता hai खाना नहीं पहले काजू badam कभी mil जाए to बस धन्य ho जाते थे sab बड़े छुपा ke रखते थे अब to मुह mein सोने की चम्मुच hotti है । कभी इनका बच्चा अगर दादी के पास रह गया तो यहे किस्से सुना कर वो उससे बिगड़ देगी उसका स्ताट्स कम हो जाएगा .....समझ नहीं आता हसू या रूऊ ...
..पर में उन माँ में से नहीं जो रोते रह में ही अपने पति के साथ आराम से रहती हम पिक्चर देखते है ,डिनर करते है और यहं अपना सर्कल बना लिया है जो अकेले कपल्स है आराम से मिलकर हर त्योहार मानते है । बच्चो के याद भी नहीं आतीपर जब उन्हें हमारी याद आएगी तब बहुत देर हो चुकी होगी ।

अम्मा

आज भी अम्मा की याद मेरा बचपन उनकी गोद में अच्छी तरह से याद है कसे वो  अपना  प्यार हम पर लुटती थी । में उनकी पोती नहीं उनकी सखी थी । वसे वो  नौ बच्चों की माँ थी ..मेरी अम्मा एक लड़की थी उनके बाकि सब लड़के । वो भी आज्ञाकारी । सब जलते थे इतने आज्ञाकारी बच्चो को देख कर और बहु आने पर तो और निहाल हो गई मेरी अम्मा बस छोटे  दो बच्चे बचे थे शादी के लिए । दादाजी अच्छी जगह से सेवा निवृत  हो कर आर्यसमाज की सेवा में लग गए .....अम्मा जच्चा बच्चे में लगी थी सारी उंगलिया बराबर , मतलब सब बच्चे एक से कमाते अपना कमते अपना खाते । अम्मा बाउजी का खूब ध्यान रखते । अम्मा कौन से कम् थी हलवा बनाना के बहुओ को खिलाती थी । लड़के लड़की में कोई भेद भाव नहीं रखती थी । कोई भी हो उठी ही सेवा करती थी । दया भाव की मूर्त । हिसाब से घर समभलने वाली । हम लड़कियों को लल्ली बोलती थी उनके मुह से यहे इतना अच्छा लगता था की बस .....
मेरा तो  एक ही प्रश्न होत्ता था ......की अम्मा तुम यहे बताओ की सब बहुओ में से तुम्हे कौन सबसे अच्छी लगाती है । अम्मा बोली लल्ली ....तू भी ...अपने पोले से मुह से हस  देत्ती थी आज भी हसी याद है मुझे ॥ अपना आठवी का फोटो  दिखा कर बोलती ......देख लल्ली में आठवी तक पढ़ी  और घड़ी पहन कर जाती थी में और उनका पूरा कैमरा । बाउजी का किताबो का डेरा । एक से बड़कर एक किताब । आज सब बेकद्री से पड़ी है कितने अरमानो से बाउजी ने ले होगी ।
सब समय की बात है आज अपने  बुदापे में ज़यादा ही अम्मा की बात समझ पा रही हु शायद ... अम्मा बाउजी को बहुत खुशी थी ......की उनकी सारी बहुए काम करती है अम्मा के पास न तो बहुत ज़्यादा पैसा  था न कभी कमी रही ......वसे भी इतने बच्चो को पलते उनकी ज़रूरत को पूरा करते करते उमर निकल गई । पर में बहुत खुशनसीब थी.. जो इसे घर में  हुई  । मेरे पिताजी....... ने  भी कभी लड़के लड़की में भेद भाव नहीं किया इसका एहसास  तब हुआ .......जब मेरी ससुराल में यह  बहुत ज़यादा था । अम्मा बाउजी को बहुत खुशी थी सारी बहुए नौकरी करती है कोई घर में रह कर पंचायत नहीं करती । सब सारा कम् करती थी । मिल कर रहती थी । समय  अपनी गति से चल रह था
बाउजी को हार्ट अटैक हो गया और वो चल बसे...... अम्मा बहुत रोई उस जामने में तार  देते थे बाउजी दिल्ली में थे तब यह  सब हुआ । अम्मा को बड़ी बहु ने रोटी खिला कर बिठा दिया उनको फटका भी नहीं था ऐसा  कुछ होगया है .........यहे किससा हमेशा अम्मा सुनती थी और आंखो  में आसू  आते और बोलती लल्ली उस दिन बेगन की सब्जी और रोटी बहुत अच्छी लगी खूब खाए। बड़ी बहु ने अपने अस्सू को छिपा रखा था बाउजी के आने तक .... दुनिया जहाँ के लोग आये थे । फिर पिताजी छोटे चाचा आर्यसमज को अपप्नाया कितनी अद्भुत  शान्ति मिलती है यज्ञ  करके । बाउजी के बाद सब ने सोचा  अब सब बदल जायेगा  पर एसा कुछ नहीं हुआ अम्मा का सम्मान उसी प्रकार था........ वसे भी उनके हाथ पैर चलते थे किसी के चार काम ही कर देती बच्चो के अलग अलग जगह ट्रान्सफर थे... उसी पारकर जहाँ मन करता वह चली जाती  सब उन्हें सम्मान  देते थे । तीज तयोर ही रोनक तो उनसे ही होत्ती थी ...एक हफ्ते पहेल से गाने लगती यहे त्यौहार  आ रहा है ऐसा करना है वैसा  करना है । चोक बनाना मैंने उनसे  सीखा । होली पर गुलरी (गया   के  गोबर  से  बनती  थी  )में तू ची ची करती थी । पर अब याद करती हु । अनमोल बचपन की याद को । अगर में या कोई भी वर्त करे तो बस कुछ खा ले...... की रत लगा देती थी खूब हाथ से बनके खिलाती थी । और जो तृप्ति इसके बाद उनके चहेरे पे देखती थी ...मन ख़ुशी  से भर उठता था ..वसे ही आज में करती हु । सुबह ही ५ बाजे उठ कर नहा  लेती थी । चौका का जादू ..वही लगती थी उनने दिखता भी नही था तब भी वही लगाती थी । हम जो भी लल्ली जल्दी नहा दो लेटती थे बड़ी खुश होत्ती थी......... मेरी माँ के स्कूल जाने के साथ वो नास्ता करती थी सुबह ७ बजे मेरे कॉलेज से आने पर सब उनको ही बताती थी । बड़ी दीदी को शादी के लिए बोलती तो दीदी बोलती चलो अम्मा पास वाले चौरेहे पर वही से माला लेके ...................जो पहला लड़का मिलेगा उसके गले में डाल  देंगे खूब हस्ती  । चुस्की आती तो सब खूब कहते चुस्की वाले को वही रूक कर खूब बिक्री करते हर दिन किसी भी एक बाड़े को पैसे चाचा तुजी   से स्पोंसर कर लेते थे हम बच्चे । गर्मी  की  छुट्टी  में  मिलते  थे  सब  सुचते  हुए लगता है सालो का सफर एक रील की तरह मेरे आखो  के सामने है । पता ही नहीं चलता बच्चे को कितनी ही बार यहे किसी सुना चकी हु ...अम्मा की तरह ..फिर उनको बोलती थी अम्मा तुम सुना चुकी हो तो ...वो  अपने पोपले मुह से हस देती थी । में सिलाई  और कड़ी का सामान  का अच्छा उपयोग करना है उनसे सीखा है । कितने ही घर के उपचार आते थे ......उनको इतनी घेरा जला हुआ ज़ख्म उनहोंने ठीक कर दिया था अपने ग्वार के पते की दवाए से । बड़े बड़े उपचार कर देती थी वो । बहुए के लिए इतने सम्मान  की बाउजी पानी लाके देदेत अगर सब  खाना खा रही होत्ती ।
गर्मी की छुट्टी में सब एक जगह आते थे मिलते थे और पूरे साल जो स्कूल में सीखा होता था वो सब के सामने कारते थे फिर सब बड़े हमे कुछ न कुछ देते थे । अम्मा भी हमे देती थी वो ५ रूपये इतनी कीमती थे वो रुपये आज के बच्चो को तो पाकेट  मनी मिलती है......... वसे सब चाहत माँ बाप पहले  ही पूरी कर देते है । दशहरे देखने के १० रुए मिलते थे दशहरे  जाने से पहले जानने कितने सामना खरीदने  का मन बन लेते थे ..और बाद में माँ को देखर बोलते आप  दिला देना यहे में गुलक में रखुगी । यह   सुख कहाँ आजकल के बच्चो  के पास या शायद माँ बाप यह सुख देना ही नहीं ॥ बहुत पैसा है सब के पास पर फिर भी पैसे की अहमियत समझन बहुत ज़रूरी है पता नहीं  मेरा यहे बूढ़ा दिमाग कब आज के रंग में रंगेगा ।
अम्मा, मेरी हमेशा बोलती में मर जाऊ कम् करते  । में बोलती अम्मा सब  ऊपर वाले के हाथ होत्ता है वरना कौन किसी पे बोझ बनना पड़ता  बोली सही है लल्ली । एक रोज़ अम्मा कुर्सी से गिर गयी  ....में अकेले थी समझ में नहीं आया क्या करू ...फिर  सोचा उनको अकेले  उथौनगी तो चोट आजाएगी .......इसलिए माँ पिताजी का इतेज़र करने लगी  थोडी देर में देख तो उनके माथे की  नस कट गई थी जल्दी से पास वालो बुलाया माँ पिताजी को फ़ोन किया  भिजवाया जब तक वो आते ३ टक्के  लग चुके थे चाचा को भी फ़ोन कर दीया । सब ठीक था अगर समय पर न देखती और कुछ हो जाते तो में अपने आप को ज़िन्दगी भर माफ़ नही कर पाती । पर भगवान को कुछ और मंज़ूर था अम्मा आखिर के तीन साल बिस्तर पर रही और चोट्टी चची के पास तो कुछ न बचा आखिर के ४ महीने बहुत कष्ट था । जब मेरे पिताजी के पास थी तो माँ पिताजी के स्कूल जानने के बाद में देखती थी . . पर कभी कोल्ल्गे जाती तो वो श्याद डरती थी फिर बिना बतये जानने लगी तो वो खुश रहती थी. अप्पने हाथ से खाना खिलाती  तो ज़यादा रोटी खाती वरना कुछ कहके रह जाती । आज सोचती हु एक डर हमेशा बुदापे  में  दिल में होत्ता है पर वो डर मौत से ज़यादा सम्मान  की मौत का होत्ता है... बच्चो के पास रहे  इसका होत्ता है । उनके जाने से दो दिन पहले  मिल कर आए थी.. उनकी हालत देख कर दिल घबरा गया था । पर यह  नहीं था वो चली जाएयेंगी ... उस दिन भगवन से माँगा था अगर मुझे जीवन में कभी किसे की सेवा करने का मौका मिले  तो में में पूरी श्रधा से सेवा करू  ..बस दाता इतना ही देना तन मन धन से सेवा करो । माँ पिता के अच्छे कर्म  बच्चो को लगते है। जसे मेरे माँ पिता ने सेवा की और हमे  इस लायक बन  पाए ।
सब का सारांश  निकल लिया ....... अम्मा ने अपने जीवन में कोई छल  कपट नहीं किया........... पर यह कलयुग है .....कौन  से  कर्मो  का  क्या  लेखा  जोखा   है  यह  कोई  नहीं  जानता  . पर  अपने  कर्त्तव्य  सब  जानते  है  .

गुरुवार, 30 जुलाई 2009

घुटन

अम्मा को सब से उम्मीद बहुत जायद है , उनहोंने किया वो सब करे- यहे ज़रूरी तो नहीं !
वसे उन्हें करके क्या मिला ..............गरीबी, लोगो के ताने आज वो सब तो अफसर है और अम्मा और हम वही .......................अपने बच्चो के प्रति भी उनकी कोई जवाब देरी बनती है की नहीं ........................? समय बदल गया है महंगाई बहुत है सब कुछ स्तातुस का खेल है अगर पैसा नहीं तो
अपने बच्चे भाई कोई नहीं पूछता ....यहे पता होता तो क्या बात थी ...आज लोग अपने लिए जीते है ..और जो असा करता है वो सफल भी है ।
जो चुप चाप कर रहा है तो कुछ नहीं आज पोता अच्छा कामा रहा है तो सब की उस पर निगाहे गाड़ी है पर उसकी ग्रहस्ती है उसके बच्चे होंगे उसके अरमान कभी किसी ने नहीं सोचा : सोचा तो बस पैसा देता जा बिना बोले । ।
उसकी शादी में जानने कितने रूपये ले लिये और सामान देने की बरी आए ............, तो मेरे पास भी नहीं मिला , सब ने दबा के रख लिया । बाद में ,पता चला कुछ बुआ ले आए ,कुछ माँ ले आए, कुछ पिताजी ले आए, न लेनेदेने के कपड़े दंग से आए, न कुछ किसी को दिया न लिया ..................
....किसी ने इनसे पुछा भी नहीं तुम कुछ अपनी पसंद का ले लो .................. सब को अपनी चिंता थी अपना नेग सब ने निकलवा के रख लिया । ..दुल्हन को आए .......चार दिन हो गए किसे ने दूद पूछ न मेवा ,जो किलो भर मेवा दुल्हन अपने मायके से लाये नहीं पता कहाँ गई .....................सारी रस्मे बस खानापूर्ति के हिसाब से करी गई .........................दुल्हन भी सीधी ...से कुछ बोली नहीं किसी को .........................बल्कि आते ही उसकी साडी दिलवा दे किसी को देने की लिए बाकि पे ननद निगाही थी । हमेशा दूसरो का करो यही सीख देती रही ........................पति के लिए लाइए हुए शर्ट देवर को दे दी ......उसके अरमानो का कोई मोल नहीं , कोई देख भाल नहीं .
.हमेशा सीख देत्ती रहती है दूसरो का करो करते रहो ..पर मेरे लिए किसी ने क्या किया ? ...जच्चा थी तो किसी ने खाने को नहीं पुछा कुछ नहीं ..सब को लगा कहीं बेटा दूर न हो जाए .....देवर को ज़रा खासी जुकाम में पूरा घर तबियत ख़राब करता है मेरे पति को कोई पूछता नहीं ...........चुप चाप करते है न ...........................बस पैसे जमा करवा दो ...........फिर जाओ भाद में ......................पति भी पता नहीं किस मिटते के बने है ..................सब सह लेते है पर मन में कभी तो सोचते ही होंगे ।
दो साल हो गए शादी को कोई नेग नहीं रखा है एक जानने ने हाथ पर पर दिलवाया इतना है की क्या बोले ...इनके पैसो पर मुझ बीवी को छोड़ सब ने मज़े किए है ...घर वाले तो मेरी ज़रूरत बस काम के टाइम पे है मुह पर सब मीठा बोलते है साब दिखवा लगता है ..हमेशा डरते है कहीं इन्हे न बड़का दू मुझे मेरी कर्तव्यों के बार्रे में बताते है जसे मिएँ चिट्टी बच्ची हु सब पागल बनते है मेन्हंगे गिफ्स की उम्मीद रखते है ख़ुद एक ने भी दंग का नेग नहीं दिया .........इन्हे देखते ही प्यार जतेते है जाते ही रूखे हो जाते है असा रोंना रोत्ते है की बस .....यहे पिघल जाते है।
.अगर सब कुछ करके सही रहता तो क्या दिकत थी में एक शब्द नहीं बोलती ...मेरे बच्चे को एक चीज़ नहीं दी .....अपनी बेटी और बेटा के बहु को सोना देने के लिए पैसा था मेरे बच्चे के १०० रुपये के कपड़े नहीं ला पाए .......में कोई धर्मात्मा नहीं ....देवर से भी तो ले सकते है पर वो रोना जानते है ....अपना पैसा दबा के रखते है ...............शादी में अपना और अपनी बीवी का सब किया ............बाकि मुझे तो नेग की एक साडी तक नहीं दी किसी ने ..........ननद भी तो कमाती है ......क्या दिया मुझया इन्हे ................पूरी शादी इन्होने की बच्चा पीड़ा होंने में किया ,पर बड़ी होंने के बाद भी नेग नहीं दे पाए .............देवर इतना कमाते है पर ..............सब समझ जमा कर रखा है ...................इतनी बड़ी कोठी खरीद ली एसा तो है नहीं डाका डाला .........जोड़ा ही है पैसा .
इनको बोलती हु ...............दुनिया दिखने की है आज में क्या एक किराये के मकान में रह रही हु कोई उम्मीद नहीं कभी अपना मकान होगा ........में तो एक कमरे के मकान में भी रह लू अगर मेरा हो पर एसा जिम्मेदार्री की भोझ में डाला है की निकल ही नहीं प् रही में ..क्या मेरे पति के कारन नहीं निकल प् रही .....?.
अभी घर में चार लोगो का इलाज हमे ही करवना होत्ता है ...........सब बड़ी बीमारिया .....................दीदी के बच्चो को ब्रांडेड कपड़े भेजे जाते है साल में २ बार मेरे बच्चो को साधारण कपड़े भी मिल जाए तो बहुत है ...................अकडा इतनी हमारा बेटा इतना कमाता है ...........दुल्हन तुम्हे कामने की ज़रूरत नहीं .........................वसे तो सही है सारा दिन इनकी चाकरी करू एक गिलास पानी तक कोई नहीं लेता ....... फिर नौकरी दोहरी मार............पर इनको देख लगता है कोहलू के बैल की तरह ज़िन्दगी निकल दी ...........कल मनु बड़ा होगा तो क्या बोलगा....................अपने मेरे लिए किया ही क्या ?
हमरे ज़माने की बच्ची तो नहीं ..............जो जसा रखा रह लिया ...............इतना लाखो कमाते हुए भी दिन बा दिन बदती महगाई और ज़रूरत ने सब बराबर कर रखा है . इतना बड़ा सर्कल था इनका आज सब बंगले कोठी में रहती है इनको कोई पूछता नहीं अब दुःख समझती हु पर कुछ कर नहीं सकती ।
एक बार बोला था ..........शादी के बाद तुम इतना मत करो थोड़ा बचा के रख लो पर तब समझ नहीं आया मुझ पर ही चिला पड़े तुम और लड़कियों की तरह मुझे मेरे परिवार की तरफ़ से दूर करना चाह रहो हो । .....
आज सोचती हु... काश तब ऐसा ही कर देती ...इनकी बड़ी ताई की तरह उन्हें  पता था ...................अम्मा के लिए जान भी दे दो तो वो कमी ढूंढ़ ही  लेंगी .........वसे भी जहाँ पैसे की कमी होत्ती है वह यहे सब बाते कुछ ज़यादा ही होत्ती है .................पैसा सब दबा देता है ...............................इनकी ताई सही रही करती भी तो कब तक तीन क्वारी  ननद ,बेरोजगार देवर आर उनकी पति उनके बच्चे और अम्मा बाबूजी ........कितना ही बड़ा अफसर हो इतने लोगो को कभी संतुस्ठ नहीं कर सकता ...................आज मेरे देवर के लिए अम्मा का जी लगा रहता है ...........जबकि सब सुख है सुविधा है ..........................अम्मा को ले नहीं जा रहा .........न मम्मीजी को सब मेरे पास रहते है ,पर तारीफ मेरी देवरानी की करते है .................वो एक को भी नहीं पूछती अपना कमाती है .....हर त्योहार यही करते है ताकि खर्च बच जाए एक पैसा नहीं खर्चेते दोनों मियाबीवी .......
आज इनसे ज़यादा कामा रह है पर एक अन्ना नहीं की ..........माँ बाप खर्च कर दे ...हमारी तो बहुत दूर की बात है .............हम इतने नीचे नहीं घिर  सकते की उनसे मांगे ।
हमने देवर के शादी में मैंने इतने अच्छे से सारी तयारी की थी ...............सब में अपना पैसा लगया ......................देवर ने एक पैसा अपनी जेब से नहीं दिया ........................शादी के बाद हर महीने कहीं न कहीं घुमने जात्ते रही। दोनों २ साल में मकान खरीद लिया ..............किसी को नहीं बताया । इन्हे बहुत लगता था मुझसे पूछे बिना कुछ नहीं करता अब देखो......पर में इनसे कुछ नहीं बोलती .................मुझे हमेश एक बात लगती थी अगर बड़े बुजुग  का आशीर्वाद है तो सब अच्छा होता है .पर अब सोचती हु यह  कलयुग है ,ताई जी भइया.. इसके उदहारण है ...............अपने लिया सोचा .सब उन्हें पूछते है .हमरे मुह पर उनकी बुराई करते है इनकी बडाई पर .............सब उनके घर जाते है वो सब का करते भी है .........वसे भी जमाना है यही है अपनों से नहीं बनती दूसरो से  बनती है ...यहे भी  भूल जाते है  आज जहाँ है  यहं पर फीस इन्होने ही  दी थी .
आज सोचती हु ...अगर बड़े बुडे अपने लिए सोचे तो उनका आशीर्वाद नहीं लगता . इसलिए ही में आज अपने पति को एक संसय में देखती हु । इतने अरमान थे ........इतनी चाहते थी .।भगवन ने मौका भी दिया सब करने का पैसा भी दिया। पर लापरवाही से फिर वोही आ गए।अपने बच्चे से उम्मीद लगा रह है ।में तू निर्मोही हो गई ,इनको साफ़ बोल दिया ,तुम्हारा बेटा तुम से कोई अपनात्वा प्यार नहीं रख पायेगा , उसके हिसाब  से उसके लिए तुमने कुछ नहीं किया और जिनके लिया किया उसे उसका महत्व नहीं ,यह्नी तुम गीता का पाठ  भूल गए । तुम उसके लिए कर सकते थे पर नहीं किया । मेरे मन और आचरण पर कोई बोझ नहीं ।पर तुम्हरे सपने अधूरे रहना का रंज इतना है की आत्मा को शान्ति न मिलेगी , मेरे लिए तुम्हारी खुशी ही सब कुछ है... आज तुम खुश नहीं.......... यह  में जानती हु ।
आज यह  सब जिनकी वजह से हम यह है .......वो तुमारी ग़लत मोनेटरी अर्रंगेमेंट बताते है यह  तुम्हारी  कमी है की तुम मकान नहीं खरीद पाए . वर ने कितना अच्छा कोठी खरीदे इतनी काम पगार में ..........................असलियत क्या है .....................कौन जाने ...........................तुम्हारा बच्चा  तुम्हे ताने देता है बीवी कभी ख़ुद को कभी भाग्य को कोसती है या शायद तुम से कह नहीं प् रहे हो  तुम दोषी हो उसके ...................पर वो खुश है उसने वादा किया था वो तुम्हरे हर निर्णय में तुम्हारा साथ देगी .................पर उससे उसके माँ बाप के घर से ज़यादा खुश रखना ..............................क्या तुम एसा कर पाए ?
या जिमेदारी के जाल में फसा कर उसे तनहा छोड़ दिया ..............वसे तुम्हे याद है कब हम घुमने गए कब हमने जी भर के शौपिंग की कब भर खाना खाया कब मुझे मायके भेजा ............?
वसे मैंने  ही जाना  बंद कर दिया .....................माँ सब पूछती डरती थी कभी मुह  से कुछ निकल गया तो .............सोचेंगी में खुश नहीं.... वसे भी आज माँ बहुत आमिर है भाई अच्छे से है बहिन तो बहार है ही सब बड़े आमिरो में आते है .....................में वह से भी पीछे हो गई जहन से चली ...थी
कभी लगता है बहुत निर्मोही हु में कितनी आसानी से माँ बाप को छोड़ कर इन् लोगो को अपना लिया ............... यह  लोग अभी नहीं अपना पराये  ..............पति को सारा जीवन यहे लगा की में परिवार को सही से नहीं देख पाऊँगी ........................जबकि पूरा जीवन इन पे डाल दिया .................................... देखती  हु बेटा क्या सोचता है .......................
शायाद  यहे निरमोहा इसलिए क्योंकि किसे ने मेरे मन और मेरी  चाहत को नहीं समझा ......................मेरी लेखनी मेरी शौक मेरे जूनून को किसने समझ नहीं ..................सब अपना अपना नजरिया मुझ पर थोपते रह ...... ...........................वसे में लड़ भी नहीं पाती  ....................थोडी जिद्दी  हु पर अपने रास्ते खोज लेती हु  रहन के ............चिक चिक से दम घुटा है ........................भला  ही लोग मुझे तेज़ बोलते है पर अपने लोगो के लिए लड़ना मुझे पसंद है ...................पर मेरे दुर्भाग्य मेरे पति मेरा बच्चा  मेरे माँ बाप तीनो सबसे जरुरी लोग मुझे नहीं समझ पाए ..................... किसी को यहे नहीं बता पाई ...............................मुझ में कोई कमी होगी .................... यह  सब तो ग़लत नहीं हो सखते एक विशेष बुद्धि जीवी वर्ग है आखिर जो समझ के बांये हुए ढर्रे पर चलने के आदि  है

बुधवार, 29 जुलाई 2009

खामोशी

खामोशी सताती है तन्हाई का एहसास कराती है
कभी कठिनाई के रास्ते और उल्जह्नो की जादोजाहेद से वाकिफ कराती है
कभी यादो के गलियारू में चुपके से संजोये खोबसूरत लम्हों को करीब ले आती है
उमर के बदने का एहसास करती है अपनी जिम्मेदारियों के कच्चे चिठे खोल जाती है
यहे तन्हाई और खामोशी की मिली भगत होत्ती है ,
दिल दे टूटे हुए अरमानो के रंज को कुरेद जाती है
हलकी से तीस उठती है समय के साथ उस पर मलहम लगाती जाती है
इस पडवा तक कितने अच्छे लोगो के नाम को धुधले बदलो में से निकल मुस्कान ला देती है
चोटी चोटी बातो के मतलब समझा जाती है
जवानी के दिनों के याद ताज़ा करा एक नया जोश भर जाती है
अल्दापन में की गई नादानियों की झलक दिखला जाती है
खामोशी और तन्हायी के साजिश है ,
ऊपर हाजिरी से पहले अपना लेखा जोखा बना जाती है
जीवन एक रील लगाने लगता है जिसके सतरंगी सफर पर ले जाती है
पुराने किले की तरह अपना बदन लगता है
कल तो यहे चुस्त था आज बीमारी का एहसास करा जाती है
संतुस्थी देती है अगर सब नीतिगत होता है
वरना दिल के टुकड़े बिखरने लगते है शर्म आती है अपने खवाबो को बुना ही क्यों था ?
वाही खवाब अपने बचो पे थोपने लगते है
फिर दूर अकेले रह जाते है हमेशा के लिए खामोशी में इन यादो के सहारे ॥

शुक्रवार, 24 जुलाई 2009

मोरे लिखे थिस

यदि आप सोचते हैं कि विश्व में प्रेम का प्रतीक ताजमहल केवल शाहजहां ने ही बनवाया था, तो आपकी जानकारी को थोडा दुरूस्त कीजिए। दुनिया में ऎसे लोगों की भी कमी नहीं है, जो इन दिनों अलग-अलग जगहों पर ताजमहल बनाकर सुर्खियों में आए हैं।
बेगम की याद में ताजमहलइतिहास खुद को दोहरा रहा है। आज के युग में भी पत्नी की याद में एक और ताजमहल बन रहा है। प्रेम की यह निशानी बन रही है बेंगलूरू में और इसे बनवा रहे हैं 86 साल के खाजा के. शरीफ । खाजा की पत्नी बेगम फखर सुलताना का 2001 में निधन हो गया था। खाजा उनसे बेपनाह मोहब्बत करते थे। इस मोहब्बत को मिसाल बनाने के लिए वेे 12 एकड जमीन पर ताज हैरिटेज का निर्माण करवा रहे हैं। इस पर वे अब तक करीब बीस करोड रूपए खर्च कर चुके हैं। हालांकि उनकी इमारत हूबहू ताजमहल की कॉपी जैसी नहीं होगी लेकिन उसका शिल्प पूरा ताजमहल जैसा ही होगा। खाजा का कहना है कि यह उनके प्रेम की निशानी है। दिलचस्प बात यह है कि बेगम फखर का अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के वंश से ताल्लुक था। खाजा ने अपनी कब्र की जगह भी बेगम की कब्र के पास ही सुरक्षित करवा दी है।
अब दुबई पहंुचा ताज!ताजमहल की प्रतिकृति की बात चले तो दुबई का नाम भी पीछे नहीं रह सकता। दुनिया के सबसे बडे टूरिज्म प्रोजेक्ट 'ग्लोबल विलेज' में भी खास ताजमहल की नकल तैयार की गई है। करीब चालीस हजार वर्गफीट में बनी यह प्रतिकृति मूल आकृति की तीन-चौथाई है। यहां दुबई का शॉपिंग फेस्टिवल चलता है, जिसे देखने हर साल चालीस लाख से ज्यादा पर्यटक दुबई पहुंचते हैं। इस इमारत की खास बात यह है कि इसमें जयपुर के पत्थर का इस्तेमाल हुआ है और इसे 600 कारीगरों ने तीन महीने में ही तैयार कर दिया है। इस विलेज में 160 देशों से जुडी चीजें प्रदर्शित हैं और दुनिया के सभी अजूबों को यहां एक ही जगह संजोने का प्रयास किया गया है।
तीलियों का तिलिस्मब्रिटेन के एक पेंशनर को शाहजहां और मुमताज की प्रेम कहानी ने इतना प्रभावित किया कि उन्होंने खुद एक और ताजमहल तैयार करने की ठान ली। वे ताज का शिल्प देखने के बाद काम में जुट गए और आठ महीने के अथक प्रयास में दस हजार तीलियों की मदद से यह कृति तैयार करने में कामयाब रहे। सत्तर वर्षीय रोन सेवोरी कहते हैं कि इस कृति को देखते ही उन्हें अपनी पत्नी एन की यादें ताजा हो जाती हैं। वे एक दिन पुस्तक में शाहजहां की कथा पढ रहे थे और तभी उन्हें भी एन की याद में एक ताजमहल बनाने का खयाल आया। रोन कहते हैं कि वे करोडों रूपए खर्च कर भी एन को इससे अच्छी श्रद्धाजंलि नहीं दे सकते थे।
गरीबों की खातिर ढाई अरब कुरबानअब ताजमहल की प्रतिकृति आपको बांग्लादेश में भी देखने को मिल जाएगी। ताज की यह नकल बांग्लादेशी फिल्मकार अहसानुल्ला मोनी ने तैयार कराई है। यह नकल उन्होंने देश की गरीब जनता के लिए तैयार कराई है। उनका कहना है कि वे चाहते हैं कि उनके देश के लोग भी मोहब्बत की इस निशानी को देख पाएं, लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से वे असली ताजमहल देखने के लिए हिंदुस्तान नहीं जा पाते। यह ताजमहल सोनारगांव में बना है और इसकी निर्माण लागत है करीब ढाई अरब रूपए। यह जगह राजधानी ढाका से महज एक घंटे की दूरी पर है। इसके निर्माण में करीब पांच साल लगे और इसमें इटली के मार्बल और ग्रेनाइट और बेल्जियम से आयातित हीरे जडे गए हैं। भले ही नकल की शान असली इमारत के मुकाबले बहुत कम हो, लेकिन मोनी अपने इस प्रयास से बेहद खुश हैं।
लकडी पर कलाकारीउडीसा के ही एक अन्य कलाकार अरूण कुमार मेहर ने ताजमहल की पांच फीट ऊंची लकडी की कृति तैयार की है। इस कृति में उन्होंने कोशिश की है कि वे असली ताजमहल के शिल्प को उतार सकें। उन्हें यह आकृति तैयार करने में तीन महीने लगे। वे कहते हैं कि जिसने ताजमहल नहीं देखा हो, वह उनकी कृति से ताज के शिल्प का अंदाजा लगा सकता है। अरूण इस कृति को कई प्रदर्शनियों में रखकर अपने हुनर की दाद पा चुके हैं। अब उनकी योजना असली ताज के आकार की कृति बनाने की है।
हमारा ताजमहल
ताजमहल के दरवाजे चारों दिशाओं की ओर देखते हुए हैं। 22 अंक ताजमहल के इतिहास में खासा महžव रखता है। जैसे कि ताज को बनने में 22 वर्ष का समय लगा (1631 से 1653), करीब 22,000 कारीगरों ने इस खूबसूरत इमारत को बनाया, इसके मुख्य दरवाजे में 22 गुंबज हंै, यहां तक कि ताजमहल में 22 सीढियां हैं। शाहजहां भी 22 जनवरी 1666 को इस दुनिया से रूखसत हुए थे।ताजमहल के बीचो-बीच लगे फव्वारों के दोनों तरफ लगभग सभी चीजें एक जैसी हैं केवल शाहजहां की कब्र को छोडकर।ताजमहल के बाई ओर लाल पत्थरों से बनी एक मस्जिद है, ऎसी ही एक इमारत दाई ओर भी है। जिसे मस्जिद तो नहीं कह सकते वह एक गेस्ट हाऊस है। यहां कुल 16 बगीचे हैं, 8 फव्वारों के बाई तरफ तो 8 दाइंü तरफ। यहां कुल 53 फव्वारें हंै, इमारत भी सन् 1653 में बन कर तैयार हुई। पूरी दुनिया में केवल यहीं पर चौकोर आकार के बगीचे हैं।इसे बनाने वाला वास्तुकार तुर्की से था, तुर्की भूकंप ग्रस्त देश था इसीलिए इस इमारत को ऎसी किसी प्राकृतिक आपदा से बचाने के लिए ताजमहल को साल की लकडी की 68 पटि्टयों पर खडा किया गया है। साल ऎसी लकडी है, जिसे जितना पानी मिले उतनी यह मजबूत रहती है। इसी वजह से इसे यमुना नदी के किनारे बनाया गया था।ताजमहल के दरवाजों पर अभ्रक की चादर लगी है, जिससे कमरों का तापमान नियंत्रित रहता है।यह इमारत फारसी शैली में बनाई गई है। दरवाजों की निर्माण शैली में हज-मक्का की झलक दिखाई देती है।ताजमहल में बने गंुबज भी हीरों के आकार के बने हैं, क्यूंकि मुमताज को हीरे बहुत पसंद थे।
प्रस्तुति: अंकिता माथुर

अब सितारों के सजने का नया फंडा है 'वैनिटी वैन'। एक ऎसा रूपमहल, जिसमें सजने-संवरने से लेकर आराम की हर एक सुविधा उपलब्ध है। फिल्मी सितारों में इन दिनों एक से बढकर एक वैनिटी वैन रखने की होड मची हुई है।
किराए पर भी हाजिरवैनिटी वैनऎसा नहीं है कि सभी बडे सितारे खुद की वैन रखते हैं। अकेले मुंबई शहर में ही 300 किराए की वैनिटी वैन उपलब्ध हंै। अक्षय कुमार सरीखे सितारे किराए की वैन इस्तेमाल करते हैं। कभी शाहरूख भी इसी कतार में शामिल थे। अक्षय तीन कमरों वाली एसी वैन इस्तेमाल करते हैं, जिसका रोजाना का किराया 8000 रूपए है। बिपाशा बसु और लारा दत्ता दो दरवाजों वाली वैन यूज करती हैं। अमूमन इनका प्रतिदिन का किराया 5500 रूपए है। वैनिटी वैन के धंधे से जुडे लोगों की मानें, तो अब अच्छी वैन बनाने में 30 लाख रूपए से चार करोड रूपए तक खर्चा आता है।
शाहरूख खानचलता-फिरता महललागत साढे तीन करोडकिंग खान की हाल ही खरीदी साढे तीन करोड रूपए लागत की वातानुकूलित वैनिटी वैन को लोग 'पैलेस ऑन व्हील्स' कहने लगे हैं। अंदर से महल का लुक देने वाली यह शानदार वैनिटी वैन 14 मीटर लंबी और पांच कमरों से युक्त है। वोल्वो की चेचिस पर बनी हाईटेक वैन में होम थिएटर से जुडी बडी एलसीडी स्क्रीन, कंप्यूटर, प्रिंटर, फोन, फैक्स, सेटेलाइट टीवी सिस्टम जैसी सभी सुविधाओं वाला खान का दफ्तर है, तो 52 इंच का एलसीडी स्क्रीनयुक्त सुसçज्ात बैडरूम भी। इससे सटे वॉशरूम में 24 घंटे पानी का बंदोबस्त है। आधुनिक किचन में माइक्रोवेव ओवन और फ्रीज जैसे उपकरण लाजमी हैं। शारीरिक तंदुरूस्ती के लिए जिम है, तो दिमागी कसरत के लिए लाइब्रेरी भी। वार्ड रोब से लेकर शू रैक तक, सब कुछ स्टाइलिश। इंटीरियर में क्रोम, स्टील, व्हाइट और ब्लैक स्टार्क रंगों का गजब का कॉम्बिनेशन है। वैन की सबसे खास चीज है, इसका हाइड्रोलिक सिस्टम, जो जरूरत के हिसाब से वैन की साइज कम ज्यादा कर सकता है। आखिर उसे मंुबई जैसे भीडभाड वाले शहर में चलना होता है। हाइड्रोलिक सिस्टम खडी रहने पर वैन की साइज दोगुनी कर सकता है। इसे मशहूर कार डिजाइनर दिलीप छाबडिया ने करीब तीन महीने में तैयार किया है।
संजय दत्तमुन्ना का विमान है वैनलागत तीन करोड रूपए मुन्ना भाई उर्फ संजय दत्त भी 12 मीटर लंबी आधुनिक वैनिटी वैन रखते हैं। इसकी लागत तीन करोड रूपए है। इसे डिजाइन करवाते समय संजय दत्त के जहन में फिल्म एअरफोर्स नंबर वन का विमान था। दिलीप छाबडिया ने इसे अलग ही ढंग से डिजाइन किया है, जो देखने में वैन सरीखी नजर नहीं आती। इसमें कई कमरे हैं, जिनकी साज-सज्ाा अलग-अलग ढंग से की है। वैन का एक हिस्सा संजय का दफ्तर है, तो दूसरे में बडा सा बार है। चारों कोनों में लगी प्लाज्मा स्क्रींस आपको बडे सिनेमाघर का एहसास कराती हैं। वातानुकूलित वैन की लाइटिंग व्यवस्था छूने से चलती है यानी टचस्क्रीन। अंदर की रोशनी रंग बदलती रहती है। यहां का ऑडियो वीडियो सिस्टम भी टच स्क्रीन है। साथ ही वैन में रखे कंप्यूटर में 10,000 गानों व फिल्मों का संग्रह है।
रितिक रोशनघर का एहसास देती वैनलागतदो करोड रूपए 'कहो न प्यार है' 'कोई मिल गया', 'कृश' जैसी सुपर-डुपर हिट फिल्में देने वाले रितिक भी आधुनिक वैनिटी वैन के मालिक हैं। 12 मीटर लंबी रितिक की वैन की खासियत है इसके भीतर लगे घूमने वाले शीशे। बिजली से संचालित ये शीशे 280 डिग्री पर मुड सकते हैं। दो हिस्सों में बंटी वैन का पहला हिस्सा रितिक दफ्तर के रूप में काम में लेते हैं। दिलीप छाबडिया की डिजाइन की गई यह वैन अंदर से ब्लैक एंड व्हाइट रंग की है। एसी वैन के पिछले हिस्से में आधुनिक बैडरूम और बाथरूम हैं। रितिक ने अपनी वैन में दो एलसीडी स्क्रीन लगा रखी हैं, जो उ“ा क्वालिटी के ऑडियो सिस्टम से जुडी हैं। वैन के अगले हिस्से में लगी एलसीडी स्क्रीन की साइज 52 इंच है, तो बैडरूम में 42 इंच का एलसीडी है।
विवेक ओबरॉयवैन नहीं ताजमहल कहिएलागतडेढ करोड रूपए भले ही ऎश्वर्या राय के पूर्व प्रेमी विवेक की फिल्में अधिक नहीं चली हों पर 'कंपनी' का यह डॉन स्टाइलिश वैनिटी वैन रखते हैं। करीब डेढ करोड रूपए लागत की वैन को बॉनिटो छाबडिया ने डिजाइन किया है। साढे 10 मीटर लंबी इस वातानुकूलित वैन में 50 इंच की एलसीडी स्क्रीन लगी है। दो हिस्सों में बंटी इस वैन के पहले भाग में विवेक का दफ्तर है। इसमें स्वचालित सोफे और बैड लगे हैं। साथ में आरामदायक और घूमने वाली कुर्सियां। विवेक इस हिस्से को मीटिंग रूम के रूप में इस्तेमाल करते हैं। वे यहां स्क्रिप्ट सुनने या पढने का काम करते हैं। वैन में मीडिया सेंटर भी है। वैन का दूसरा हिस्सा बिल्कुल अलग है, जिसमें बडा सा बिस्तर लगा है। छत पर आकाश का एहसास देने वाला इंटीरियर है। इंटीरियर में एअरक्राफ्ट में इस्तेमाल होने वाला सामान इस्तेमाल हुआ है। इसमें आधुनिक बाथरूम, जिम, बार और खानपान के लिए पेंट्री भी है। उम्दा लाइटिंग व्यवस्था जापान से मंगाए दो जनरेटर के सहारे चलती है। खुद विवेक इसे ताजमहल कहते हैं।
अजीत राठौड